भारत 2027 में करेगा 5वें कोस्ट गार्ड ग्लोबल समिट की मेजबानी, 115 देश होंगे शामिल

भारत 2027 में चेन्नई में 5वां कोस्ट गार्ड ग्लोबल समिट आयोजित करेगा, जो भारतीय तट रक्षक की स्वर्ण जयंती के साथ होगा. तीन दिन के इस आयोजन में अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू और सेमिनार होगा. यह समुद्री चुनौतियों पर वैश्विक चर्चा का मंच बनेगा. रोम में हुए 4वें समिट में 115 देशों ने भाग लिया, जहां यह निर्णय लिया गया.

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भारत में होने वाले ग्लोबल कोस्ट गार्ड समिट की घोषणा करते अधिकारी. (Photo: ICG) भारत में होने वाले ग्लोबल कोस्ट गार्ड समिट की घोषणा करते अधिकारी. (Photo: ICG)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

भारत 2027 में चेन्नई में 5वां कोस्ट गार्ड ग्लोबल समिट (सीजीजीएस) आयोजित करेगा. यह आयोजन भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) की स्वर्ण जयंती समारोह के साथ होगा. तीन दिन तक चलने वाले इस समिट में एक अंतरराष्ट्रीय तट रक्षक फ्लीट रिव्यू और वर्ल्ड कोस्ट गार्ड सेमिनार भी होगा.

यह समिट समुद्री चुनौतियों पर वैश्विक चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करेगा. अंतरराष्ट्रीय समुद्री एकता को प्रदर्शित करेगा. यह निर्णय 11-12 सितंबर 2025 को इटली के रोम में आयोजित 4वें सीजीजीएस में सर्वसम्मति से लिया गया, जिसमें 115 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

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भारतीय तट रक्षक के महानिदेशक (डीजी) परमेश शिवमणि ने कहा कि कोई भी देश अकेले समुद्री समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता. उन्होंने बताया कि 2027 में चेन्नई में होने वाला समिट एक ऐसा मंच होगा, जो दुनिया भर के तट रक्षकों के बीच सहयोग, विश्वास और आपसी समझ को बढ़ाएगा.

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सीजीजीएस की अध्यक्षता के औपचारिक हस्तांतरण के दौरान, डीजी आईसीजी ने इस समिट को वैश्विक तट रक्षक सहयोग का प्रतीक बताया. उन्होंने इटली तट रक्षक की मेजबानी और जापान तट रक्षक की सचिवालय भूमिका के लिए आभार व्यक्त किया. समिट के दौरान, डीजी आईसीजी ने इटली तट रक्षक के कमांडेंट से भी मुलाकात की.

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भारत-इटली संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना 2025-2029 के तहत हुई इस चर्चा में समुद्री खोज और बचाव, समुद्री प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण, समुद्री अपराधों से निपटने, सूचना आदान-प्रदान, समुद्री जागरूकता, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया. यह समिट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, जिसमें वह वैश्विक समुद्री सहयोग को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा.

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