भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना की जमीनी युद्ध क्षमताओं की तुलना करने के लिए हमें दोनों सेनाओं के सैन्य संसाधनों, प्रशिक्षण, रणनीति और भौगोलिक कारकों पर गौर करना होगा. यह विश्लेषण टैंक, तोपखाने, सैनिकों की संख्या और अन्य प्रमुख पहलुओं पर आधारित है. इसमें कुछ जानकारी ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है.
1. सैनिकों की संख्या और प्रशिक्षण
भारतीय सेना: भारत के पास लगभग 14.4 लाख सक्रिय सैनिक हैं, जो इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना बनाता है. लेकिन थल सेना 12.48 लाख सैनिक है. भारतीय सेना का प्रशिक्षण विविध भौगोलिक परिस्थितियों (रेगिस्तान, पहाड़, जंगल) के लिए तैयार किया गया है. विशेष बल जैसे पैरा कमांडो और गोरखा रेजिमेंट अपनी उच्च प्रशिक्षण गुणवत्ता और युद्ध कौशल के लिए जाने जाते हैं.
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पाकिस्तानी सेना: पाकिस्तान के पास लगभग 6.5 लाख सक्रिय सैनिक हैं. यह सेना भी कठिन परिस्थितियों में रशिक्षित है, विशेष रूप से कश्मीर और अफगान सीमा जैसे क्षेत्रों में गुरिल्ला युद्ध के लिए. हालांकि, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां (जैसे बलूच विद्रोह और तालिबान) उनकी क्षमता को प्रभावित करती हैं.
सैनिकों की संख्या और प्रशिक्षण में भारत का स्पष्ट लाभ है, क्योंकि इसकी सेना न केवल बड़ी है बल्कि अधिक विविध और आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं से लैस है.
2. टैंक और बख्तरबंद वाहन
भारतीय सेना: भारत के पास लगभग 4,614 टैंक हैं, जिनमें टी-90 भीष्म, अर्जुन एमके-1ए और टी-72 शामिल हैं. इसके अलावा 1,51,248 बख्तरबंद वाहन भारत की युद्धक गतिशीलता को बढ़ाते हैं. डीआरडीओ द्वारा विकसित मानवरहित युद्धक वाहन (यूजीवी) भी रेगिस्तानी युद्ध के लिए तैयार किए जा रहे हैं, जो पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर उपयोगी होंगे.
पाकिस्तानी सेना: पाकिस्तान के पास 3,742 टैंक हैं, जिनमें अल-खालिद, टी-80 यूडी और पुराने टी-59/69 मॉडल शामिल हैं. बख्तरबंद वाहनों की संख्या भारत की तुलना में कम है. पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में कुछ आधुनिकीकरण किया है, लेकिन यह भारत की तुलना में सीमित है.
टैंकों की संख्या और गुणवत्ता में भारत का ऊपरी हाथ है. भारतीय टैंक अधिक आधुनिक हैं. बख्तरबंद वाहनों की संख्या पाकिस्तान से तीन गुना अधिक है.
3. तोपखाना (आर्टिलरी)
भारतीय सेना: भारत के पास लगभग 3,975 टोड आर्टिलरी पीस, 100 स्वचालित आर्टिलरी यूनिट और 264 मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) हैं, जैसे पिनाका और स्मर्च. स्वदेशी एटीएजीएस (एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम) और धनुष तोपें आधुनिक युद्ध के लिए डिज़ाइन की गई हैं.
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पाकिस्तानी सेना: पाकिस्तान के पास भी उल्लेखनीय तोपखाना है, जिसमें एम109 स्वचालित तोपें और चीनी मूल के रॉकेट सिस्टम शामिल हैं. हाल के अभ्यास (जैसे हैमर स्ट्राइक) में लंबी दूरी की प्रेसिजन आर्टिलरी का प्रदर्शन किया गया है.
भारत की तोपखाना क्षमता संख्यात्मक और तकनीकी रूप से पाकिस्तान से बेहतर है. पिनाका जैसे स्वदेशी सिस्टम और आधुनिक तोपें भारत को बढ़त देती हैं.
4. रणनीति और युद्धक तैयारी
भारतीय सेना: भारत की कोल्ड स्टार्ट रणनीति तेज़, सीमित हमलों के लिए डिज़ाइन की गई है, जो पाकिस्तान की गहराई में त्वरित कार्रवाई की अनुमति देती है. भारतीय सेना का अनुभव कारगिल युद्ध, उरी और बालाकोट जैसे ऑपरेशनों से सिद्ध है. ड्रोन और साइबर युद्ध में भारत की प्रगति (जैसे शेषनाग-150 यूएवी) इसे आधुनिक युद्ध में बढ़त देती है.
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पाकिस्तानी सेना: पाकिस्तान की रणनीति रक्षात्मक और गुरिल्ला युद्ध पर केंद्रित है, विशेष रूप से कश्मीर में. हाल के अभ्यास (हैमर स्ट्राइक) में मल्टीरोल फाइटर जेट, हमलावर हेलीकॉप्टर और नई इंजीनियरिंग क्षमताओं का उपयोग दिखाया गया है. हालांकि, आंतरिक अस्थिरता और आर्थिक संकट इसकी दीर्घकालिक तैयारी को प्रभावित करते हैं.
भारत की आक्रामक और तकनीकी रूप से उन्नत रणनीति इसे पारंपरिक युद्ध में लाभ देती है, जबकि पाकिस्तान की रक्षात्मक रणनीति सीमित संसाधनों पर निर्भर है.
5. लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर
भारतीय सेना: भारत के पास 6.37 मिलियन किलोमीटर सड़क नेटवर्क, 65,554 किलोमीटर रेलवे और 311 हवाई अड्डे हैं. 1,859 मर्चेंट मरीन जहाज और 56 बंदरगाह लॉजिस्टिक्स को मजबूत करते हैं.
पाकिस्तानी सेना: पाकिस्तान के पास 264,175 किलोमीटर सड़कें, 11,881 किलोमीटर रेलवे और 116 हवाई अड्डे हैं. केवल 60 मर्चेंट मरीन जहाज और 3 बंदरगाह इसकी लॉजिस्टिक्स क्षमता को सीमित करते हैं.
भारत का लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक व्यापक और मजबूत है, जो लंबे युद्ध में निर्णायक होगा.
6. भौगोलिक और आर्थिक कारक
भारत: भारत की अर्थव्यवस्था और रक्षा बजट पाकिस्तान से कई गुना बड़ा है, जो आधुनिकीकरण और दीर्घकालिक युद्ध को समर्थन देता है. भौगोलिक रूप से, भारत का आकार और गहराई इसे रणनीतिक लाभ देती है.
पाकिस्तान: आर्थिक संकट और आंतरिक अस्थिरता (बलूचिस्तान, तालिबान) पाकिस्तान की सेना को कमजोर करती हैं. सीमित भौगोलिक गहराई भारत के लिए हमले को आसान बनाती है.
7. हाल की घटनाएं और तनाव
पहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत को "तेज़ और कड़ा जवाब" देने की चेतावनी दी है. उनके भड़काऊ बयानों (कश्मीर को "पाकिस्तान की जुगुलर वेन" कहना) ने तनाव बढ़ाया है. दूसरी ओर भारत ने कूटनीतिक और सैन्य विकल्पों (जैसे इंडस जल संधि निलंबन) को अपनाया है, जो इसकी रणनीतिक गहराई को दर्शाता है.
ऋचीक मिश्रा