भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक नया और अत्याधुनिक माउंटेड गन सिस्टम (MGS) विकसित किया है, जो भारतीय सेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. यह सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE), अहमदनगर ने डिज़ाइन और विकसित किया है. MGS अब सेना के उपयोगकर्ता परीक्षणों (यूज़र ट्रायल्स) के लिए तैयार है. जल्द ही विभिन्न इलाकों में इसका परीक्षण शुरू होगा.
माउंटेड गन सिस्टम (MGS) क्या है?
माउंटेड गन सिस्टम एक ऐसी तोप प्रणाली है, जो एक बख्तरबंद हाई-मोबिलिटी वाहन (HMV) पर लगाई जाती है. यह 155 मिलीमीटर/52 कैलिबर की एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) पर आधारित है, जिसे DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) ने विकसित किया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी शूट एंड स्कूट (फायर करके तुरंत स्थान बदलने की) क्षमता, जो इसे आधुनिक युद्ध में बेहद प्रभावी बनाती है.
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MGS को 8x8 टाट्रा हाई-मोबिलिटी वाहन पर लगाया गया है, जिसे भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) ने बनाया है. यह सिस्टम रेगिस्तान, पहाड़ी इलाकों और ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों जैसे सियाचिन में भी आसानी से काम कर सकता है. यह भारतीय सेना की फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) का हिस्सा है, जिसके तहत सेना को 814 माउंटेड गन सिस्टम की जरूरत है.
MGS की प्रमुख विशेषताएं
यह मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा है, जिसमें भारत फोर्ज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) जैसे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं.
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अन्य विशेषताएं
सेना के लिए क्यों है गेम-चेंजर?
MGS की कई खूबियां इसे भारतीय सेना के लिए एक गेम-चेंजर बनाती हैं...
तेज तैनाती और गतिशीलता: आधुनिक युद्ध में गतिशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. MGS की शूट एंड स्कूट क्षमता इसे दुश्मन के जवाबी हमले से बचाती है. यह मैकेनाइज्ड फोर्सेस की गति के साथ तालमेल रख सकता है.
हर इलाके में उपयोगी: चाहे सियाचिन की बर्फीली चोटियां हों, राजस्थान का रेगिस्तान हो, या पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाके, MGS हर स्थिति में प्रभावी है. इसका 8x8 टाट्रा चेसिस इसे ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी चलने में सक्षम बनाता है.
स्वदेशी तकनीक का प्रदर्शन: यह सिस्टम पूरी तरह से भारत में विकसित किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसे विदेशों में भी निर्यात किया जा सकता है, जैसे कि आर्मेनिया को 2023 में 6 यूनिट्स निर्यात की गईं.
प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त: MGS की तुलना फ्रांस के सीज़र और इज़राइल के ATMOS जैसे सिस्टम्स से की जा रही है, जिन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी प्रभावशीलता साबित की है. यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में मजबूत बनाता है.
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परीक्षण और प्रगति
परीक्षण: MGS ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (PFFR) में सितंबर 2023 में कई परीक्षण पूरे किए, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम रेंज फायरिंग, सटीकता और डायरेक्ट फायरिंग शामिल थी.
मोबिलिटी और परफॉर्मेंस: इसने 600 किलोमीटर के आंतरिक परीक्षण और रेगिस्तान व पहाड़ी इलाकों में गतिशीलता परीक्षण पास किए हैं.
आर्मर्ड केबिन: बख्तरबंद केबिन के स्टैंडअलोन फायरिंग टेस्ट भी पूरे हो चुके हैं.
यूज़र ट्रायल्स: भारतीय सेना जल्द ही विभिन्न इलाकों और मौसम में MGS का परीक्षण शुरू करेगी. ट्रायल्स 2026 तक पूरे होने की उम्मीद है.
उद्योग और सहयोग
MGS का विकास DRDO की अगुवाई में भारतीय उद्योगों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (DPSU) और प्रमुख शिक्षण संस्थानों के सहयोग से किया गया है.
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प्रमुख साझेदार
उत्पादन: मार्च 2025 में, रक्षा मंत्रालय ने ₹6,900 करोड़ की लागत से 307 ATAGS यूनिट्स के लिए भारत फोर्ज और टाटा के साथ अनुबंध किए. सेना को कुल 700-800 MGS यूनिट्स की जरूरत है.
वैश्विक संदर्भ और निर्यात की संभावना
हाल के रूस-यूक्रेन युद्ध ने माउंटेड गन सिस्टम्स की अहमियत को उजागर किया है. फ्रांस का सीज़र और इज़रायल का ATMOS जैसे सिस्टम्स ने तेज गतिशीलता और प्रभावशीलता दिखाई है. भारत का MGS इन सिस्टम्स के समकक्ष है. इसे आर्मेनिया जैसे देशों में निर्यात की संभावना है. यह भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बनाता है.
शिवानी शर्मा