भारतीय सेना अपनी ताकत और हथियारों को लगातार मजबूत कर रही है. इसका मकसद "आत्मनिर्भर भारत" पहल के तहत अपनी फायर पावर को बढ़ाना है. पहले सेना रूस के मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर जैसे ग्रैड और स्मर्च पर निर्भर थी, लेकिन अब स्वदेशी पिनाका ने सेना की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया है.
अब इसका नया और ज्यादा ताकतवर वर्जन तैयार है. एक्सटेंडेड-रेंज पिनाका के यूजर ट्रायल्स सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं. जल्द ही यह सेना में शामिल होने जा रहा है.
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पिनाका का नया रूप: रेंज और ताकत में इजाफा
पहले पिनाका रॉकेट की रेंज 37 किलोमीटर थी, लेकिन अब इसके एक्सटेंडेड-रेंज वर्जन की रेंज 75 किलोमीटर तक पहुंच गई है. यह सेना के लिए बड़ी उपलब्धि है. नया पिनाका सिर्फ रेंज में नहीं, बल्कि सटीकता और शक्ति में भी बेहतर हुआ है. यह अब GPS नेविगेशन से लैस है, जिससे एक बार टारगेट सेट होने के बाद यह बहुत सटीक निशाना लगाता है. यह टारगेट से 25 मीटर के दायरे में मार कर सकता है, जो इसे बेहद खतरनाक बनाता है.
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इस रॉकेट में लॉन्च से पहले ट्रैजेक्ट्री और टारगेट प्रोग्राम किए जाते हैं. अगर किसी कारण से यह रास्ते से भटक जाए, तो ऑनबोर्ड कंप्यूटर और GPS मिलकर इसे सही रास्ते पर ला देते हैं. इसके अलावा इसमें इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) भी है, जो GPS जाम होने या रुकने पर भी रॉकेट को टारगेट तक पहुंचाता है.
एक बैटरी की ताकत: 44 सेकंड में तबाही
एक पिनाका बैटरी में 6 लॉन्चर होते हैं. हर लॉन्चर में 12 ट्यूब्स हैं, यानी कुल 72 रॉकेट. ये सभी 44 सेकंड में दागे जा सकते हैं. अगर ये एक साथ चलें, तो दुश्मन के 1000×800 मीटर के इलाके को तबाह कर सकते हैं. नया गाइडेड पिनाका आने से इसकी विनाशकारी शक्ति और बढ़ जाएगी. लॉन्च होने के बाद लॉन्चर अपनी जगह बदल लेते हैं और फिर से तैयार हो जाते हैं, जिससे दुश्मन का जवाबी हमला मुश्किल हो जाता है.
हाल ही में पिनाका के लिए एरिया डिनायल म्यूनिशन (ADM) टाइप-1 (DPICM) और हाई एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैगमेंटेड (HEPF) Mk-1 (एनहांस्ड) रॉकेट्स भी खरीदे गए हैं. ये रॉकेट दुश्मन की गतिविधियों को रोकने और बड़े इलाके को निशाना बनाने में मदद करेंगे.
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चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखकर तैयारी
भारत ने अपनी क्षमताओं को चीन और पाकिस्तान के खिलाफ मजबूत किया है. अभी सेना के पास 4 पिनाका रेजिमेंट्स हैं. लक्ष्य है कि इसे 10 तक बढ़ाया जाए. इसके लिए नई रेजिमेंट्स बनाने की बजाय मौजूदा 120 मिमी मोर्टार लाइट रेजिमेंट्स को पिनाका में बदल दिया जा रहा है.
पिछले साल 2 लाइट रेजिमेंट्स बदली गईं. इस साल 2 और बदली जाएंगी. अगले 2 साल में सेना के पास कुल 10 पिनाका रेजिमेंट्स होंगी. सेना की योजना 25 पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर शामिल करने की है. इनके साथ-साथ ट्रेनिंग और तैनाती भी तेजी से हो रही है, ताकि सीमा पर मजबूत स्थिति बनी रहे.
आत्मनिर्भर भारत का उदाहरण
पिनाका की सफलता "आत्मनिर्भर भारत" का शानदार उदाहरण है. पहले रूस पर निर्भरता थी लेकिन अब DRDO और भारतीय कंपनियों ने मिलकर इसे विकसित किया है. प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां जैसे सोलर इंडस्ट्रीज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स इसमें बड़ी भूमिका निभा रही हैं. यह न सिर्फ सेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारत को हथियारों के निर्यात में भी आगे ले जाएगा.
शिवानी शर्मा