ईरान जंग के बाद क्यों चीन को भी खल रही B-2 जैसे बॉम्बर्स की कमी? इम्पैक्ट देखकर हैरान है ड्रैगन

चीनी सैन्य विशेषज्ञ ईरान के परमाणु केंद्र पर हमला करने के लिए इस्तेमाल में लाए गए बी-2 बॉम्बर की क्षमता और कुशलता देखकर हैरान हैं. चीन अभी सिक्स्थ जेनेरेशन के फाइटर प्लेन H-20 विकसित कर रहा है. लेकिन इसमें काफी समय लगने वाला है. इस बीच चीन के एक्सपर्ट मानते हैं कि बी-2 बॉम्बर जैसे विमानों के बिना चीन का काम नहीं चल सकता है.

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चीन सिक्स्थ जेनेरेशन का विमान H-20 विकसित कर रहा है. चीन सिक्स्थ जेनेरेशन का विमान H-20 विकसित कर रहा है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2025,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST

ईरान के न्यूक्लियर साइट पर अमेरिकी बी-2 बमबर्षक विमानों के हमले का विध्वंसकारी असर देखकर चीन हैरान है. चीन को लगता है कि ऐसे स्ट्रैटेजिक महत्व के विमान उसके पास भी होने चाहिए. हालांकि चीन अभी सिक्स जेनेरेशन विमान बना रहा है कि लेकिन चीनी रक्षा विशेषज्ञों को लगता है कि आज के युद्ध में बी-2 जैसे बॉम्बर के बिना उसका काम नहीं चलने वाला है. 

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चीन के अखबार साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट में इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट छपी है. 

चीन के विश्लेषकों का कहना है कि रणनीतिक बमवर्षक विमान चीन की सेना के लिए ऐसे हथियार हैं जो चीन के लिए अपरिहार्य हैं. विश्लेषक मानते हैं कि चीन भले ही छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और लंबी दूरी की मिसाइलों के साथ प्रगति कर रहा हो लेकिन दुनिया के किसी कोने में हमला करने की बी-2 बमबर्षक जैसे विमानों की क्षमता और इनके परमाणु प्रतिरोध को देखते हुए ये विमान चीन की जरूरत बने हुए हैं. 

चीन को बी-2 बॉम्बर जैसे स्ट्रैटेजिक विमानों की तलब

चीन के सैन्य विशेषज्ञों ने अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों की ओर इशारा किया, जिन्होंने ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमला किया था और बंकर बस्टर बमों को सीधे इन केंद्रों पर गिराया था. 

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37 घंटे तक चले इस मिशन में सात बी-2 बमवर्षक विमानों ने लगभग 27,000 किमी (16,700 मील) की उड़ान भरी. इस ऑपरेशन में हवाई टैंकरों सहित 100 से अधिक अन्य विमान भी शामिल थे. 

बता दें कि चीन अभी अपनी अगली पीढ़ी के स्टील्थ बमबर्षक विमान H-20 पर काम कर रही रहा है. ये विमान अभी डेवलपमेंट स्टेज पर ही है. इस परिदृश्य में चीन के रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी वायुसेना के ऑपरेशन ने इन युद्धक विमानों की महत्ता बता दी है. 

इनके बिना चीन का काम नहीं चल सकता 

सैन्य विश्लेषक और पूर्व पीपुल्स लिबरेशन के आर्मी इंस्पेक्टर सोंग झोंगपिंग ने कहा, "एक डेडिकेटेड रणनीतिक बमवर्षक ऐसे हथियार हैं जिसके बिना चीन का काम नहीं चल सकता है. यहां तक ​​कि ऐसे समय में भी जब हमारे पास लंबी दूरी के हमले करने के लिए अन्य विकल्प मौजूद हैं."

अमेरिकन बी-2 बॉम्बर की ओर इशारा करते हुए चीनी विश्लेषकों ने कहा, "एक रणनीतिक बमवर्षक विमान परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह के हमले कर सकता है. यह किसी भी प्रमुख सैन्य शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार है, और इसका किसी अन्य हथियार के बदले त्याग नहीं किया जा सकता है. 

उन्होंने कहा कि छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान यह भूमिका निभा पाएगा या नहीं, यह काफी हद तक इसकी रेंज पर निर्भर करेगा. 

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बता दें कि चीन का शियान एच-20 (H-20) एक सबसोनिक स्टील्थ बमवर्षक विमान है, जिसे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के लिए विकसित किया जा रहा है. यह चीन का पहला डेडिकेटेड रणनीतिक बमवर्षक है, जिसे अमेरिका के बी-2 स्पिरिट और बी-21 रेडर जैसे विमानों के मुकाबले डिज़ाइन किया गया है. 

 2030 के दशक तक चीन को मिल सकता है H-20

पेंटागन की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार यह विमान 2030 के दशक तक सेवा में शामिल हो सकता है. यह विमान चीन की रणनीतिक सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा लेकिन इसकी तकनीकी और टाइमलाइन संबंधी अनिश्चिताएं बनी हुई है. 

बता दें कि अमेरिकी वायुसेना के बी-2 की मारक क्षमता 10,000 किलोमीटर से अधिक है, जिससे यह एक महादेश से दूसरे महादेश तक हमले करने में सक्षम है. 

रक्षा विशेषज्ञ सोंग ने कहा, "यही रणनीतिक हथियार की ताकत है, महाद्वीपों के पार काम करने की क्षमता." "बी-2, बी-1बी और बी-52 सभी अमेरिका के लिए यह भूमिका निभाते हैं, वर्तमान में चीन के पास अभी भी इस लंबी दूरी की रणनीतिक हमला करने की क्षमता का अभाव है."

बता दें कि अभी दुनिया में केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास ही लंबी दूरी के रणनीतिक बमवर्षक हैं. 

हालांकि इन विमानों का रख-रखाव महंगा है, लेकिन इन युद्धक विमानों ने अपनी उपयोगिता साबित कर दी है, ये लंबी दूरी के हथियार ले जा सकते हैं जो लड़ाकू विमानों के लिए बहुत भारी होते हैं. 

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अमेरिका और रूस दोनों के पास लगभग 100 रणनीतिक बमवर्षक विमानों का बेड़ा है जो उनके परमाणु त्रिकोण (जल, थल, नभ) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और लंबी दूरी तक सटीक हमले करने का एक साधन हैं.

रणनीतिक बमवर्षक ऐसे विमान हैं जो न्यूक्लियर प्रतिरोध के रूप में काम करते हैं. 

 सॉन्ग ने कहा, "वास्तव में एक मजबूत परमाणु शक्ति एक त्रिभुज पर टिकी होती है - जल, थल, नभ. रणनीतिक बमवर्षक उस त्रिभुज का हवाई अंग है." 

उन्होंने कहा कि ऐसे बमवर्षक चालक दल, चालक दल रहित या दोनों का मिश्रण हो सकते हैं. ऐसी सुविधा लंबी दूरी के मिशनों पर पायलट की थकान को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है.

1960 तक बमबर्षक विमानों की दौड़ में नहीं था चीन

चीन 1960 के दशक तक रणनीतिक बमवर्षक विमानों की दौड़ में शामिल नहीं हुआ था. इसकी शुरुआत सोवियत टीयू-16 के लाइसेंस से बने
एच-6 से हुई थी. बाद के वर्षों में इसकी रेंज और पेलोड बढ़ाने के लिए इसे अपग्रेड किया गया.

चीन के एच-6 के और एच-6 एन विमानों में इसकी उड़ान क्षमता को 8,000 किमी तक बढ़ा दिया गया. इसे टारगेट हिटिंग और परमाणु हमला करने की क्षमता से लैस किया गया. 

इससे एच-6एन चीन का पहला असली रणनीतिक बमवर्षक बन गया. 

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इस प्रयास का दूसरा भाग लंबे समय से प्रतीक्षित एच-20 है, जो पीएलए की क्षमता को अमेरिका और रूस के बराबर कर देगा.
 

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