हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने 13वें सीरीज प्रोडक्शन तेजस एमके-1ए (नंबर एलए-5045) की पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की है. यह उड़ान अमेरिकी कंपनी जीई के कैटेगरी-बी एफ-404 इंजनों से की गई थी, जो एचएएल के स्टॉक से लिए गए. ये इंजन सीमित जीवन वाले हैं, लेकिन इन्हें इस्तेमाल कर प्रोडक्शन की गति बनाए रखी जा रही है. असली एफ-404-आईएन20 इंजन अभी आने बाकी हैं.
तेजस भारत का पहला स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) है. एमके-1ए इसका अपग्रेडेड वर्जन है, जो मूल एमके-1 से ज्यादा ताकतवर है. इसमें एडवांस्ड रडार (जैसे उत्तरम एईएसए), बेहतर इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्यादा हथियार ले जाने की क्षमता है.
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यह विमान भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के लिए बनाया जा रहा है. कुल 83 विमानों का ऑर्डर है, जिसमें 73 सिंगल-सीट और 10 ट्रेनर शामिल हैं. तेजस की खासियत यह है कि यह छोटा, तेज और कम खर्च वाला है, जो दुश्मन के हवाई हमलों से रक्षा कर सकता है.
तेजस एमके-1ए का प्रोडक्शन 2021 से शुरू होना था, लेकिन इंजन की समस्या ने सबको रोक दिया. विमान को चलाने के लिए जीई का एफ-404-आईएन 20 इंजन चाहिए, जो 99 इंजनों का कॉन्ट्रैक्ट अगस्त 2021 में साइन हुआ. लेकिन जीई ने 2016 में प्रोडक्शन लाइन बंद कर दी थी, क्योंकि पहले एमके-1 के लिए 65 इंजन दे चुके थे. फिर से शुरू करने में देरी हुई.
इस देरी से भारतीय वायुसेना नाराज हुई. मार्च 2024 तक पहला इंजन आना था, लेकिन आया मार्च 2025 में. पहला इंजन 25 मार्च 2025 को एचएएल को मिला, दूसरा 14 जुलाई 2025 को और तीसरा 11 सितंबर 2025 को.
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अब जीई ने वादा किया है कि मार्च 2026 तक मासिक डिलीवरी होगी. लेकिन तब तक प्रोडक्शन रुक न जाए, इसलिए एचएएल ने पुराने स्टॉक के कैटेगरी-बी एफ-404 इंजनों का इस्तेमाल किया. ये इंजन कम घंटे चलते हैं, लेकिन टेस्टिंग और प्रोडक्शन को जारी रखने के लिए काफी हैं.
एलए-5045 ने हाल ही में बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट से पहली उड़ान भरी. यह सीरीज प्रोडक्शन का 13वां विमान है. उड़ान सफल रही और फोटो वीडियो में दिखा कि विमान आसानी से हवा में उड़ा. पायलट ने सभी सिस्टम चेक किए. ये उड़ान प्रोडक्शन को तेज करने का संकेत है. पहले के 12 विमान भी टेस्टिंग में हैं, और अब इंजन आने पर वे आईएएफ में शामिल होंगे.
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यह उड़ान भारत की स्वदेशी तकनीक पर भरोसा बढ़ाती है. देरी के बावजूद, एचएएल ने स्मार्ट तरीके से काम किया. कैटेगरी-बी इंजनों से प्रोडक्शन मोमेंटम बना रहा, वरना सालों लग जाते. अब 2024 में 2 विमान, 2025 में 8 और 2026 से 14-16 सालाना डिलीवरी का प्लान है. कुल 2028 तक 83 विमान आईएएफ को मिल जाएंगे. इससे 4 स्क्वाड्रन बनेंगी, जो देश की हवाई ताकत मजबूत करेंगी.
जीई के साथ बात चल रही है कि भारत में ही एफ-404 इंजन बनाए जाएं ताकि भविष्य में देरी न हो. तेजस एमके-2 और एमआरटी (नौसेना वर्जन) पर काम तेज है. एक्सपोर्ट के लिए भी प्रयास हो रहे हैं, जैसे मलेशिया और अर्जेंटीना को बेचना. तेजस की यह उड़ान न सिर्फ तकनीकी जीत है, बल्कि देश की युवा इंजीनियरों की मेहनत का फल भी. जल्द ही आकाश में और तेजस दिखेंगे.
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