नीतीश कटारा मर्डर केस में दोषी और 20 साल की जेल की सज़ा काटने वाले सुखदेव यादव उर्फ पहलवान (55) की एक हादसे में मौत हो गई. पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले में एक सड़क हादसे में नीतीश की मौत हुई. पिछले दिनों वह जेल से रिहा किया गया था.
यह हादसा तुर्क पट्टी इलाके में हुआ. सुखदेव जिस मोटरसाइकिल पर सवार था, वह एक SUV से टकरा गई. उसके साथ यात्रा कर रहे दो अन्य लोग- विजय गुप्ता और भागवत सिंह घायल हो गए. स्थानीय अस्पताल में घायलों का इलाज चल रहा है.
हादसे के बाद कार ड्राइवर मौके से भाग गया और सुखदेव के शव को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.
कब हुआ था नीतीश कटारा हत्याकांड?
17 फरवरी 2002 की सुबह-सुबह, विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल ने 25 साल के नीतीश कटारा को किडनैप कर लिया और बेरहमी से मार डाला. नीतीश MBA ग्रेजुएट थे और एक IAS ऑफिसर के बेटे थे.
हत्या की वजह नीतीश कटारा और विकास की बहन भारती यादव के बीच नज़दीकी रिश्ते थे. जानकारी के मुताबिक, हत्या को अंजाम देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलर सुखदेव पहलवान की मदद ली गई थी. 20 फरवरी 2002 को नीतीश कटारा की जली हुई और बुरी तरह से पीटी हुई लाश उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक गांव में हापुड़ क्रॉसिंग के पास मिली थी. बॉडी इस हालत में थी कि उसकी पहचान कर पाना मुश्किल था.
भारती यादव, उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव की बेटी थी. डीपी यादव के बेटे विकास यादव और उनके भतीजे विशाल ने प्रेम संबंध की वजह से हत्या को अंजाम दिया. साल 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 'ऑनर किलिंग' का मामला माना, जो जाति व्यवस्था में विश्वास के कारण हुआ था. उसी साल, दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपियों को बिना किसी छूट के 25 साल जेल की सज़ा सुनाई और सबूत मिटाने के लिए पांच साल की अतिरिक्त सज़ा भी दी.
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वेडिंग वेन्यू से किडनैपिंग और मर्डर
17 फरवरी 2002 को विकास और विशाल यादव ने गाजियाबाद में एक शादी समारोह से रात में नीतीश कटारा को किडनैप कर लिया. नीतीश के दोस्तों को लगा कि कटारा जल्द ही वापस आ जाएगा, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला. 17 फरवरी को सुबह शादी वाली जगह से 80 किलोमीटर दूर नीतीश की बुरी तरह जली हुई लाश मिली. पुलिस को उसकी क्षत-विक्षत लाश मिलने के तुरंत बाद, कटारा की मां नीलम ने FIR दर्ज कराई. पुलिस ने विकास और विशाल पर हत्या, हत्या के लिए किडनैपिंग और सबूत मिटाने का आरोप लगाया.
पुलिस ने 31 मार्च 2002 को मर्डर केस की चार पेज की चार्जशीट जारी की. नीतीश की मां नीलम कटारा की रिक्वेस्ट के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने केस को गाजियाबाद सेशन कोर्ट से दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया. नीलम ने दिल्ली हाई कोर्ट के दोनों को 25 और पांच साल की सज़ा सुनाने के ऑर्डर पर सवाल उठाया और इसके बजाय उनके लिए मौत की सज़ा या फिर पूरी ज़िंदगी जेल की सज़ा की मांग की.
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हत्यारों की गिरफ्तारी और कोर्ट का वारंट
किराए के हत्यारे सुखदेव पहलवान को 2005 में गिरफ्तार किया गया था, और कोर्ट ने अलग से ट्रायल चलाया, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई.
2003 से 2006 तक, कटारा की गर्लफ्रेंड भारती यादव बार-बार कोर्ट के समन से बचती रहीं. सितंबर 2004 में, कोर्ट ने पहला गैर-जमानती वारंट जारी किया. भारती ने दावा किया कि वह लंदन में एक प्रोफेशनल कोर्स कर रही थी, जिसकी वजह से वह कोर्ट के समन पर हाज़िर नहीं हो पाई. 2006 में, प्रॉसिक्यूशन ने उसका पासपोर्ट कैंसिल करने की अपील की और हाज़िर होने के लिए दो महीने की मोहलत दी.
साल 2008 में कोर्ट ने नीतीश कटारा मर्डर केस में विकास और विशाल को दोषी ठहराया और दोनों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई. दिल्ली हाई कोर्ट ने अप्रैल 2014 में, बिना किसी छूट के 25 साल जेल की सज़ा और सबूत मिटाने के लिए पांच साल की अतिरिक्त सज़ा को बरकरार रखा. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भारती के चचेरे भाई विकास और विशाल यादव को 25 साल और सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को 20 साल जेल की सज़ा सुनाई.
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