दिल्ली के भरत नगर की एक गली की सड़क पर तेजाब के छींटे, दीवार पर पुलिस की सफेद मार्किंग, अस्पताल में बैठी झुलसे हाथों वाली डरी सहमी लड़की और सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें. हर किसी को यकीन था कि यह एक और निर्दोष लड़की पर एसिड अटैक का मामला है. लेकिन अगले ही 30 घंटे में दिल्ली पुलिस की जांच ने इस कहानी को पूरी तरह पलट दिया. दरअसल, यह कोई एसिड अटैक नहीं था, बल्कि 'तेजाबी साजिश' थी. इसमें खुद लड़की और उसके परिवार के लोग शामिल थे.
नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के भरत नगर इलाके में रविवार सुबह करीब 10 बजकर 52 मिनट पर पुलिस को सूचना मिली कि कॉलेज जाते समय एक लड़की पर बाइक सवार तीन युवकों ने तेजाब फेंक दिया है. 19 वर्षीय यह छात्रा दिल्ली यूनिवर्सिटी के रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में सेकंड ईयर की छात्रा थी और उस दिन एक्स्ट्रा क्लास के लिए जा रही थी. लड़की के मुताबिक, जब वह अशोक विहार के पास कॉलेज से करीब 200 मीटर पहले पहुंची, तभी एक बाइक पर आए तीन लोगों ने उसे घेर लिया.
लड़की के मुताबिक, उन तीनों के नाम जीतेंद्र, ईशान और अरमान थे. बाइक जीतेंद्र चला रहा था, जबकि ईशान और अरमान पीछे बैठे थे. उसने बताया कि ईशान ने अरमान को बोतल थमाई और तीनों ने मिलकर उसके ऊपर तेजाब फेंक दिया. वो अपने बैग से चेहरा बचाने में सफल रही, लेकिन दोनों हाथ झुलस गए. पहले उसे दीपचंद बंधु और फिर राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला सुरक्षा से मामला जुड़ा था, इसलिए लोगों गुनहगारों को कड़ी सजा देने की मांग कर डाली.
पहला झोल: CCTV में नहीं दिखे 'हमलावर'
इस मामले की सूचना मिलते ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने मौके और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले. घटना स्थल पर कैमरा नहीं था, लेकिन आसपास की फुटेज में लड़की का पूरा रूट नजर आया. वीडियो में लड़की अपने भाई यूनुस के साथ स्कूटी पर घर से निकलती दिखी. यूनुस ने उसे कॉलेज से कुछ दूरी पर उतार दिया, जबकि कॉलेज महज कुछ सौ मीटर आगे था. लड़की ने फिर ई-रिक्शा ली और कुछ दूरी पर उतर गई. यहीं पुलिस को शक हो गया.
फोन लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड से पलटी कहानी
आखिर भाई ने उसे कॉलेज तक क्यों नहीं छोड़ा? वो बीच रास्ते में क्यों उतरी? पुलिस ने यूनुस को पूछताछ के लिए बुलाया, तो वो नदारद मिला. लेकिन बाद में उसे हिरासत में लिया गया तो उसके जवाब गोलमोल थे. इसी बीच पुलिस ने तीनों आरोपियों जीतेंद्र, ईशान और अरमान की मोबाइल लोकेशन ट्रैक कर लिया. यहीं से कहानी में सबसे बड़ा ट्विस्ट आया. जांच में पता चला कि जिस वक्त हमला बताया गया, उस वक्त जीतेंद्र करोल बाग में पेंटर का काम कर रहा था. वो सीसीटीवी में दिखाई दिया.
हमले के वक्त आगरा में थे ईशान और अरमान
इसके साथ ही उसकी लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड्स ने वहां उसकी मौजूदगी साबित कर दी. वहीं ईशान और अरमान की मोबाइल लोकेशन आगरा में मिली. पुलिस ने तीनों से संपर्क किया. ईशान और अरमान ने कहा कि वे आगरा में हैं और लौटने के बाद जांच में शामिल होंगे. जीतेंद्र रात में खुद थाने पहुंच गया. उसने लड़की को जानने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस ने करोल बाग साइट पर उसके साथियों से पूछताछ की, तो सबने बताया कि जीतेंद्र सुबह से वहीं काम कर रहा था.
सामने आई 'तेजाबी साजिश' की असली पटकथा
जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने तय कर लिया कि जीतेंद्र इस हमले में शामिल नहीं है. जैसे-जैसे पुलिस गहराई में गई, इस कहानी के असली चेहरे उजागर होने लगे. दरअसल लड़की के पिता अकील खान का नाम एक पुराने यौन शोषण और रेप केस में सामने आया था. दरअसल, जीतेंद्र की पत्नी पिछले कुछ वर्षों से अकील खान की मोजे की फैक्ट्री में काम करती थी. उसने आरोप लगाया था कि साल 2021 से 2024 के बीच अकील ने उसके साथ यौन शोषण किया. उसकी तस्वीरों से ब्लैकमेल किया.
लड़की के पिता ने ऐसे रची फंसाने की साजिश
इस मामले में भलस्वा डेयरी थाने में शिकायत दी गई थी. इसके अलावा, अकील का ईशान और अरमान से भी पुराना विवाद था. साल 2018 में अकील के रिश्तेदारों पर ईशान और अरमान की मां पर एसिड अटैक करने का आरोप लगा था. दोनों परिवारों में तब से रंजिश चली आ रही थी. इन सभी दुश्मनियों का बदला लेने के लिए अकील ने अपनी बेटी के साथ मिलकर एसिड अटैक की झूठी साजिश रचने की योजना बनाई. वो एक साथ जीतेंद्र, ईशान और अरमान को फंसाना चाहता था.
टॉयलेट क्लीनर से तैयार किया गया हमले का सीन
डीसीपी (नॉर्थ-वेस्ट) भीष्म सिंह के मुताबिक, जांच में सामने आया कि लड़की ने खुद पर टॉयलेट क्लीनर डाला था, ताकि हमला वास्तविक लगे. पुलिस ने जब सबूतों को जोड़ा तो सामने आया कि उसने खुद पर क्लीनर फेंका. उसके पिता अकील और चाचा वकील खान ने मिलकर पूरी साजिश को रचा. लड़की का भाई यूनुस उसे स्कूटर पर छोड़कर गया था और उसने ही जगह तय की जहां हमला दिखाया जाएगा. लड़की ने सड़क पर खुद पर क्लीनर डाला और तेजाब फेंकने का नाटक करने लगी.
पुलिस के 'एसिड टेस्ट' में फेल हुआ झूठ
डीसीपी ने बताया कि जांच में सबूतों की श्रृंखला जोड़ने के बाद साफ हुआ कि तीनों कथित आरोपी घटना के वक्त अलग-अलग जगह थे. जीतेंद्र करोल बाग में पेंटिंग का काम कर रहा था, जबकि दोनों भाई आगरा में थे. यह कोई एसिड अटैक नहीं बल्कि बदले की साजिश थी. अकील ने इस झूठी कहानी के जरिए साल 2018 के पुराने एसिड अटैक केस और हालिया रेप केस का बदला लेने की कोशिश की थी. सोमवार को पुलिस ने अकील को गिरफ्तार कर लिया. उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया.
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू
दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले में शामिल सभी लोगों लड़की, उसके पिता अकील, उसके चाचा वकील खान और भाई यूनुस के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है. उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 217 (झूठी जानकारी देकर किसी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश) और 61 (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया है. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि टॉयलेट क्लीनर कहां से खरीदा गया था और हमले का सीन कैसे तैयार किया गया. इस मामले की विस्तृत जांच जारी है.
आजतक ब्यूरो