Chhattisgarh: नारायणपुर की जंगली पहाड़ी पर हुई थी मुठभेड़, मौके से 6 लाख रुपये नकद, 11 लैपटॉप और विस्फोटक बरामद

पुलिस के अनुसार, यह मुठभेड़ 15 अप्रैल को कोहकामेटा थाना क्षेत्र के अंतर्गत कसोद और कुमुराडी गांवों के बीच एक जंगली पहाड़ी पर हुई थी, जहां जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 41वीं बटालियन की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी.

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ITBP और DRG के जवानों ने जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया ITBP और DRG के जवानों ने जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया

aajtak.in

  • नारायणपुर,
  • 18 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST

Narayanpur Forest Hill Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में तीन दिन पहले हुई मुठभेड़ की जगह पर सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान मौका-ए-वारदात से सुरक्षा बलों को नक्सलियों के 6 लाख रुपये नकद, 11 लैपटॉप और विस्फोटक बरामद हुए हैं. नारायणपुर पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

पुलिस के अनुसार, यह मुठभेड़ 15 अप्रैल को कोहकामेटा थाना क्षेत्र के अंतर्गत कसोद और कुमुराडी गांवों के बीच एक जंगली पहाड़ी पर हुई थी, जहां जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 41वीं बटालियन की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी.

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने अबूझमाड़ क्षेत्र के जंगल में वरिष्ठ माओवादियों की मौजूदगी की सूचना के आधार पर पदमकोट शिविर से अभियान शुरू किया था. पीटीआई के मुताबिक, पुलिस ने एक विज्ञप्ति में बताया कि करीब तीन घंटे तक गोलीबारी चली, जिसके बाद नक्सली अपना सामान छोड़कर मौके से भाग गए.

सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ स्थल से 6 लाख रुपए नकद, 11 लैपटॉप, 50 किलो बारूद, 30 किलो अन्य विस्फोटक सामग्री, 20 लीटर पेट्रोल, 20 लीटर डीजल, दो कुकर बम, सेल्फ लोडिंग राइफल (SLR) के 130 कारतूस, 12 बोर राइफल के 25 कारतूस, .303 राइफल के 18 कारतूस, कॉर्डेक्स वायर के दो बंडल और माओवादी वर्दी बरामद की है. 

पुलिस की विज्ञप्ति में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, दवाइयां, टिफिन बॉक्स, माओवादी साहित्य, जूते और दैनिक उपयोग की अन्य वस्तुएं भी मिली हैं. 

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पुलिस ने कहा कि घटनास्थल पर मिले खून के धब्बे बताते हैं कि मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गए या घायल हुए, लेकिन उनके साथी उन्हें जंगल के अंदर खींचने में कामयाब रहे. सुरक्षा बलों की इस कार्रवाई से न केवल नक्सलियों को भारी आर्थिक और सामरिक क्षति पहुंची है, बल्कि उन्हें यह स्पष्ट संदेश भी मिला है कि वे अब अबूझमाड़ के किसी भी इलाके में सुरक्षित नहीं हैं.

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