अतीक-अशरफ मर्डर: शूटरों ने होटल में छिपा रखे थे मोबाइल, निकालकर फेंक गए थे सिम कार्ड

Atiq Ahmed Murder: प्रयागराज में रेलवे स्टेशन और खुल्दाबाद थाने के बीच स्थित एक होटल में तीनों शूटर ठहरे थे. तीनों ने प्लान के मुताबिक अपना अपने सिम कार्ड मोबाइल से निकालकर फेंक दिए थे. हत्याकांड के बाद तीनों शूटर होटल पहुंचकर अपना सामान लेकर फरार होने की फिराक में थे. लेकिन तीनों ने भारी पुलिस फोर्स देख सरेंडर कर दिया.

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तीनों शूटर्स माफिया डॉन अतीक और अशरफ की रेकी के लिए जाते थे. तीनों शूटर्स माफिया डॉन अतीक और अशरफ की रेकी के लिए जाते थे.

अरविंद ओझा / सिमर चावला

  • प्रयागराज ,
  • 22 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

माफिया डॉन अतीक और अशरफ हत्याकांड में एसआईटी जांच तेज हो गई है. SIT ने होटल में छिपाए गए शूटरों के 2 मोबाइल फोन और एक चार्जर बरामद किया है. लेकिन मोबाइल में कोई सिम नहीं मिली. 

होटल के कमरे से बरामद मोबाइलों में एसआईटी को पुराने नंबर भी मिले हैं, जिसकी सीडीआर निकलवाई जा रही है. पुलिस आरोपियों के नंबर की सीडीआर से उनके आपस में बातचीत का डाटा तैयार कर रही है. पुलिस कॉल डिटेल के आधार पर साजिश में शामिल अन्य लोगों तक भी पहुंच सकती है.   

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दरअसल, पूछताछ में शूटर लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या ने एसआईटी का यह जानकारी दी थी कि प्रयागराज में रेलवे स्टेशन और खुल्दाबाद थाने के बीच स्थित एक होटल में वो तीनों ठहरे थे. तीनों ने प्लान के मुताबिक अपना अपनी सिम मोबाइल से निकालकर फेंक दी थीं. 

हत्या के बाद तीनों शूटर होटल पहुंचकर अपना सामान लेकर फरार होने की फिराक में थे. लेकिन प्लान बी के तहत तीनों ने भारी पुलिस फोर्स देखकर आत्मसमर्पण करने का फैसला लिया. 

शूटरों ने बताया कि वो ई-रिक्शा से माफिया डॉन अतीक और उसके भाई अशरफ की रेकी के लिए जाते थे. सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में आरोपियों ने अपने मोबाइल नंबर भी बताए हैं.  

कमरा नंबर-203

अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद Aajtak की टीम उस होटल में पहुंची, जहां तीनों शूटरो ठहरे थे. बता दें कि प्रयागराज के Hotel STAY INN में अतीक-अशरफ हत्याकांड की साजिश रची गई थी. लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या ने 13 अप्रैल को शाम 8:30 बजे होटल में चेक इन किया और कमरा नंबर-203 में रुके थे. 

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ई-रिक्शा से करते थे रेकी

होटल से ई-रिक्शा में सवार होकर शूटर रेकी के लिए निकलते थे. तीनों एक-एक करके ही बाहर जाते थे ताकि कोई किसी तरह का शक न करे. अतीक और अशरफ को जिस कचहरी में लाया जाता था, वहां भी तीनों ने रेकी की थी. शूटर 13 अप्रैल की शाम से अतीक और अशरफ का पीछा कर रहे थे. लेकिन उन्होंने हत्याकांड को अंजाम देने के लिए अस्पताल चुना, जहां अतीक-अशरफ को मेडिकल के लिए लाया गया था. 

अतीक-अशरफ हत्याकांड पर राजनीति तेज

उधर, उमेश पाल हत्याकांड के आरोपियों माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद राजनीति तेज हो गई है. अब यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि सच तो ये है कि अतीक की हत्या कराने का काम ही विपक्ष का है. कुछ गंभीर राज खुलने वाले थे, इसी डर से विपक्ष ने अतीक की हत्या कराई है. 

AIMIM विधायक का बयान

वहीं, महाराष्ट्र के मालेगांव से एआईएमआईएम विधायक और इस्लामी विद्वान मोहम्मद इस्माइल अब्दुल खालिक ने भी अतीक अहमद की हत्या पर यूपी सरकार पर हमला बोला है.

ओवैसी की पार्टी के विधायक ने कहा, ''अगर नाइंसाफी की तो भुगतान भुगतना पड़ेगा. और कैसे भुगतेंगे, वो आने वाले दिनों में पता चल जाएगा. यूपी का जो हाल है, उसे सब जानते हैं. लोग कानून को हाथ में ले रहे हैं. गुनहगार को कानून के हिसाब से सजा देनी चाहिए. लेकिन कानून को साइड में रखकर सजा देते हैं तो ये गलत है. आप सोचते हैं कि 2-4 लोगों को मारकर आप देश के मुसलमानों को डराएंगे, तो ये सिर्फ आपका ख्वाब है. हम तो मिट्टी से बने हैं और मिट्टी में ही मिलेंगे. लेकिन कोई हमें मिट्टी में मिलना चाहता है तो वो हमें हमारे वक्त से पहले मिट्टी में नहीं मिला सकता है.''

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