Crime Katha: अहमदाबाद के करीब एक इलाके के चार अलग अलग हिस्सों से पुलिस को चार थैलियां मिलती हैं. इन चारों ही थैलियों में एक ही लाश के चार अलग अलग टुकड़े थे. अब पुलिस हैरान थी कि आखिर कातिल की किसी से क्या दुश्मनी, जो लाश के टुकड़े शहरभर में फेंकता जा रहा है. पुलिस अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाती है और किसी तरह कातिल तक जा पहुंचती है. और जैसे ही कातिल का चेहरा और कत्ल की वजह सामने आती है, पुलिस हैरान रह जाती है.
18 जुलाई 2022, वासना इलाका, अहमदाबाद
सुबह का वक्त था. लोगों ने घर से निकलना शुरू ही किया था. तभी अचानक अहमदाबाद के वासना इलाके में एक खौफनाक मंजर देखकर लोग सहम गए. इलाके के लोगों ने देखा कि एक कूड़े के ढेर के पास एक लाश पड़ी है. जो बुरी तरह क्षत-विक्षत थी. हैरानी की बात ये है कि न तो उसका सिर था, न हाथ और न ही पैर. था तो बस धड़, जो सड़ने लगा था. यह मंजर इतना भयावह था कि आसपास के लोग दहशत में आ गए. पुलिस मौके पर पहुंची. छानबीन शुरू की. फॉरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया. बाद में लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजी गई. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी थी, लाश की पहचान, जो बिना चेहरे के मुमकिन नहीं थी. लिहाजा, ये केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया.
पुलिस ने उठाया ये कदम
अब पुलिस ने वासना इलाके में तफ्तीश शुरू की. आसपास लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई, लेकिन शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिला. लाश के आसपास कोई पहचान पत्र या मोबाइल भी नहीं था. फॉरेंसिक टीम ने डीएनए सैंपल लिए. डॉक्टरों ने बताया कि मौत चोटों से हुई लगती है, लेकिन सटीक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ही पता चलेगा. जब कोई नहीं हुआ तो पुलिस ने संदिग्धों की एक लिस्ट बनाई और नशेड़ियों पर फोकस किया.
गैंगवार की अफवाह
इसी दौरान शहर में अफवाहें फैलने लगीं कि यह गैंगवार का मामला हो सकता है. क्राइम ब्रांच के अधिकारी राघवजी पटेल ने अपनी टीम को अलर्ट किया. चार दिन बीत चुके थे, लेकिन कोई ब्रेकथ्रू नहीं था. अनजान शख्स की यह रहस्यमयी हत्या पूरे गुजरात में सुर्खियां बटोर रही थी. हर तरफ इस मामले को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था.
23 जुलाई 2022, एलिस ब्रिज इलाका, अहमदाबाद
ये वो दिन था, जब वासना से महज 3 किलोमीटर दूर एलिस ब्रिज इलाके में सनसनी फैल गई. वहां एक रेहड़ी वाले ने कूड़े के ढेर में एक संदिग्ध पॉलीथीन बैग पड़ा देखा, जिसमें से तेज बदबू आ रही थी. जैसे ही उस बैग को खोला गया, वहां मौजूद लोगों के होश उड़ गए. उस पॉलीथीन बैग में दो कटे हुए इंसानी पैर थे. पुलिस मौके पर आ चुकी था. सारा मंजर सामने था. पुलिस को शक हुआ कि ये वासना वाले धड़ के ही पैर हो सकते हैं. तुरंत उस साइट को सील कर दिया गया. फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स मौके पर पहुंचे बैग और उस जगह की जांच की, जहां खून के धब्बे भी मौजूद थे. पैरों की लंबाई और त्वचा का रंग वासना वाले धड़ से मैच कर रहा था. यह बरामदगी केस को नई दिशा दे रही थी. पुलिस ने इलाके में अलर्ट जारी किया. अब लग रहा था कि कातिल लाश को टुकड़ों में बांटकर फेंक रहा है. इस बात से शहर के लोग ज्यादा डर गए थे.
सीसीटीवी फुटेज में कैद संदिग्ध बुजुर्ग
दो इंसानी पैर मिलने के बाद पुलिस ने एलिस ब्रिज और आसपास के इलाके में लगे 50 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे स्कैन किए. इसी दौरान एक सीसीटीवी फुटेज में एक स्कूटर सवार बुजुर्ग दिखाई दिया, जो रात के अंधेरे में पॉलीथीन बैग फेंकता हुआ नजर आ रहा था. बुजुर्ग चेहरा ढका हुआ था, लेकिन स्कूटर का नंबर साफ दिख रहा था.
बस यही बात पुलिस के फेवर में गई. क्राइम ब्रांच ने वो स्कूटर नंबर ट्रेस कर लिया. पता चला कि वो स्कूटर गुजरात ट्रांसपोर्ट का पुराना वाहन है. पुलिस उसके मालिक तक जा पहुंची. उससे पूछताछ में पता चला कि दो हफ्ते पहले उसने वो स्कूटर आंबावाड़ी के एक बुजुर्ग को 10 हजार रुपये में बेच दिया था. अब पुलिस को सुराग मिल चुका था. तलाश थी उस बुजुर्ग की. पुलिस ने उसकी डिटेल्स निकाली. जांच को तेज किया गया.
संदिग्ध बुजुर्ग तक जा पहुंची पुलिस
स्कूटर खरीदने वाले बुजुर्ग का नाम एम. जानी था. उसकी उम्र 62 वर्ष थी. वह रिटायर्ड क्लास-2 ट्रांसपोर्ट अधिकारी था. पुलिस ने आंबावाड़ी में मौजूद उसके घर का पता लगाया. पता चला कि जानी अकेला नहीं था. ग्राउंड फ्लोर पर उसकी बहन रहती थी, जबकि वह ऊपरी मंजिल पर अपने बेटे हितेश के साथ रहता था. पूछताछ में जानी की बहन ने बताया कि हितेश कई दिनों से लापता है. पुलिस ने जानी से पूछताछ की. उसने कहा कि उसका बेटा नशे की लत में बाहर घूमता रहता है. उसकी बातचीत से पुलिस को शक हुआ. तब पुलिस ने उसके घर की तलाशी लेने का फैसला किया. यह कदम इस केस को हकीकत के ओर करीब ले गया. पुलिस की बात से जानी घबरा रहा था, लेकिन वो खामोश था. जांचकर्ताओं ने नोट किया कि उसका घर काफी साफ-सुथरा लग रहा था.
24 जुलाई 2022, आंबावाड़ी, अहमदाबाद
अब पुलिस यानी क्राइम ब्रांच की टीम ने पूरी तैयारी के साथ जानी के घर पर रेड की. इस दौरान उसके किचन में एक धारदार चाकू मिला, जिस पर सूखे खून के धब्बे थे. बाथरूम में ग्राइंडर मशीन पड़ी थी, जो हाल ही खरीदी गई लग रही थी. फर्श पर हल्के खून के निशान साफ दिख रहे थे, जिन्हें फॉरेंसिक टीम देखा और सैंपल लिया. अलमारी में हितेश के कपड़े और आईडी प्रूफ मौजूद थे. इसके बाद जांच टीम ने जानी को हिरासत में ले लिया. उसकी बहन ने पुलिस को बताया कि रातों में अजीब आवाजें आती थीं. अब वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को दोबारा चेक किया गया तो जानी ही स्कूटर पर दिखाई दिया. अब पिता पर ही पुलिस का शक गहरा गया. इस बीच जानी टूटने लगा. पूछताछ के दौरान जानी ने सफाई दी, लेकिन पुलिस का शक बरकरार था. पुलिस ने उसके फोन रिकॉर्ड्स चेक किए.
परिवार का दर्दभरा बैकग्राउंड
एम. जानी नाम का वो बुजुर्ग एक साधारण परिवार से था. पत्नी की मौत कई साल पहले हो चुकी थी. इकलौता बेटा हितेश 21 साल का था, जो गुजरात यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट था. लेकिन उसकी नशे की लत ने सब बर्बाद कर दिया था. हितेश रोज शराब और ड्रग्स मांगता था, अपने पिता को पीटता था. जानी रिटायरमेंट के बाद शांति चाहता था, लेकिन बेटे की हरकतों से वो तंग आ चुका था. जानी की बहन नीचे रहती थी, लेकिन वो ऊपर का दर्द नहीं जानती थी. पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि रोज उनके झगड़े होते थे. लेकिन जानी ने कभी शिकायत नहीं की. परिवार का यही दर्द एक हत्या का कारण बन गया. जानी अब बेटे की जान लेकर पछता रहा था.
क्या हुआ था वारदात की रात?
पूछताछ में जानी ने कबूल किया कि 18 जुलाई की रात हितेश और उनका झगड़ा हुआ था. हितेश ने नशा करने के लिए पैसे मांगे, जानी ने मना किया. गुस्से में हितेश ने लकड़ी से उस पर हमला कर दिया. जानी ने बचाव में पत्थर उठाया और 6-7 बार हितेश के सिर पर दे मारा. हितेश वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा और थोड़ी ही देर में उसकी जान चली गई. बेटे की मौत के बाद जानी घबरा गया. उसने सोचा कि पुलिस आएगी तो परिवार बर्बाद हो जाएगा. इसलिए उसने हितेश की लाश को ठिकाने लगाने का प्लान बनाया. यह कबूलनामा सुनकर पुलिसवाले भी हैरान थे.
लाश को टुकड़ों में काटा
हत्या के बाद जानी कालूपुर बाजार गया और इलेक्ट्रिक ग्राइंडर खरीदा. घर लौटकर 4-5 घंटे तक हितेश की लाश को काटा. सिर, दोनों हाथ, पैर धड़ से अलग कर दिए. फिर उसने धड़ को वासना में फेंका. बाकी पार्ट्स को पॉलीथीन बैग में पैक किया. वो रेकी के लिए कई जगह घूमा. जीवराज पार्क, परिमल गार्डन. कुल 12 घंटे इस काम में लगे. जानी ने कहा कि सबूत मिटाने के लिए उसने ये सब किया. पुलिस को ग्राइंडर पर खून लगा मिला. यह बेरहमी सुनकर डॉक्टर भी सिहर उठे. पोस्टमार्टम में चोटें कन्फर्म हुईं. जानी का यह कदम फिल्मी लग रहा था. पुलिस ने हितेश की लाश के सभी पार्ट्स रिकवर करने की कोशिश की.
भागने की नाकाम कोशिश
वारदातक को अंजाम देने के बाद जानी को शक था कि पुलिस उसके करीब आ रही है. लिहाजा 22 जुलाई को उसने घर छोड़ा और सूरत जा पहुंचा, वहां एक रिश्तेदार से मिला. फिर ट्रेन से गोरखपुर पहुंचा और वहां से नेपाल बॉर्डर. उसका प्लान था नया जीवन शुरू करना. लेकिन क्राइम ब्रांच ने ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए उसे ट्रैक किया. आरपीएफ ने स्टेशन पर घेराबंदी की तो जानी ने विरोध किया, लेकिन वो गिरफ्त में आ गया. उसके बैग से हितेश का फोटो भी बरामद हुआ. पुलिस की गिरफ्त में आने पर जानी रो पड़ा था. पुलिस ने कहा कि भागना बेकार है. अब कोर्ट में पेशी होगी. जानी ने पुलिस से कहा कि वो अपने बेटे को प्यार करता था. अब उसे पछतावा हो रहा है. 18 जुलाई की रात उसके लिए काला अध्याय बन गई.
कबूलनामा और सारे सबूत जुटे
पुलिस हिरासत में जानी ने सब कबूल कर लिया. वासना में मिला धड़ हितेश का ही था, डीएनए से भी कन्फर्म हो चुका था. एलिस ब्रिज से मिले पैर भी हितेश से मैच हो चुके थे. घर के सैंपल्स में मिला खून हितेश का ही था. सीसीटीवी में जानी साफ दिख रहा था. ग्राइंडर और चाकू फॉरेंसिक को भेजे गए. इस मामले में कोई अन्य आरोपी नहीं था. जानी ने कहा कि गुस्से में ये सब हुआ, कोई प्लान नहीं था. लेकिन डिस्पोजल प्लान्ड था. जानी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत केस दर्ज हुआ है. पुलिस ने कहा कि नशे की लत ने परिवार तोड़ा और पिता को कातिल बना दिया.
समाज के लिए सबक
केस सुलझने के बाद जानी को जेल भेज दिया गया. हितेश का अंतिम संस्कार राज्य सरकार ने करवाया, क्योंकि परिवार टूट चुका था. वो बहन अकेली बची थी. इस मामले के बाद गुजरात सरकार ने ड्रग कंट्रोल पर फोकस बढ़ाया. पुलिस को सराहना मिली. अहमदाबाद में सिक्योरिटी टाइट की जाने लगी. यह कहानी पिता-बेटे के रिश्ते की त्रासदी है और समाज के लिए चेतावनी कि नशे की लत समय रहते छोड़ दें.
परवेज़ सागर