सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 के चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव को उसकी बीमार मां से मिलने के लिए 8 मई तक अंतरिम जमानत दे दी. विकास यादव को इस मामले में अदालत ने 25 साल कैद की सजा सुनाई थी. तभी से वो जेल में अपनी सजा काट रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने यादव की मां की एम्स के डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच करने का निर्देश दिया है. साथ ही शीर्ष अदालत ने शर्तें लगाते हुए दोषी को गाजियाबाद में अपने घर तक ही सीमित रहने और कटारा की मां नीलम कटारा सहित मामले के गवाहों से संपर्क नहीं करने का फरमान सुनाया है.
देश की शीर्ष अदालत ने विकास यादव को एक लाख रुपये के जमानत बांड और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने की शर्त पर राहत दी है. विकास उत्तर प्रदेश के राजनेता डी पी यादव का बेटा है. उसके चचेरे भाई विशाल यादव को भी बिजनेस एग्जीक्यूटिव कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा दी गई थी.
दोनों ही विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंधों के खिलाफ थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे. इस हत्याकांड के एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकास और विशाल यादव को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी.
गौरतलब है कि दिल्ली जेल प्रशासन ने पिछले साल विकास यादव के आचरण को असंतोषजनक पाए जाने के बाद उसकी छूट के अनुरोध को खारिज कर दिया था.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि पीड़िता नीलम कटारा की सुरक्षा बढ़ाई जाए. नीतीश की मां नीलम कटारा ने अपनी और गवाहों की सुरक्षा सहित कई तर्कों के साथ विकास की अंतरिम जमानत पर रिहाई की अर्जी का विरोध किया था.
संजय शर्मा