ATS को देखते ही डेटा डिलीट करने लगा आरिफ, डायरी में कोडेड एंट्री और Swiss मैसेज एप... दिल्ली ब्लास्ट में नए खुलासे

फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ उमर और डॉ मुजम्मिल के कमरों से बरामद नोटबुक और डायरियों में कोडेड एंट्री, नाम और कई न्यमेरिकल सीक्वेंस हैं. ये एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है. इस बीच इस धमाके के लिंक कानपुर और हापुड के डॉक्टर और प्रोफेसर से जुड़ गया है.

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दिल्ली ब्लास्ट में अबतक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. (Photo: PTI) दिल्ली ब्लास्ट में अबतक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

दिल्ली धमाकों की जांच के सिलसिले में जब यूपी एटीएस मोहम्मद आरिफ मीर के ठिकाने पर पहुंची तो वह तुरंत अलर्ट हो गया. इस शख्स ने अपने मोबाइल से डाटा डिलीट करना शुरू कर दिया. लेकिन एटीएस के अधिकारियों ने इस शख्स को दबोच लिया. और वह अपने मकसद में नाकाम रहा. 

32 साल का मोहम्मद आरिफ मीर मेडिकल स्टूडेंट है और यूपी के कानपुर में पढ़ाई कर रहा था. 

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यूपी एटीएस के अधिकारी ने बताया कि बाद में एटीएस ने नजीराबाद के अशोक नगर स्थित आरिफ के किराए के मकान की तलाशी ली और पूछताछ के लिए उसे दिल्ली ले जाने से पहले फोरेंसिक जांच के लिए उसका मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया.

अधिकारी ने कहा, "दिल्ली विस्फोट मामले में पहले से गिरफ्तार लोगों से उसका आमना-सामना कराए जाने की संभावना है."

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के खगुर सदीवाड़ा इलाके का रहने वाला आरिफ जीएसवीएम की पूर्व प्रोफेसर डॉ. शाहीन सईद द्वारा किए गए खुलासे के बाद एटीएस के रडार पर आया, डॉ शाहीन को फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है. 

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में विस्फोट वाले दिन आरिफ़ डॉ. शाहीन के नेटवर्क से कथित तौर पर जुड़े लोगों के साथ संपर्क में था. इसमें उसका भाई परवेज भी शामिल था. 

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यूपी एटीएस ने इस मामले में जम्मू-कश्मीर के एक कॉलेज प्रोफेसर और मेडिकल छात्र को उत्तर प्रदेश के हापुड़ और कानपुर से हिरासत में लिया गया है. हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. फारुख को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया है. 

हापुड़ के एएसपी विनीत भटनागर ने कहा, "फारुख जीएस मेडिकल कॉलेज के प्रसूति विभाग में पढ़ाता था और लगभग एक साल से कॉलेज परिसर में ही रहता था.  उसे बुधवार रात परिसर से हिरासत में लिया गया."

अधिकारी ने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर का मूल निवासी है और उसने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की है.

वहीं मोहम्मद आरिफ मीर सरकारी गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड कार्डियक सर्जरी में प्रथम वर्ष का छात्र है. उसे यूपी एटीएस ने गुरुवार को एक अज्ञात स्थान से हिरासत में लिया. 

डॉ शाहीन से की बात, मास्टरमाइंड के संपर्क में भी था आरिफ

आरिफ हाल ही में जम्मू-कश्मीर भी गया था. जिससे शक और गहरा गया. सूत्रों के मुताबिक जब एटीएस के जवान उसके घर पहुचे तो उसने कथित तौर पर अपने फोन से डेटा डिलीट करने की कोशिश की, लेकिन समय रहते डिवाइस जब्त कर ली गई. 

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आरिफ के कॉल रिकॉर्ड और चैट के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि आरिफ इस ब्लास्ट के मास्टरमाइंड और अन्य संदिग्धों के साथ संपर्क में था. 

सूत्रों ने बताया कि जांचकर्ताओं ने आरिफ के लैपटॉप और फोन से डेटा बरामद किया जिसके बाद उसके सहयोगी जांच के दायरे में आ गए. 

जांच एजेंसियों का मानना ​​है कि इस ग्रुप ने मैसेज का आदान-प्रदान करने के लिए एक साझा ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया. आतंकवादी संगठन इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से बचने के लिए ऐसे तरीके अपनाते हैं. 

आरिफ के मकान मालिक कन्हैया लाल ने बताया कि ये डॉक्टर लगभग एक महीने से अपने बैचमेट अभिषेक के साथ उनके घर की दूसरी मंजिल पर रह रहे थे.

कन्हैया लाल के इस इमारत में छह फ्लैट हैं, जिनमें से दो में उनका परिवार रहता है और बाकी किराए पर दिए गए हैं.

कन्हैया लाल ने संवाददाताओं को बताया, "शाम करीब साढ़े सात बजे चार लोगों की एक टीम सीधे उनके कमरे में आई. उनके पास पहले से ही चाबियां थीं, उन्होंने पूरे कमरे की तलाशी ली, उसे फिर से बंद कर दिया और चुपचाप चले गए."

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की कि आरिफ को कानपुर में हिरासत में लिया गया था और बाद में आगे की पूछताछ के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों को सौंप दिया गया था. 

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दिल्ली में लाल किला के पास हुए धमाके में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है. इस टेरर मॉड्यूल में 7 कश्मीरी समेत 8 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

स्विटजरलैंड का मैसेजिंग एप

दिल्ली पुलिस ने 50 से ज़्यादा कैमरों की फुटेज का इस्तेमाल करके डॉ उमर के आखिरी घंटों को रिक्रिएट किया. जांचकर्ताओं ने पाया है कि तीनों आतंकी डॉ. नबी, जो विस्फोटकों से लदी हुंडई i20 कार चला रहा था, डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई और डॉ. शाहीन शाहिद ने कथित तौर पर आतंकी साजिश से जुड़ी अपनी गतिविधियों की योजना बनाने और कॉर्डिनेशन के लिए स्विट्जरलैंड स्थित एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप थ्रीमा का इस्तेमाल किया था. 

थ्रीमा एक सुरक्षित और गोपनीयता-केंद्रित इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप है. इसे स्विट्जरलैंड की कंपनी थ्रीमा जीएमबीएच द्वारा विकसित किया गया है. यह 2012 में लॉन्च हुआ था और मुख्य रूप से उन यूजर्स के लिए डिजाइन किया गया है जो अपनी डेटा प्राइवेसी को प्राथमिकता देते हैं. 

उमर ने अपने कामों को कॉर्डिनेट करने के लिए दो से चार सदस्यों वाला एक सिग्नल ऐप ग्रुप भी बनाया था. 

पुलिस सूत्रों के अनुसार लगभग आठ संदिग्ध चार शहरों में विस्फोट करने की योजना बना रहे थे और प्रत्येक शहर को निशाना बनाने के लिए दो-दो के ग्रुप में जाने की योजना बना रहे थे.

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डायरी में कोडेड एंट्री

अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर में डॉ. मुज़म्मिल (कमरा नंबर 13) और डॉ. उमर (कमरा नंबर 4) के कमरों से बरामद नोटबुक और डायरियों में 8 से 12 नवंबर के बीच कई कोडेड एंट्री, नाम और न्यमेरिकल सीक्वेंस हैं. इससे पता चलता है कि ये लोग हमलों की विस्तृत योजना बना रहे थे. इन्होंने विस्फोटक रखने के लिए किराए पर आवास भी लिए थे.

इनसे जब्त कागजातों में बार बार "ऑपरेशन" शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इससे हाई लेवल और कॉर्डिनेशन और ऑर्गनाइजेशन का संकेत मिलता है. जांच एजेंसियों को लगभग 25-30 व्यक्तियों के संदर्भ मिले हैं, इनमें मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ फरीदाबाद और आसपास के इलाकों के लोग भी शामिल थे. 

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