छांगुर बाबा के कथित धर्मांतरण नेटवर्क की परतें अब अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल लेवल तक पहुंच गई हैं. आज तक/इंडिया टुडे के हाथ लगे दस्तावेज़ों से एक बड़ा खुलासा हुआ है, बाबा के राजदार नवीन रोहरा ने पनामा में एक शैल कंपनी खड़ी की थी. उस कंपनी में विदेशी नागरिकों को जोड़ा गया, लेकिन असली ऑपरेशन भारत से ही चलाया गया. प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शक है कि इसी कंपनी के ज़रिए करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई है.
ED के हाथ लगे दस्तावेज़
जानकारी के मुताबिक़, छांगुर बाबा के खासमखास नवीन रोहरा ने साल 2003 में लोगोस मरीन एसए (LOGOS MARINE SA) नाम की एक कंपनी पनामा में रजिस्टर्ड कराई थी. ये कंपनी एक इंटरनेशनल शिपिंग ब्यूरो के ज़रिए रजिस्टर्ड हुई, जिसमें $10,000 यानी करीब 8.3 लाख रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी दिखाई गई थी. इसका पता भी साफ तौर पर बताया गया है- 30वीं स्ट्रीट, बाल्बोआ एवेन्यू, बिल्डिंग नंबर 39, पनामा सिटी.
कंपनी में विदेशी नागरिक, भारत से ऑपरेशन
इस शेल कंपनी में तीन विदेशी नागरिकों को जोड़ा गया था. एरियल रिकार्डो पाडिला गॉर्डन (अध्यक्ष), एनाबेल लोरेना लैंडिरेस मोंगे (कोषाध्यक्ष) और ब्रेंडा पाटियो डे टोरेस (सचिव). लेकिन ईडी का शक है कि ये सभी नाम सिर्फ दिखावे के लिए थे. असल में कंपनी का पूरा नियंत्रण नवीन रोहरा के ही हाथ में था, जो छांगुर बाबा का भरोसेमंद सहयोगी माना जाता है.
शिपिंग कंपनी की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग!
ईडी को पुख्ता जानकारी मिली है कि लोगोस मरीन एसए को एक शिपिंग कंपनी की तर्ज पर रजिस्टर कराया गया था, लेकिन इसका असल उद्देश्य कुछ और ही था. अधिकारियों को आशंका है कि इस ऑफशोर कंपनी के ज़रिए करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई. यह एक आम तरीका है, जिसमें विदेशी नागरिकों को नाममात्र की भूमिका दी जाती है और असली संचालन गुप्त रूप से किसी और के हाथों में होता है.
नवीन के ठिकानों से मिले दस्तावेज़
ईडी को यह सारे दस्तावेज़ नवीन रोहरा के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान हाथ लगे हैं. ये दस्तावेज़ साफ तौर पर दिखाते हैं कि लोगोस मरीन एसए के सारे अधिकार और नियंत्रण नवीन के पास ही थे. इससे अब बाबा छांगुर के धर्मांतरण और आर्थिक नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पुष्टि होती दिख रही है.
क्या है लोगोस मरीन एसए?
लोगोस मरीन एसए (LOGOS MARINE SA) नाम की ये कंपनी पनामा में साल 2003 में रजिस्टर्ड की गई थी। इंटरनेशनल शिपिंग ब्यूरो के माध्यम से इसे वैधानिक रूप दिया गया था। दस्तावेजों के अनुसार, कंपनी के गठन में $10,000 की अधिकृत शेयर पूंजी दिखाई गई। लेकिन इसकी वास्तविक गतिविधियां अब ईडी की निगरानी में हैं। ये भी माना जा रहा है कि कंपनी सिर्फ कागज़ों पर थी, असल में इसका इस्तेमाल अवैध वित्तीय लेनदेन के लिए होता था।
क्या है पूरा मामला?
छांगुर बाबा का नाम पिछले कुछ समय से धर्मांतरण के आरोपों में सामने आ रहा है. बाबा पर आरोप है कि उन्होंने एक संगठित नेटवर्क के ज़रिए आर्थिक लालच देकर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया. इस नेटवर्क में कई सहयोगियों के नाम भी सामने आ चुके हैं, जिनमें नवीन रोहरा एक प्रमुख नाम है. अब जब ये शेल कंपनी और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया है, तो ईडी की जांच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जा सकती है.
अरविंद ओझा