पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के बाद भड़की हिंसा के दौरान हुए बलात्कार के एक मामले में आरोपी को सीबीआई ने गाजियाबाद के इलायचीपुर में एक मस्जिद के पास से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी की पहचान मीर उस्मान अली उर्फ आरा के रूप में हुई है. वो पिछले चार साल से कानून की आंख में धूल झोंककर फरार चल रहा था. वो लंबे समय से लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था.
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, 4 मई 2021 को पश्चिम बंगाल चुनाव नतीजों के बाद फैली हिंसा के दौरान आरोपी ने पीड़िता के घर में घुसकर उसके साथ बलात्कार किया. 30 अगस्त 2021 को इस घटना की गंभीरता को देखते हुए ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. 5 मई 2022 को विशेष एससी/एसटी अत्याचार निवारण अदालत में आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया.
25 सितंबर 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी, लेकिन सीबीआई ने इसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने आरोपी और उसके वकील को नोटिस जारी किया, लेकिन बार-बार तारीख मिलने के बावजूद वे पेश नहीं हुए. अदालत आरोपी की लगातार गैरहाजिरी से नाराज हो गया. 2 अगस्त 2025 को उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया.
मस्जिद के पास से आरोपी गिरफ्तार
इसके साथ ही सीबीआई को निर्देश दिया कि आरोपी को हर हाल में 13 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए. सीबीआई की विशेष टीम ने तकनीकी इनपुट और स्थानीय नेटवर्क से मिली जानकारी के आधार पर गाजियाबाद के इलायचीपुर इलाके में दबिश दी. मंगलवार को एक मस्जिद के पास से आरोपी को घेरकर गिरफ्तार कर लिया गया. मंगलवार को उसे सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया गया.
मीर की गिरफ्तारी एक बड़ी सफलता
सीबीआई ने साफ किया है कि चुनाव बाद हिंसा से जुड़े गंभीर मामलों में फरार आरोपियों पर शिकंजा कसने की कार्रवाई तेज की गई है. मीर उस्मान अली की गिरफ्तारी को एजेंसी एक बड़ी सफलता मान रही है, क्योंकि वह न केवल बलात्कार का आरोपी था, बल्कि चार साल से कानून की पकड़ से दूर रहकर न्याय प्रक्रिया को चुनौती दे रहा था. पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान हिंसा आम बात मानी जाती है.
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