प्रयागराज में माफिया डॉन अतीक अहमद और अशरफ की जिस तरह से तीन नई उम्र के बदमाशों ने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी, उसे यूपी में माफियाराज की नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. इस हत्याकांड ने सरकार और प्रशासन दोनों के कान खड़े कर दिए हैं. पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन शूटर्स ने किसी के कहने पर इस वारदात को अंजाम दिया है? क्या कोई नया गैंग एक्टिव हो रहा है?
ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब खोजने के लिए और इस वारदात के असली मास्टरमांड तक पहुंचने के लिए पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है. इन माफिया ब्रदर्स की हत्या की जांच कर रही एसआईटी अब 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच प्रयागराज में फ्लाइट और दूसरे यात्रा के तरीकों से आने और जाने वालों की जांच शुरू कर दी है. इसके अलावा इसी अवधि के दौरान प्रयागराज में की गई सभी कॉलों को भी स्कैन किया जा रहा है, खासतौर से शाहगंज में की जाने वाली कॉल्स को.
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल में पुलिस कस्टडी में गोल मारकर हत्या कर दी गई थी. मीडिया पर्सन बनकर आए तीन हमलावरों ने चंद सेकंड में 18 राउंड फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी थी. हालांकि हत्या के बाद तीनों ने तुरंत सरेंडर भी कर दिया था. इन हमलावरों में एक लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है, जबकि अरुण मौर्य कासगंज का निवासी है. वहीं तीसरा आरोपी सनी हमीरपुर का रहने वाला है. हत्यारों ने वारदात को अंजाम देने के लिए जिगाना पिस्टल का इस्तेमाल किया था, जो भारत में बैन है. तीनों को 19 अप्रैल को प्रयागराज कोर्ट में पेश किया गया था, जिन्हें चार दिन के लिए पुलिस रिमांड में भेज दिया है.
रोडवेज बस से प्रयागराज पहुंचे थे हमलावर
एसआईटी अब इन हत्यारों के पिछले महीने किए गए कॉल्स की भी जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने कहा कि इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि तीनों का शहर या देश के अन्य हिस्सों से कोई संबंध था या नहीं. इसके अलावा यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि तीनों ने 12 अप्रैल को राज्य-रोडवेज बस से प्रयागराज पहुंचने के बाद मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था या नहीं.
सूत्रों के मुताबिक हमलावरों ने शुरू में दावा किया था कि वे अतीक के गिरोह को खत्म कर अपना नाम बनाना चाहते थे. उन्होंने वारदात के लिए अस्पताल परिसर का मुआयना किया और हत्याओं को अंजाम देने के लिए इसे सबसे सुरक्षित साइट पाया था.
आरोपियों का कहना है कि उनका प्लान तो अतीक को उस दिन मारना था, जिस दिन (13 अप्रैल) उसे कोर्ट में पेश किया गया था लेकिन भारी पुलिस बल होने के कारण उन्होंने अगले दिन का प्लान बनाया लेकिन जब 14 अप्रैल को भी भारी फोर्स अतीक के साथ दिखी तो उन्होंने 15 अप्रैल को कॉल्विन हॉस्पिटल में मौका पाते ही उनकी हत्या कर दी.
- तीनों शूटर्स के पास मोबाइल फोन क्यों नहीं थे?
- बिना फोन के तीनों शूटर्स आपस में संपर्क कैसे करते थे
- दो विदेशी पिस्टल थी,मगर फोन एक भी नहीं ऐसा क्यों ?
- जिगाना पिस्टल शूटर्स के पास आई कहां से?
- कैसे मालूम चला कि अतीक और अशरफ को लाया जा रहा है ?
- क्या शूटर्स के साथ चौथा शख्स भी था?
- क्या वो चौथा शख्स शूटर्स का हैंडलर था?
- क्या हैंडलर का इशारा मिलते ही उन्होंने अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतार दिया?
पुलिस ने एक दिन पहले तीनों हत्यारों से 8 घंटे पूछताछ की थी. पुलिस का कहना है कि इन तीनों में सनी सिंह सबसे खतरनाक है. उसने पुलिस को बताया कि दिल्ली के एक गैंगस्टर ने मई 2021 में जिगाना पिस्टल दी थी. सनी सिंह ने कहा कि वो डॉन है और उसका कोई आका नहीं है. सुंदर सिंह भाटी गैंग से करीबी पर वो बोला कि हमीरपुर जेल में रहते हुए वो भाटी गैंग के संपर्क में आया था. उधर, दूसरे शूटर अरुण मौर्य ने बताया कि उसे पानीपत में रहने वाले एक दोस्त ने पिस्टल दी थी. हालांकि, उसे पता नहीं था कि ये पिस्टल 10 लाख रुपये की है. मगर, ये जरूर मालूम था कि जिस पर इससे फायरिंग की जाएगी, वो बचेगा नहीं.
तीसरे शूटर लवलेश तिवारी से भी पुलिस ने पूछताछ की और बताया कि उसने पैसे और फेमस होने के लिए अतीक और अशरफ को मारा. लवलेश ने खुद को कट्टर हिंदूवादी और परशुराम का वंशज बताया है. बता दें कि तीनों ने 15 अप्रैल की रात प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में अतीक-अशरफ की हत्या की थी.
शूटर्स ने जिस तरह से हमला किया, उससे पुलिस विभाग और विशेषज्ञ काफी हैरान हैं. दरअसल शूटर्स की मूवमेंट, शूटर्स की पोजिशन, बॉडी बैलेंस, जिस्म के अहम हिस्सों को निशाना बनाना, फायरिंग पैटर्न और एक शूटर का लेफ्ट हैंड शूटिंग यानी बायें हाथ से फायरिंग करना इस ओर इशारा करता है कि शूटर्स ट्रेंड थे. कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस तरह से कोई शूटर तभी गोलियां चला सकता है, जब उन्होंने ऐसे काम के लिए लंबी तैयारी की हो और प्रैक्टिस के तौर पर सैकड़ों राउंड गोलियां चलाई हों. ये सबकुछ बिना ट्रेनिंग के मुमकिन नहीं है?
हमले के वक्त शूटर्स ने जो पोजिशन ले रखी थी, उसने भी पुलिस का ध्यान अपनी ओर खींचा है. हमलावरों ने तीन तरफ से घेरकर दोनों भाइयों को निशाना बनाया. शूटर्स ने इस बात का भी ध्यान रखा कि कोई क्रॉस फायरिंग ना हो और गोली टारगेट के अलावा किसी दूसरे को ना लगे.
सिमर चावला