अमेरिका के एक पादरी ने इसी साल 14 मार्च को सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उस पादरी ने भविष्यवाणी की थी कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर एक जानलेवा हमला होगा. और उस हमले के दौरान गोली उनके कान को छेदते हुए निकल जाएगी. कमाल देखिए कि चार महीने बाद डोनाल्ड ट्रंप पर ठीक उसी तरह हमला हुआ. अब सवाल ये है कि आखिर ट्रंप पर हुए हमले की सच्चाई क्या है?
अमेरिका, पेन्सिलवेनिया राज्य, बटलर सिटी - शाम 6 बजे
इसी साल नवंबर में होने वाले अमेरिकी प्रेसिडेंट चुनाव के लिए रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार व्हाइट हाउस पहुंचने के लिए चुनावी कैंपेन पर थे. बटलर में अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे. मंच के सामने तमाम रिबप्ल्किन समर्थक मौजूद थे. जबकि स्टेज पर ट्रंप समेत उनकी हिफाजत में तैनात सीक्रेट सर्विस के एजेंट. अभी ट्रंप बोल ही रहे थे कि अचानक गोलियों की आवाज सुनाई देती है. शायद एक गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूती हुई निकल गई थी. बोलते-बोलते ट्रंप को अहसास हुआ उनके कान में कुछ हुआ है.
ट्रंप के हाथों पर खून, सीक्रेट सर्विस का एक्शन
अचानक जब वो अपना हाथ कान की तरफ ले जाते हैं, तो हाथों में खून नजर आता है. खून देखते ही ट्रंप नीचे की तरफ झुकते हैं. सीक्रेट सर्विस के लोग चारों तरफ से उन्हें घेर चुके थे. पर गोलियां अब भी चल रही थी. समर्थक चीख चिल्ला रहे थे. जिस जगह ट्रंप की ये चुनावी रैली थी, वो पूरी तरह से एक खुली जगह थी. मंच के पीछे की जगह एक बड़ा सा वेयरहाउस यानी गोदाम है. बांयी तरफ भी एक गोदामनुमा जगह है. जबकि मंच के दांयी तरफ फैक्ट्रियां हैं. जिस तरह से ट्रंप की दांयी कान पर गोली लगी थी, उससे सीक्रेट सर्विस को फौरन अंदाज़ा हो गया था कि शूटर दांयी तरफ ही कहीं है. और दांयी तरफ आड़ लेकर शूट करने की ऊंची जगह बस यही फैक्ट्री हो सकती थी.
ऐसे मारा गया हमलावर
सीक्रेट सर्विस और बाकी स्टाफ की एक टीम ट्रंप को फौरन कड़ी सुरक्षा में लेकर अस्पताल की तरफ भागती है. जबकि सीक्रेट सर्विस की दूसरी टीम उस फैक्ट्री की तरफ जहां से गोली चली थी. सीक्रेट सर्विस के वहां पहुंचते ही एक बार फिर से गोलियों की आवाज सुनाई देती है. इस बार गोली बारी सीक्रेट सर्विस और शूटर के बीच हो रही थी. कुछ ही देर बाद गोलियों की आवाज शांत हो जाती है और फिर ऐलान होता है कुछ पल पहले ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ था. जिसमें वो बाल-बाल बच गए और हमलावर को मार गिराया गया.
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ चलाई गईं कुल 8 राउंड गोलियां
ट्रंप का निशाना लेकर उनकी तरफ कुल 8 राउंड गोलियां चलाई गई थी. इस हमले में ट्रंप के एक समर्थक की मौत हो गई. मंच पर जिस जगह डोनाल्ड ट्रंप खड़े थे और जिस जगह से शूटर ने उन पर गोली चलाई थी, उन दोनों के बीच की कुल दूरी 137 मीटर थी. जाहिर है इतनी दूरी से सटीक निशाना या तो किसी स्नाइपर गन या फिर असॉल्ट राइफल से ही लगाया जा सकता था.
असॉल्ट राइफल एआर-15 से किया गया था हमला
इत्तेफाक से शूटर की मौत के बाद इस सवाल का जवाब भी मिल गया. उसके पास से असॉल्ट राइफल एआर-15 बरामद हुई. इस असॉल्ट राइफल से चार सौ से लेकर छह सौ मीटर तक की दूरी पर निशाना लगाया जा सकता है. असॉल्ट राइफल एक बार में कई राउंड गोलियां दाग सकती है. एफबीआई के मुताबिक इस राइफल के पहली बार में शूटर ने तीन राउंड गोली चलाई. कान में गोली लगने की वजह से जब ट्रंप झुके तो इसके बाद उसने पांच राउंड और फायर किया. शायद ये असॉल्ट राइफल ही था, जिसने ट्रंप की जान बचा ली.
घातक हो सकती थी स्नाइपर गन
एक्सपर्ट्स की मानें तो जिस दूरी और जिस हाइट पर शूटर मौजूद था, वहां से अगर असॉल्ट राइफल की जगह वो कोई भी सामान्य स्नाइपर गन का इस्तमेाल करता तो निशाना चूकने की गुंजाइश न के बराबर होती. दरअसल राइफल के चेंबर में एक साथ कई गोलियां होती हैं, जिसकी वजह से इसकी स्टैबलिटी उतनी अच्छी नहीं होती, जबकि स्नाइपर गन से एक बार में एक ही फायर किया जा सकता है. इसीलिए इसकी स्टैबलिटी और निशाना चूकने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं होती. अगर शूटर अच्छा हो, तब तो बिल्कुल भी नहीं.
सीक्रेट सर्विस के 75 एजेंट करते हैं पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा
अब आइए एक बार फिर से इस पूरी जगह और इसके इर्द गिर्द की हर चीज पर बारीकी से नजर दौड़ाते हैं. ये जगह-जगह कुछ-कुछ एंपी थियेटर जैसी नजर आ रही है. डोनाल्ड ट्रंप रिपबल्किन पार्टी के प्रेसिडेंट कैंडिडेट होने के साथ-साथ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति भी हैं. पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते उनके पास हमेशा सुरक्षा का एक जबरदस्त घेरा होता है. इस घेरे में सीक्रेट सर्विस से कुल 75 लोग होते हैं. सीक्रेट सर्विस के अलावा वो जहां-जहां जाते हैं, वहां की लोकल पुलिस और एफबीआई की सुरक्षा भी उन्हें हासिल होती है.
मंच की बांयी तरफ नहीं तैनात था कोई स्नाइपर
अमूमन अमेरिकी रष्ट्रपति या पूर्व राष्ट्रपति जब कभी इस तरह किसी पब्लिक मीटिंग में हिस्सा लेता है तो सिर्फ आगे पीछे या दांये बांये की खुली जगह ही नहीं बल्कि वहां मौजूद हर ऊंची बिल्डिंग और रिहायशी इलाका हो, तो घर की छत पर बाकायदा स्नाइपर तैनात किए जाते हैं. लेकिन हैरत की बात ये है कि ट्रंप जिस मंच से भाषण दे रहे थे, उसके ठीक पीछे मौजूद गोदाम की छत पर तो स्नाइपर तैनात थे. यहां तक कि मंच की बांयी तरफ बने इस गोदाम को भी सीक्रेट सर्विस ने सुरक्षा घेरा में ले रखा था, लेकिन मंच की बांयी तरफ 137 मीटर दूर इस फैक्ट्री या इसकी छत पर कोई स्नाइपर तैनात नहीं था. शायद सीक्रेट सर्विस को यकीन ही नहीं था कि इतनी दूरी से कोई ट्रंप को अपना निशाना बना सकता है. या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि इस जगह जगह को जानबूझ कर खुला छोड़ दिया गया हो.
सभा में ट्रंप ने नहीं किया टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल
ट्रंप आम तौर पर अपनी सभाओं में टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल करते हैं. यानी भाषण देने के लिए वो अपनी बातें या प्वाइंटर पहले से ही तैयार कर लेते हैं. लेकिन पेन्सिलवेनिया की इस सभा में उन्होंने ऐसा नहीं किया. बल्कि सभास्थल पर आने के बाद ही उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि मैं आज टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल नहीं करूंगा और आपसे सीधा संवाद करूंगा. और इत्तेफाक देखिए कि उन्होंने ये बात कही और तभी एक गोली उनके कान को छूती हुई निकल गई.
इस वजह से चूका हमलावर का निशाना
जानकारों का कहना है कि अगर ट्रंप टेलीप्रॉम्पटर से पढ़ रहे होते, तो उनका सीधा फोकस टेलीप्रॉप्टर पर ही होता. और उनका सिर एक जगह पर स्थिर होता. जिससे गोली चलती तो सीधे उनके सिर में लग सकती थी. लेकिन टेलीप्रॉम्पटर ना होने की वजह से वो अपने सामने तीन तरफ बैठे लोगों से अलग-अलग मुखातिब होने के लिए अपना सिर बार-बार घुमा रहे थे. जिससे हमलावर का निशाना चूक गया और गोली सिर में लगने की जगह कान को छूती हुई निकल गई. तस्वीरों से साफ कि जिस वक्त ट्रंप के कान में गोली लगी ठीक उसी वक्त उनका सिर घूमा था.
सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप
जैसा कि होता है ट्रंप के ऊपर हुए इस हमले के बाद अमेरिका में इल्जामों का दौर भी शुरू हो गया. चुनाव इसी साल नवंबर में है. और मुकाबला जो बाइडन और ट्रंप के बीच ही है. और इस हमले के लिए दोनों ही एक-दूसरे पर इल्ज़ाम भी लगा रहे हैं. खास कर सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी चर्चा है कि आखिर गोली कान को छू कर कैसे निकल गई. मतलब इशारों इशारों में ये भी इल्जाम लगाए जा रहे हैं कि चुनाव में सहानुभूति पाने के लिए खुद ट्रंप ने ही खुद पर ये हमला करवाया. जबकि रिपब्लिकन समर्थकों का कहना है कि ट्रंप पर ये हमला बाइडन प्रशासन ने करवाया है. पर सवाल है कि क्या ऐसा मुमकिन है?
सीक्रेट सर्विस के साथ-साथ FBI की कमियां उजागर
ट्रंप के भाषण की जगह पर मंच के ठीक पीछे और दांये सीक्रेट सर्विस का होना और बांयी जगह को खाली छोड़ देना सवाल तो उठाता है. ना सिर्फ सवाल उठाता है, बल्कि दुनिया भर में मशहूर सीक्रेट सर्विस की नाकामियों को भी उजागर करता है. सीक्रेट सर्विस के साथ-साथ एफबीआई की भी कमियां उजागर होती हैं. पर अगर ये नाकामी और कमियां नहीं है, तो फिर ये मुमकिन हो सकता है कि इस हमले को बाइडन प्रशासन के अंदर के लोगों ने ही अंजाम दिलवाया है. पर चुनाव से चार महीने पहले ऐसा हमला करवा कर कोई भी प्रशासन सामने वाले को सहानुभूति हासिल करने का मौका क्यों देगी? हालांकि शूटिंग के वीडियो को देख कर बाकी लोगों के साथ-साथ खुद एलन मस्क ने भी सवालिया अंदाज में हैरानी जताई है.
बाइडन सरकार के अधीन आती है सीक्रेट सर्विस
अब बात दूसरे इल्जाम की कि क्या सचमुच खुद ट्रंप खुद पर ये हमला करवा सकते हैं? डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति हैं. और अब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार. पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीक्रेट सर्विस के पास है. और ये सीक्रेट सर्विस अमेरिकी फेडरल एजेंसी का एक हिस्सा है. और वो एजेंसी सीधे बाइडन सरकार के अधीन आती है. सीक्रेट सर्विस के अलावा लोकल पुलिस और एफबीआई भी पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होती है. पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा में 75 अधिकारी चौबीसों घंटे तैनात रहते हैं. उनकी आवाजाही के लिए स्पेशल फोर्स साथ होती है.
खुद ट्रंप ने करवाया हमला?
अब मान लीजिए अगर इस हमले को खुद ट्रंप ने अंजाम दिलवाया हो, तो इसका मतलब है कि उन्होंने ऐसा सीक्रेट सर्विस और उनकी सुरक्षा में लगी तमाम सुरक्षा एजेंसियों को अंधेरे में रख कर किया है और ऐसा मुमकिन नजर नहीं आता. और इन सबसे बड़ी बात ये कि ऐसी साजिश रचने वाला कोई भी शख्स कम से कम इतना बड़ा रिस्क नहीं उठाएगा कि शूटर को कान पर गोली मारने को कहेगा. इंच से भी कम निशाना इधर से उधर हुआ तो मौत यकीनी है. ऐसे में कोई कितना भी अच्छा शूटर हो, फिर भी कोई अपनी जान जोखिम में नहीं डालेगा.
रिपब्लिकन का समर्थक था हमलावर
अगर राजनीति से अलग ये सचमुच एक जानलेवा हमला ही था, तो फिर वो हमलावर कौन था? ट्रंप से उसकी क्या दुश्मनी थी? इतनी दूर से उसने गोली क्यों चलाई? तो एफबीआई जो इस मामले की जांच कर रही है, उसने कुछ शुरुआती खुलासे किए हैं. थॉमस मैथ्यू क्रूक्स है. उम्र सिर्फ 20 साल. पेन्सिलवेनिया के पिट्सबर्ग का रहने वाला थॉमस 2022 में ही हाई स्कूल से ग्रैजुएट हुआ. पढ़ने लिखने में बेहद होशियार थॉमस ट्रंप की ही पार्टी रिपब्लिकन का समर्थक था. बाकायदा रजिस्टर्ड समर्थक था.
पिता की राइफल से किया था हमला
थॉमस को अजीब अजीब कपड़े पहनने का शौक था. जिसकी वजह से स्कूल में उसके साथी उसका मजाक उड़ाया करते थे. कई मौकों पर तो वो हंटिंग आउटफिट पहुंच कर ही स्कूल पहुंच गया था. मैथ्यू ने जिस हथियार से ट्रंप पर हमला किया था. वह राइफल उसके पिता ने खरीदी थी. उसके पिता ने छह महीने पहले यह राइफल खरीदी थी. मैथ्यू ने हमले के समय बंदूक और डेमोलिशन कंटेंट के लिए लोकप्रिय एक यूट्यूब चैनल डेमोलिशन रैंच की टीशर्ट पहनी हुई थी. इस यूट्यूब के लाखों सब्सक्राइबर हैं. इस चैनल ने अलग-अलग तरह की बंदूकों और विस्फोटकों के वीडियो अपलोड किए हुए हैं.
पढ़ाई में अच्छा था हमलावर
थॉमस के साथ स्कूल में पढ़ने वाले उसके साथियों का कहना है कि वह अकेला (Loner) ही रहता था. ना तो वह किसी से घुलता-मिलता था और ना ही कोई उनके साथ रहता था. मैथ्यू के साथ पढ़ने वाले एक छात्र का कहना है कि मैथ्यू को हमेशा टेस्ट में अच्छे नंबर मिलते थे. उसे हिस्ट्री बेहद पसंद थी. सरकार या इतिहास से जुड़ी चीजें जानने में उसे उत्सुकता रहती थी. उसे टीचर्स भी पसंद करते थे. लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद अभी तक ये पता नहीं चला है कि जिस रिपब्लिकन पार्टी का वो रजिस्टर्ड समर्थक था, उसी पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को उसने निशाना क्यों बनाया?
अभी तक सामने नहीं आई कोई साजिश, FBI का दावा
हालांकि शुरुआती जांच के बाद एफबीआई का कहना है कि शूटआउट में थॉमस अकेला ही था. किसी साथी या किसी और साजिश की बात अब तक सामने नहीं आई है. लेकिन ये सवाल अपने आप में अजीब है कि बिना किसी वजह से या बिना किसी साजिश के थॉमस ने ट्रंप पर गोली क्यों चलाई? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि अगर थॉमस अकेला था, तो सीक्रेट सर्विस उसे घेर कर उसे जिंदा भी पकड़ सकती थी. ऐसे में साजिश की सारी कहानी सामने आ जाती. लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं और ट्रंप के गोली लगने के फौरन बाद थॉमस को भी ढेर कर दिया गया.
सच हो गई पादरी की भविष्यवाणी
वैसे ट्रंप पर हुए इस जानलेवा हमले के बाद एक अमेरिकन पादरी का चार महीने पुराना एक वीडियो अचानक वायरल हो उठा है. इस वीडियो में उन्होंने चार महीने पहले ही ये भविष्यवाणी की थी कि ट्रंप पर हमला होगा और गोली कान को छूती हुई निकल जाएगी. दरअसल, इसाई पादरी बैंडन बिग्स ने 14 मार्च 2024 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला था, इस वीडियो में वो कहते हैं कि मैंने ट्रंप पर जानलेवा हमला देखा है, मैंने देखा है कि बुलेट उनके कान को छेदती हुई चली गई. यह गोली उनके सिर के इतने नजदीक से गई कि इससे उनके कान के पर्दे फट गए. मैंने ये भी देखा कि वह इस बीच जमीन पर गिरे और भगवान को याद करने लगे. कमाल है जो बात 14 मार्च को पादरी ने कही थी, 14 जुलाई को ठीक वैसा ही सबकुछ हुआ. वैसे इसी वीडियो में ब्रैंडन बिग्स ने आखिर में एक और लाइन भी कही थी. और वो ये कि उन्होंने ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव जीतते हुए भी देखा है.
aajtak.in