एक चोरी, 3 बदमाश, 3 बैग और 3 गोली... हैरान कर देगी वाराणसी पुलिस के फिल्मी एनकाउंटर की ये दिलचस्प कहानी

वाराणसी में एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस का फिल्मी स्टाइल देखने को मिला. जहां गोली खाए तीन अपराधी कैमरे पर एक्टिंग कर रहे थे. हर सीन में स्क्रिप्ट दोहराई गई. हर अपराधी की जेब से एक जिंदा कारतूस निकला. दरअसल, ये दिलचस्प कहानी संकटमोचन मंदिर में हुई चोरी के मामले से जुड़ी है. जिसमें पुलिस का चौंकाने वाला शूटिंग स्टाइल देखने को मिला.

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रोशन जायसवाल

  • वाराणसी,
  • 29 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

Varanasi Filmy Police Encounter: जुर्म की जो फिल्मी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, उसकी शुरूआत होती है एक एनकाउंटर के बाद. फिल्म की शूटिंग के लिए एक लोकेशन चुनी जाती है, शायद वो वही जगह थी, जहां वो एनकाउंटर हुआ था. शूटिंग शुरू होने से पहले फिल्म के तीन अहम किरदारों का मेकअप किया जाता है. पैरों पर कपड़े बांधे जाते हैं, क्योंकि पैरों पर गोली जो लगी थी. इसके बाद बारी-बारी से तीनों किरदारों को जमीन पर लेटा दिया जाता है. फिर तीनों के करीब एक-एक बैग रखा जाता है. और अब बस इंतजार था- लाइट, कैमरा और एक्शन का. इसके बाद एक ओके बोला जाता है और फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाती है.

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यूपी के पुलिसवालों ने शायद कभी किसी पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी से ट्रेनिंग ली हो. वाराणसी के कुछ पुलिसवालों को देखकर बस यही गुमान होता है, जैसे ये सब के सब वो कलाकार हैं, जो एनएसडी से पासआउट हैं. एनएसडी बोले तो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा. मजाक नहीं कर रहे हैं. अब आगे आपको जो फिल्मी कहानी बताने जा रहे हैं, उसे देखने के बाद आप भी इनके लाइट, कैमरा, एक्शन और डायलॉग के फैन हो जाएंगे. तो चलिए चलते हैं यूपी पुलिस की सबसे ताजा तरीन फिल्म की शूटिंग लोकेशन पर. लोकेशन है वाराणसी का एक सुनसान इलाका.

टेक वन सीन कुछ यूं है कि एक शख्स जमीन पर पड़ा है. पड़ा क्या आराम से लेटा हुआ है. उसके बाएं पैर में घुटनों के नीचे नीले रंग का एक कपड़ा बंधा है. बाईं तरफ ही सर के बराबर में एक बैग रखा हुआ है. आसपास कुछ पुलिसवाले हैं. चूकि ये एक एक्शन सीन है लिहाजा ये पुलिसवाले भाई साहब हाथ में पिस्टल पकड़े हुए हैं. और उसी पिस्टल से इशारा करते हुए जमीन पर पड़े शख्स से बैग खोलने के लिए कहते हैं. अब चलिए डायलॉग के साथ इस पूरे सीन को समझते हैं. सीन के चक्कर में डायलॉग सुनना भूल मत जाइएगा, खासकर ओपनिंग लाइन. कैमरे के पीछे खड़ा कैमरामैन जैसे ही ओके बोलता है सीन शुरु हो जाता है. 

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शूटिंग शुरु होने से पहले गोली खाए इस बदमाश को शायद उसका डायलॉग अच्छी तरह याद कराया गया था. इसलिए क्या मजाल जो वो दूसरा टेक देता. बाएं पैर पर गोली खाए अपराधी के बैग से कितनी आसानी से चोरी का माल बाहर निकल आता है, वो अपना जुर्म कबूल करता है. अब बारी अगले सीन की. इस सीन में गोली खाकर जमीन पर पड़े एक अपराधी को अब खड़ा होना था. दो पुलिस वाले उसे सहारा देकर खड़ा कर देते हैं. अब सीन कुछ यूं है कि बैग के बाद इसकी जामा तलाशी ली जाती है. 

इस फिल्म में इस अपराधी का रोल बस इतना ही था. पर अगली लोकेशन की तरफ बढ़े उससे पहले कुछ देर के लिए ये जरूर याद रखिएगा कि जामा तलाशी के दौरान इसकी बाईं जेब से एक चेन के साथ साथ एक राउंड यानि एक कारतूस मिला है. कारतूस वाली बात याद रखिएगा. आगे की फिल्म देखने के दौरान ये काम आएगा तो चलिए दूसरी लोकेशन पर चलते हैं.

दूसरी लोकेशन पहली लोकेशन के बस बराबर में है, थोड़ा सा कैमरा एंगल चेंज हुआ और कैरेक्टर कैमरे में कैद. जमीन पर लेटा एक क्रिमिनल कलाकार पहले वाले के मुकाबले कहीं ज्यादा अच्छा एक्टर नजर आ रहा है. चारों तरफ पुलिस है. पुलिस के पास हथियार. लेकिन अपराधी के इत्मिनान का आलम देखिए कि चारों तरफ से पुलिस से घिरा होने और दाएं पैर में गोली खाने के बावजूद बड़े आराम से सिर के नीचे हाथ रखकर बेफिक्र लेटा हुआ है. इस सीन में भी इसके बराबर में एक बैग रखा हुआ है. बैग अभी तक बंद है. खोलकर चेक तक नहीं किया गया. क्योंकि चेकिंग कैमरे पर होनी थी. इस सीन की शुरुआत भी उसके और उसके बाप के नाम पूछने से होती है. इस बैग से भी काफी माल बरामद होता है. बंदा जमीन पर घायल पड़ा है पर पुलिस की मासूमियत देखिए बैग भी उसी से खुलवा रहे हैं और माल भी उसी से निकलवा रहे हैं. अब इस सीन को समझते हैं. 

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तो ये दूसरा सीन भी लगभग पहले वाले सीन जैसा ही था. पहले वाले के बाएं पैर में गोली लगी हुई थी, इसके दाएं पैर में. उसके पास भी एक बैग था, इसके पास भी एक बैग है. उस बैग में भी चोरी का माल, इस बैग में भी चोरी का माल है. बस फर्क इतना था कि इस सीन में इस अपराधी के करीब एक कट्टा पड़ा हुआ था, जिसे सर्किल में दिखाया गया. अब पहले सीन की तरह ही बैग की तलाशी के बाद इसकी भी जामा तलाशी ली जानी थी. जामा तलाशी का ये सीन अब शुरु होता है.

इस आरोपी को भी दो पुलिसवाले सहारा देकर खड़ा करते हैं. अब जामा तलाशी शुरु होती है. उसकी जेब से भी मोबाइल, पर्स, पैसे सब मिलते हैं. पर तलाशी ले रहा पुलिसवाला शायद अपना सीन ठीक से नहीं समझ पाया था. सारी जेबें टटोलने के बाद भी वो एक चीज अभी नहीं निकाल पाया था. जो डायरेक्टर कैमरे पर दिखाना चाहता था. तब डायरेक्टर को खुद बोलना पड़ता है- ई वाला जेब निकालो ना, खोलो इसमें क्या है? और डायरेक्टर के इतना बोलते ही अचानक उसी जेब से एक जिंदा कारतूस बाहर आ जाता है. 

तो इसी के साथ दूसरा सीन भी मुकम्मल हुआ. पहले दोनों अपराधी कब्जे में ले लिए गए वो भी कैमरे पर. क्योंकि शूटिंग जो चल रही थी. फिर से आपको याद दिला रहे हैं, बस जामा तलाशी वाली बात याद रखिएगा. पहले वाले के जेब में भी एक राउंड यानि एक गोली थी. पर हथियार नहीं था उसके पास. दूसरे वाले के पास भी एक ही जिंदा कारतूस था. मगर उसके करीब एक कट्टा जरूर पड़ा था. अब आगे बढ़ते हैं, तीसरे सीन की तरफ. लोकेशन थोड़ा सा चेंज है. मगर दूर नहीं,पास में ही है.

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कसम से इस बार अपराधी की एक्टिंग का तो जवाब ही नहीं. जैसे ही कैमरा उसकी तरफ घूमा. पुलिस वाले ने सवाल दागा. ऐसा लग रहा था मानों भाई बस डायलॉग बोलने के लिए ही लेटा हुआ है. ये भी कैमरे में आने से पहले पूरे इत्मिनान से जमीन पर लेटकर आराम कर रहा था. इस भाई के सिरहाने भी एक बैग रखा हुआ था. और सीन के हिसाब से इसके दाएं पैर में भी घुटने के नीचे एक कपड़ा बंधा हुआ था, क्योंकि गोली जो लगी है. सीन लगभग अब रिपीट सा होता जा रहा है. वही बराबर में पड़ा बैग उठाया जाता है, उसी से खुलवाया जाता है और बैग में उसी तरीके से करीने से रखे माल की बरामदगी होती है. डायलॉग भी लगभग पहले दो सीन जैसा ही था. 

पहले दो कैरेक्टर की तरह अब उस अपराधी की भी जामा तलाशी की बारी थी. उसे भी दो पुलिसवाले सहारा देकर खड़ा करते हैं. और फिर जेबों के तलाशी शुरु हो जाती है. कसम से फिल्म की कहानी लिखने वाले ने गजब कहानी लिख डाली. इसकी जेब से भी हैरतअंगेज तौर पर एक जिंदा कारतूस बाहर निकल आया. अब शुरु में जो आपसे कहा था याद कीजिए. ये कारतूस वाली बात. है ना कमाल. तीनों के तीनों की जेब से एक-एक कारतूस बाहर निकला.

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और इसी के साथ इस फिल्म की शूटिंग खत्म होती है. तीनों अपराधी जब्त या जमा हो जाते हैं. अब यहां से पैकअप हो जाता है. मगर पैकअप से पहले चलिए आपको बताते हैं कि वहां जो कुछ शूट हो रहा था, उसके पीछे की असली कहानी क्या है? तो सारी कहानी खुद वाराणसी के पुलिस अफसरों ने बताई.

दरअसल, वाराणसी के प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर के महंत के घर चोरी की एक वारदात हुई थी. इस चोरी में महंत जी के घर पर काम करने वाले कुछ कर्मचारी भी शामिल थे. कहते हैं कि चोर अपने साथ सौ साल पुराने हीरे जवाहरात और माणिक चुरा कर ले गए थे. जिनकी कीमत शायद कई करोड़ हो. उसी चोरी के बाद चोरों को पकड़ने के लिए वाराणसी पुलिस की चोरी में शामिल चोरों के साथ मुठभेड़ हुई थी. अब मुठभेड़ वाला सीन तो शूट किया नहीं जा सकता था. तो आफ्टर मुठभेड़ का ये सीन इसलिए शूट किया गया ताकि आप सब इसे देख सकें. फिल्म और फिल्म की कहानी कैसी लगी बताइएगा जरूर.

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