मोबाइल चार्जर से पकड़ा गया पहलगाम हमले के गुनहगारों का मददगार... जानिए पुलिस को कैसे मिली कामयाबी?

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम अटैक केस में बड़ा खुलासा किया है. एक एंड्रॉइड फोन चार्जर ने उस ओवरग्राउंड वर्कर तक पहुंचा दिया, जिसने न सिर्फ आतंकियों को सामान दिया बल्कि उन्हें पहाड़ी रास्तों से सुरक्षित निकलने में भी मदद की थी. ऑपरेशन महादेव के बाद यह गिरफ्तारी घाटी में आतंकियों के कमर तोड़ने की दिशा में अहम मानी जा रही है.

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आतंकवाद-रोधी अभियान 'ऑपरेशन महादेव' के तहत पुलिस को बड़ी सफलता. (File Photo: ITG) आतंकवाद-रोधी अभियान 'ऑपरेशन महादेव' के तहत पुलिस को बड़ी सफलता. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • श्रीनगर,
  • 05 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:16 PM IST

कश्मीर घाटी के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे की साजिश धीरे-धीरे सामने आ रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक ऐसे ओवरग्राउंड वर्कर को गिरफ्तार किया है, जिसने आतंकियों से चार बार मुलाकात की थी. उनको रसद सहायता उपलब्ध कराई थी. उनको मोबाइल फोन चार्जर दिया था. 26 साल के इस आरोपी का नाम मोहम्मद यूसुफ कटारी है, जो कि पेशे से शिक्षक है.

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केंद्रीय जांच एजेंसियों के मुताबिक, मोहम्मद यूसुफ कटारी ने पूछताछ में कबूल किया है कि वो पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों सुलेमान उर्फ आसिफ, जिबरान और हमजा अफगानी से चार बार मिला था. यही नहीं उसने उन्हें एक एंड्रॉइड मोबाइल फोन चार्जर भी दिया था, जो बाद में जांच की सबसे अहम कड़ी साबित हुआ. उसी के जरिए पुलिस उस तक पहुंच पाई है.

दरअसल, जुलाई में शुरू किए गए आतंकवाद-रोधी अभियान 'ऑपरेशन महादेव' के दौरान श्रीनगर के बाहरी इलाके जबरवान पहाड़ियों की तलहटी में तीनों आतंकियों का खात्मा हुआ था. घटनास्थल से पुलिस को जो सामग्री मिली, उसमें एक आंशिक रूप से जला हुआ मोबाइल चार्जर भी था. यही मामूली सा सबूत पुलिस को उस नेटवर्क तक ले गया, जो पहलगाम हमले की साजिश का हिस्सा था.

फोरेंसिक जांच में मोबाइल चार्जर के सीरियल नंबर और कनेक्टिविटी डेटा से पुलिस को अहम सुराग मिले. श्रीनगर पुलिस ने जब इसकी ट्रेसिंग की, तो चार्जर के असली मालिक का पता चल गया. उसने इसे एक डीलर को बेचा था. वहीं से कड़ी से दूसरी कड़ी जोड़ते हुए जांच टीम मोहम्मद यूसुफ कटारी तक पहुंच गई. उसको सितंबर के आखिरी हफ्ते में गिरफ्तार किया गया था. 

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी ऊंचे इलाकों में रहने वाले खानाबदोश छात्रों को पढ़ाने का काम करता था, लेकिन पर्दे के पीछे आतंकियों को गाइड करने और उनके लिए सामान जुटाने जैसी जिम्मेदारी निभाता था. बताया जा रहा है कि उसने न सिर्फ मोबाइल फोन चार्जर उपलब्ध कराया, बल्कि पहलगाम के हमलावरों को पहाड़ी रास्तों से गुजरने में मदद भी की थी.

मोहम्मद यूसुफ कटारी सुलेमान उर्फ आसिफ, जिबरान और हमजा अफगानी जैसे बड़े आतंकियों के संपर्क में था. सुलेमान पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था. जिबरान अक्टूबर 2024 में सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था. हमजा अफगानी कई छोटे आतंकी ऑपरेशनों में शामिल रहा था. तीनों को 29 जुलाई को 'ऑपरेशन महादेव' के तहत मुठभेड़ में मार गिराया गया था.

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