RT-PCR से पकड़ में क्यों नहीं आ रहा कोरोना, वैक्सीन क्यों जरूरी- BHU के एक्सपर्ट ने समझाया

बीएचयू के वायरोलॉजिस्ट का कहना है वैक्सीन असरकारक है और वैक्सीन लगवाने के बाद भी आप कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं, तो आपकी हालत गंभीर नहीं होगी. उन्होंने कहा कि जनवरी 2021 के बाद लोग लापरवाह हो गए, इस वजह से संक्रमण तेजी से फैला.

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बीएचयू के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह. बीएचयू के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह.

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी,
  • 16 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST
  • 'वैक्सीन बीमारी की गंभीरता को खत्म करती है'
  • 'काबू में लाने के लिए कोविड प्रोटोकॉल्स मानने होंगे'
  • 'वैरिएंट्स की वजह से भी वायरस संक्रामक हो रहा'

कोरोना के डर के बीच बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह ने दावा किया है कि वैक्सीन असरकारक है और वैक्सीन लगवाने के बाद भी आप कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं, तो आपकी हालत गंभीर नहीं होगी. उन्होंने ये भी कहा कि इस साल की शुरुआत तक तो लोगों ने कोरोना को गंभीरता से लिया. सारे प्रोटोकॉल माने, लेकिन उसके बाद मास्क लगाना छोड़ दिया, दूरी बनानी छोड़ दी, लापरवाही बरतने लगे, इस वजह से संक्रमण तेजी से फैल गया. प्रोफेसर सुनीत सिंह बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्थित मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट के विभागाध्यक्ष हैं.

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कुछ मामलों में आरटी-पीसीआर टेस्ट फेल साबित हुआ है. इसके जवाब में प्रोफेसर सुनीत कुमार सिंह ने बताया, "मै इससे इसलिए सहमत नहीं हूं, क्योंकि ये टेस्ट उसी सार्स कोविड के कुछ हिस्से और जीन्स को लेकर बनाया गया है. इसलिए मैं इस बात से सहमत नहीं हो सकता कि पूरी तरह से आरटी-पीसीआर टेस्ट फेल हो रहा है. अगर ऐसा कहीं हो भी रहा है, तो उसके कई तकनीकी कारण हो सकते हैं. जैसे कि सैंपल ही प्रॉपर तरीके से कलेक्ट न किया जा रहा हो या फिर सैंपल में अगर आरएनए रहेगा ही नहीं तो पॉजिटिव व्यक्ति भी निगेटिव ही दिखेगा. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट कोरोना वायरस को डिटेक्ट नहीं कर पा रहा है."

वैक्सीन कितनी असरकारक है?
इस बारे में प्रोफेसर सुनीत कहते हैं, "वैक्सीन असरकारक है. लेकिन वैक्सीन के बाद भी लोग पॉजिटिव हो रहे हैं. वैक्सीन का काम सिर्फ इंफेक्शन रोकना ही नहीं होता, बल्कि वैक्सीन की ये खासियत भी होती है कि वो बीमारी की गंभीरता को कम कर दे. ये बात ध्यान देने वाली है कि अगर वैक्सीन लगवाने के बावजूद आपको इन्फेक्शन हो रहा है, तो भी आप को गंभीर स्थिति से नहीं गुजरना होगा. लेकिन इसके ठीक उलट वैक्सीन न लेने पर आप बीमारी की गंभीर स्थिति में पहुंच सकते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि वैक्सीन के साथ सारे सेफ्टी मेजर्स जैसे- मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजेशन का पालन करते रहें."

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कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने का कारण बताते हुए वो कहते हैं, "जनवरी 2021 के पहले की सभी हेल्थ एडवाइजरी को हम लोगों ने बड़ी ही सख्ती से फॉलो किया. लेकिन जनवरी 2021 के बाद से लोग लापरवाह हो गए. यहां तक कि मानने को भी तैयार नहीं है कि ऐसी कोई बीमारी देश में है. यही वजह है संक्रमण के फैलने की. जब तक चीजें नियंत्रण में ना आ जाएं, तब तक सेफ्टी मेजर्स और वैक्सीनेशन का पालन करना होगा. वरना केवल सरकार, वैज्ञानिक या लोगों को दोष देने से काम नहीं बनेगा."

संक्रमण बढ़ने के पीछे वायरस के अलग-अलग वैरिएंट 
उन्होंने आगे बताया कि "वायरस दो प्रकार के होते हैं. डीएनए और आरएनए. सार्स कोविड एक आरएनए आधारित वायरस है. ये उस तरह का वायरस है जो म्यूटेशन कम करता है. म्यूटेशन के बाद वैरिएंट्स बनते हैं और वो हमेशा पाए जाने वाले होते हैं तो उनको कहा जाता है वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट. इसके बाद ये पता लगाया जाता है कि क्या ये वायरस की संक्रामकता को बढ़ाने में कारगर है, तो इसको वैरिएंट्स ऑफ कॉन्सर्ट कहा जाता है. इसके चलते वायरस की संक्रामकता बढ़ती है और मृत्यु दर भी बढ़ती है."

प्रोफेसर बताते हैं, "कभी-कभी ऐसे वैरिएंट आते हैं, जिसकी संक्रामकता भी ज्यादा होती है, और डेथ रेट भी. इनके डायग्नोस्टिक में भी दिक्कत आती है तो उसे वैरिएंट्स आफ हाई कंसीक्वेंसेस कहते हैं. आज की तारीख में कुछ वैरिएंट्स ऑफ कॉन्सर्ट पाए गए हैं. ये वैरिएंट पहले यूके में और अब भारत में भी पाया गया है. इसके अलावा ब्राजील और साउथ अफ्रीका के भी वैरिएंट्स हैं. किसी भी वायरस के वैरिएंट्स बनना सामान्य बात है. लेकिन इस पर नजर रखना जरूरी है जो हमारे वैज्ञानिक करने में सक्षम हैं."

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