आज के समय में अगर किसी के पार 1 करोड़ रुपये (Rs 1 Crore) हैं, तो फिर वो अमीर लोगों की फेहरिस्त में शामिल हो जाता है. दरअसल, इस आंकड़े को भारत में फाइनेंशियल सिक्योरिटी के मानक के तौर पर माना जाता है. लेकिन क्या हो अगर आपके ये 1 करोड़ रुपये की वैल्यू बिना खर्च के ही 5 लाख रुपये के आस-पास रह जाए. भविष्य में शायद यही होने वाला है. वेल्थ एडवाइजर महंगाई के हवाला देते हुए आने वाले 50 साल में 1 Crore Rupee की वैल्यू 94% तक कम होने की आशंका जता रहे हैं.
1 करोड़ की वैल्यू रह जाएगी ₹5 लाख!
संपत्ति सलाहकार द्वारा दी जा रही इस तरह की चेतावनी खासतौर पर मध्यम वर्ग के लिए चिंता पैदा करने वाली हैं, जिनका टारगेट अपनी कमाई में छोटी-छोटी बचत के जरिए मोटा फंड (खासकर करीब 1 करोड़) जुटाने का रहता है. इसके लिए वे एसआईपी (SIP) से लेकर अन्य इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस में निवेश करते हैं. जिसमें करीब 20 से 30 साल आसानी से लग जाते हैं. लेकिन इस अवधि के बाद क्या आपके द्वारा जुटाए गए एक करोड़ रुपये काफी होंगे, तो एक्सपर्ट्स इसे नाकाफी बता रहे हैं. उनका तो यहां तक कहना है आज के लिए इस बड़ी रकम की वैल्यू 50 साल के बाद इतनी रह जाएगी कि आप एक नॉर्म हैचबैक कार तक नहीं खरीद पाएंगे, क्योंकि इसकी वैल्यू तब एक करोड़ रुपये की वैल्यू महज 5 लाख रुपये के आस-पास रह जाएगी.
20 साल में आधे से भी कम रह जाएगी वैल्यू
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में वेल्थ एडवाइजर जयेश ठक्कर द्वारा किए गए एक पोस्ट के हवाले से इसका पूरा कैलकुलेशन समझाया गया है. इसके मुताबित, अगले 50 सालों में 1 करोड़ रुपये अपनी आज की वैल्यू से करीब 94% खो देंगे. उन्होंने इसे 6 फीसदी की महंगाई दर के हिसाब से कैलकुलेट किया है और इस दर पर अगले 10 सालों में 1 करोड़ रुपये अपने मूल्य का 44% हिस्सा खो देगा और इसकी वैल्यू गिरकर 55.84 लाख रुपये रह जाएगी. वहीं अगर 20 साल की बात करें, तो इसी महंगाई दर के हिसाब से ये और भी कम होकर 31.15 लाख रुपये रह जाएगी.
50 साल के लिए ये है कैलकुलेशन
अब बात अगर 50 साल की करें, तो आज के 1 करोड़ रुपये की वैल्यू 6 फीसदी की महंगाई दर के हिसाब से महज 5.42 लाख रुपये रह जाएगी. वेल्थ एडवाइजर का संदेश सरल लेकिन चिंता पैदा करने वाला है. मतलब साफ है कि अगर आपका पैसा महंगाई दर की तुलना में तेजी से नहीं बढ़ रहा है, तो मान लीजिए कि ये घट रहा है. यही नहीं खास तौर पर सेविंग अकाउंट्स, कैश होल्ड या सेविंग स्कीम्स के जरिए फंड जुटाने पर ज्यादा निर्भर मध्यम वर्ग के लिए एक टाइम बम की तरह है.
क्या सलाह दे रहे हैं एक्सपर्ट्स?
जयेश ठक्कर ने ये आंकड़े तो अपनी एक्स पोस्ट में दर्शाए हैं, लेकिन इनका समाधान नहीं सुझाया है. लेकिन एक्सपर्ट्स की मानें, तो उनका कहना है कि महंगाई (Inflation) कोई शॉर्ट टर्म खतरा नहीं है, बल्कि लॉन्गटर्म में इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं. ऐसे में महंगाई के हिसाब से ही धन नियोजन जरूरी है. उन्होंने कहा कि अब केवल एक बचत साधन पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है, इक्विटी, सोना (Gold), रियल एस्टेट (Real Estate) और महंगाई से जुड़े बॉन्ड अलग-अलग स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं. इसके साथ ही आपको अपने पोर्टफोलियो की लगातार समीक्षा और इसे रि-बैलेंस करना जरूरी है.
आजतक बिजनेस डेस्क