अगर आप प्राइवेट जॉब (Private Job) करते हैं और सेविंग (Saving) नहीं कर पा रहे हैं तो फिर आपको सोचने की जरूरत है. क्योंकि कमाई के दौरान ही आपको भविष्य के बारे में फैसला लेना होगा. दरअसल, हमारे देश में निवेश (Investment) को लेकर अभी तक लोग जागरूक नहीं है. अधिकतर लोगों का ये तर्क होता है कि बाद में देखेंगे, और फिर समय बीत जाता है.
यही नहीं, कुछ लोग सेविंग को लेकर ये तर्क देते हैं कि सैलरी तो ठीक-ठाक है. लेकिन पैसे बच नहीं पाते, कहां खर्च हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. लेकिन ये समस्या नहीं एक बहाना है. अगर आप भी यही सोचते हैं तो फिर अपनी सोच बदल दीजिए. आज के दौर में हर किसी को आर्थिक रूप से अपने भविष्य को लेकर सजग होना चाहिए.
दरअसल, लगातार बढ़ती महंगाई से मिडिल क्लास के सामने ये समस्या खड़ी हो गई है, वो खाएं क्या और बचाएं क्या? लेकिन क्या गारंटी है कि अगले महीने या अगले कुछ सालों में आप बचत करने लग जाएंगे. इसलिए जब आप जागरूक होंगे, तभी लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे. ऐसे में हम आपके लिए एक खास फॉर्मूला लेकर आए हैं, जिसे अपनाकर आप निवेश को लेकर पहला कदम उठा सकते हैं. इस फॉर्मूले को 50:30:20 के नाम से जाना जाता है. सीधे शब्दों में कहें तो आमदनी को तीन हिस्सों में बांट दिया गया है.
अगर आप जॉब करते हैं, तो आपके खाते में जितनी सैलरी क्रेडिट होती है. उसपर 50:30:20 के फॉर्मूले को अप्लाई कर सकते हैं. वहीं अगर आप कारोबारी हैं तो महीने की पूरी आमदनी पर इस फॉर्मूले को लगाकर आप सभी खर्चों के बावजूद अपनी सेविंग के लिए पैसा बचा सकते हैं, तो चलिए इस फॉर्मूले का कैलकुलेशन समझ लेते हैं.
मान लीजिए कि आपकी सैलरी 50,000 रुपये महीना है. लेकिन आप समझ नहीं पा रहे हैं कि पैसे की सेविंग (Saving) कैसे की जाए. पहले 50:30:20 फॉर्मूले को समझ लीजिए.
ये है बचत करने का सबसे आसान तरीका
50%+30%+20%. यानी अपनी कमाई को तीन हिस्सों में बांटने की जरूरत है. पहला 50 फीसदी हिस्सा जरूरी कामों पर खर्च करें, इसमें खाना, पीना, रहना और शिक्षा. यहां रहने का मतलब है, अगर आप किराये पर रहते हैं तो फिर हर महीने का किराया या होम लोन ले रखा है तो उसकी EMI के खर्च को इस 50 फीसदी में शामिल कर सकते हैं. कुल मिलाकर आपकी जितनी महीने की कमाई है, उसका आधा हिस्सा इन कामों के लिए निकाल दें, यानी 25 हजार रुपये.
यहां खर्च करें 30 फीसदी
फॉर्मूले के तहत आमदनी का 30 फीसदी हिस्सा, उन चीजों पर खर्च करें जो आपकी इच्छाओं से जुड़ी हैं. इसमें आप बाहर घूमना, मूवी देखना, गैजेट्स, कपड़े, कार, बाइक और इलाज के खर्चें रख सकते हैं. लाइफस्टाइल से जुड़े खर्चे आप इस मद से कर सकते हैं. नियम के मुताबिक 50 हजार रुपये महीने कमाने वाले को अधिकतम 15 हजार रुपये इन चीजों पर खर्च करने की सलाह होगी. 50:30:20 फॉर्मूला कहता है कि बाकी बचा 20 फीसदी हिस्से को बचाएं. फिर इसे सही जगह पर निवेश करें.
आखिरी में बचत जरूरी है...
50:30:20 फॉर्मूला कहता है कि बाकी बचा 20 फीसदी हिस्सा आंख मूंदकर पहले बचाएं, और उसे सही जगह पर निवेश (Invest) करें. यानी 50 हजार सैलरी वाले 10 हजार रुपये निवेश करें. इसके लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में हर महीने SIP और बॉन्ड (Bond) में लगा सकते हैं. इस फॉर्मूले के मुताबिक 50 हजार रुपये कमाने वाले सालाना कम से कम 1.20 लाख रुपये बचा सकते हैं, और जब आप इस बचत को सही जगह पर निवेश करेंगे, तो साल-दर-साल वो बढ़ता जाएगा, और उसपर मिलने वाला ब्याज पर चक्रवृद्धि ब्याज जुड़कर मोटा फंड बन जाएगा.
रिटायरमेंट फंड के लिए सोचना नहीं पड़ेगा
इसके अलावा जैसे-जैसे आमदनी बढ़ेगी, निवेश की राशि भी बढ़ती जाएगी. यकीन मानिए, लगातार 10 साल तक इस फॉर्मूले के तहत खर्च और बचत करने के बाद फिर कभी पैसों की कमी नहीं होगी, क्योंकि बचत का पैसा एक बड़ा फंड बन जाएगा, जो आपको मुसीबत में साथ देगा. इसके अलावा अगर आप 20 से 25 साल तक इसी तरह 20 फीसदी राशि सेविंग करते रहे तो रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund) के लिए भी सोचना नहीं पड़ेगा.
आइए एक उदाहरण से समझते हैं... 10 हजार रुपये मासिक SIP पर 12% सालाना रिटर्न के हिसाब से 10 साल के बाद कुल आपको 23,23,391 रुपये मिलेंगे. अगर 10 हजार की SIP 20 साल तक जारी रखते हैं तो फिर 12% रिटर्न के हिसाब से कुल 99,91,479 रुपये मिलेंगे. वहीं अगर रिटर्न 15 फीसदी मिल जाता है तो फिर आपको कुल 1,51,59,550 रुपये मिलेंगे. यही नहीं, वित्तीय नियम ये कहता है कि हर साल आमदनी बढ़ने के साथ-साथ निवेश को भी बढ़ाते रहना चाहिए.
अगर 60 की उम्र तक आप निवेश को जारी रखते हैं तो फिर आपके पास इतनी बड़ी राशि होगी, जिसकी कल्पना आज आप नहीं कर सकते. लेकिन ये सपना तभी सच होगा जब आप ईमानदारी और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ 50:30:20 फॉर्मूले पर अमल करेंगे.
फिजूलखर्ची पर लगाम...
अगर शुरुआत में 20 फीसदी राशि बचाने में दिक्कत हो रही है, तो एक लिस्ट बनाएं क्या चीजें आपकी जरूरत की हैं, क्या फिजूलखर्च. फिजूलखर्ची पर तुरंत लगाम लगा दें. मसलन, अगर आपको महीने में 4 दिन बाहर खाने की आदत है तो उसे फिलहाल महीने में दो बार कर दें. महंगे कपड़े खरीदने से परहेज करें. साथ ही क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का धड़ल्ले इस्तेमाल करना बंद कर दें. इसके अलावा उन चीजों की खरीदारी से बचें, जो आपकी जरूरत की नहीं है.
अमित कुमार दुबे