भारत के रियल एस्टेट बाजार में हाल के वर्षों में एक बड़ा बदलाव देखा गया है. एक समय था जब किफायती घर मिडिल क्लास की पहली पसंद हुआ करते थे, और लग्जरी घर केवल उच्च आय वर्ग तक सीमित थे, लेकिन 2024 और 2025 में यह ट्रेंड उलट गया है. किफायती आवास की मांग और आपूर्ति में कमी आई है, जबकि लग्जरी और प्रीमियम घरों की बिक्री ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं. उदाहरण के लिए, मुंबई जैसे महानगरों में 2025 की पहली छमाही में 40 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लग्जरी घरों की बिक्री में उछाल देखा गया. आखिर इस बदलाव की वजह क्या है?
भारत का मध्यम वर्ग अब घर को केवल एक जरूरत के रूप में नहीं, बल्कि स्टेटस और जीवनशैली के प्रतीक के रूप में देख रहा है. पहले लोग कम कीमत और बेसिक सुविधाओं वाले घरों को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब आधुनिक सुविधाएं, बेहतर लोकेशन, और स्मार्ट निवेश की चाहत बढ़ रही है. लोग बड़े घर, प्रीमियम सुविधाओं (जैसे स्विमिंग पूल, क्लब हाउस, और स्मार्ट होम फीचर्स), और खुले स्थानों को महत्व दे रहे हैं. यह बदलाव खासकर महामारी के बाद देखा गया, जब लोगों ने घर को ऑफिस स्पेस, मनोरंजन, और आराम का केंद्र माना. नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले घरों की बिक्री में 75,042 यूनिट्स दर्ज की गईं, जो इस ट्रेंड को दर्शाता है.
कोविड-19 महामारी ने लोगों की प्राथमिकताओं को पूरी तरह बदल दिया. लॉकडाउन के दौरान घर में अधिक समय बिताने के कारण लोग बड़े और बेहतर सुविधाओं वाले घरों की ओर आकर्षित हुए. खुले स्थान, वेंटिलेशन, और प्रीमियम सुविधाएं अब मध्यम और उच्च आय वर्ग की प्राथमिकता बन गई हैं. इसके अलावा, डबल-इनकम परिवारों जहां पति-पत्नी दोनों काम करते हैं की संख्या बढ़ने से लोन की क्षमता बढ़ी है. ऐसे परिवार अब संयुक्त रूप से बड़े लोन ले रहे हैं, जिससे लग्जरी घर खरीदना उनके लिए संभव हो पाया है.
रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए लग्जरी और प्रीमियम प्रोजेक्ट्स अधिक लाभकारी हैं. किफायती आवास की तुलना में लग्जरी प्रोजेक्ट्स में मार्जिन 20-30% तक अधिक होता है. इसके अलावा, भूमि की कीमतों और कच्चे माल की लागत में वृद्धि ने किफायती आवास को डेवलपर्स के लिए कम आकर्षक बना दिया है. एनारॉक रिसर्च के अनुसार, 2022 में जहां 3.1 लाख किफायती घर बिके, वहीं 2024 में यह संख्या 36% घटकर 1.98 लाख हो गई. डेवलपर्स अब प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट पर फोकस कर रहे हैं, जिससे इस सेगमेंट की आपूर्ति और बिक्री दोनों बढ़ी हैं.
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किफायती आवास की आपूर्ति में भारी कमी आई है. एनारॉक रिसर्च के मुताबिक, 2025 की पहली छमाही में 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की बिक्री में 43% की गिरावट दर्ज की गई. निजी डेवलपर्स अब कम कीमत वाले प्रोजेक्ट्स में निवेश करने से हिचक रहे हैं, क्योंकि इनमें लागत अधिक और लाभ कम होता है. इसके अलावा, सरकारी योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) भले ही किफायती आवास को बढ़ावा दे रही हों, लेकिन उनकी गति और निजी डेवलपर्स की भागीदारी सीमित है.
पिछले कुछ वर्षों में घरों की कीमतों में औसतन 11% की वृद्धि हुई है, जिसने किफायती आवास को मध्यम वर्ग के लिए और मुश्किल बना दिया. साथ ही, होम लोन की ब्याज दरें भी बढ़ी हैं, जिससे मासिक EMI का बोझ बढ़ गया है. उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये की सैलरी वाले लोग भी अपनी आय का 50% से अधिक हिस्सा EMI में खर्च कर रहे हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति तनावपूर्ण हो रही है. इसके बावजूद, लग्जरी सेगमेंट में मांग बनी हुई है, क्योंकि उच्च आय वर्ग और NRI निवेशक इन कीमतों और ब्याज दरों से कम प्रभावित होते हैं.
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उच्च आय वर्ग और NRI निवेशकों की बढ़ती संख्या ने भी लग्जरी घरों की मांग को बढ़ाया है. मुंबई, दिल्ली-NCR, और बेंगलुरु जैसे शहरों में लग्जरी प्रोजेक्ट्स की बिक्री में तेजी देखी गई है. प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 15 प्रमुख शहरों में हाउसिंग सेल्स मूल्य के हिसाब से 20% बढ़कर 1.52 लाख करोड़ रुपये हो गई, जिसमें लग्जरी सेगमेंट का योगदान प्रमुख रहा. इसके अलावा, लोग अब घर को लंबे समय के निवेश के रूप में देख रहे हैं, जिसके कारण प्रीमियम प्रॉपर्टी में निवेश बढ़ा है.
हालांकि, मध्यम वर्ग के लिए किफायती आवास अब भी एक चुनौती बना हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी नीतियों, जैसे होम लोन पर ब्याज छूट की सीमा बढ़ाना और किफायती आवास योजनाओं को प्रोत्साहन, से इस असंतुलन को कम किया जा सकता है. वर्ना रियल एस्टेट बाजार में लग्जरी सेगमेंट का दबदबा और बढ़ सकता है.
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