रियल एस्टेट में धोखाधड़ी अब और नहीं! सरकार ला रही है सभी प्रोजेक्ट्स का डिजिटल डेटाबेस

सरकार ने घर खरीदारों के लिए बड़ा कदम उठाया है. अब बिल्डरों की मनमानी पर लगाम लगाने और प्रोजेक्ट्स की असली तस्वीर दिखाने के लिए नया पोर्टल लॉन्च किया गया है.

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घर खरीदारों के साथ अब नहीं होगा धोखा (Photo: Pixabay) घर खरीदारों के साथ अब नहीं होगा धोखा (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

सरकार जल्द ही एक ऐसा डिजिटल डेटाबेस शुरू करने जा रही है, जिसमें भारत के सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की जानकारी होगी. यह कदम घर खरीदने वालों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इससे उन्हें धोखाधड़ी से बचाने और सही प्रोजेक्ट चुनने में मदद मिलेगी. इस डेटाबेस में प्रोजेक्ट्स की सभी ज़रूरी जानकारी जैसे कि उनके अप्रूवल, कंस्ट्रक्शन की प्रगति और बिल्डरों की विश्वसनीयता जैसी डिटेल शामिल होगी. 

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इस पोर्टल के जरिए अब लोग देश भर के किसी भी बिल्डर की परियोजना और उसकी मौजूदा स्थिति की पूरी जानकारी आसानी से पा सकेंगे. यह कदम खासकर उन घर खरीदारों के लिए बड़ी राहत है, जो रेरा कानून होने के बावजूद भी परियोजनाओं में देरी और धोखाधड़ी का शिकार होते रहे हैं.

क्यों लिया गया यह फैसला?

यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में घर खरीदारों की शिकायतों पर रेरा और राज्य के अधिकारियों को फटकार लगाने के कुछ ही हफ्तों बाद लिया गया है. प्रधानमंत्री ने बिल्डरों की मनमानी और ग्राहकों की शिकायतों का सही से समाधान न होने पर चिंता जताई थी. इसी के बाद, आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रेरा केंद्रीय सलाहकार परिषद (सीएसी) की बैठक में इस नए पोर्टल को लॉन्च किया. इस डेटाबेस का मुख्य मकसद संभावित खरीदारों को पूरी जानकारी देना है, ताकि वे सोच-समझकर फैसला ले सकें.

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महाराष्ट्र के कानून पर विवाद

इस बैठक में एक और अहम मुद्दा उठा. घर खरीदारों के प्रतिनिधियों ने महाराष्ट्र सरकार की आवास नीति 2025 का कड़ा विरोध किया गया.  इस नीति के तहत, महाराष्ट्र सरकार पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए रेरा जैसा एक अलग कानून लाने की योजना बना रही है. यही कारण है कि फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) के अभय उपाध्याय ने इस कदम को रोकने के लिए केंद्र से फौरन दखल देने की मांग की. क्योंकि यह कदम रेरा के एक समान ढांचे को कमजोर करेगा और इससे बिल्डरों को 'फोरम शॉपिंग' करने यानी अपने फायदे के हिसाब से कानून चुनने का मौका मिल जाएगा. इससे यह होगा कि दूसरे राज्य भी ऐसे अलग-अलग कानून बना सकते हैं, जिससे पूरे रियल एस्टेट सेक्टर में भ्रम फैल जाएगा. इस तरह के एक कानून को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही पश्चिम बंगाल के मामले में रद्द कर दिया था, जिसे एफपीसीई ने चुनौती दी थी.

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'नेक्स्ट-जेन' सुधारों पर जोर

आवास मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि परिषद ने रेरा को और मजबूत बनाने के लिए कई सुझाव दिए. इसमें रेरा के आदेशों को सख्ती से लागू करने और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने की बात शामिल है. इसके साथ ही, रेरा में पंजीकरण को तेज करने, आदेशों का पालन सुनिश्चित करने और परिभाषाओं में स्पष्टता लाने जैसे कदमों पर भी जोर दिया गया. परिषद ने यह भी सिफारिश की कि रेरा के आठ साल पूरे होने के बाद, अब इसमें 'अगली पीढ़ी' के सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं मंत्रालय अब रेरा को और प्रभावी बनाने के लिए जरूरी उपायों पर काम करेगा.

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