2025 में आलीशान बंगलों और करोड़ों की डील्स ने सुर्खियां तो बटोरीं, लेकिन इसने मिडिल क्लास के लिए मेट्रो शहरों में घर के सपने को थोड़ा महंगा भी कर दिया. अब जब हम 2026 की दहलीज पर खड़े हैं, तो सवाल सिर्फ 'घर लेने' का नहीं, बल्कि 'सही जगह' चुनने का है. रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स की मानें तो 2026 में बाजार की दिशा 'प्राइस हाइक' से हटकर 'वैल्यू और कनेक्टिविटी' की ओर मुड़ रही है.
एक्सपर्ट मुताबिक 2026 में निवेश का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट टियर-2 शहर जैसे लखनऊ, जयपुर, इंदौर और कोच्चि होने वाले हैं. मेट्रो शहरों में कीमतों के आसमान छूने के कारण अब मिडिल क्लास इन शहरों की ओर रुख कर रहा है, जहां ₹5,000 से ₹7,000 प्रति वर्ग फुट की दर से प्रॉपर्टी उपलब्ध है. जो लोग मेट्रो का मोह नहीं छोड़ पा रहे, उनके लिए नवी मुंबई और ग्रेटर नोएडा जैसे 'माइक्रो-मार्केट्स' बेहतर विकल्प हैं, जहां नए एयरपोर्ट और मेट्रो प्रोजेक्ट्स निवेश पर 15-18% तक का रिटर्न दे सकते हैं.
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जीएचडी ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भारत ठाकरान कहते हैं- '2026 में रियल एस्टेट में निवेश के लिए गोवा एक बेहतर विकल्प हो सकता है. साउथ और नॉर्थ गोवा दोनों ही अपने-अपने स्तर पर मजबूत माइक्रो-मार्केट्स के रूप में उभर रहे हैं. अब गोवा टूरिज़्म या वेकेशन होम डेस्टिनेशन तक सीमित नहीं है बल्कि लोग यहां रहने के लिए और निवेश के लिए भी प्रॉपर्टी तलाश रहे हैं.'
भारत ठाकरान आगे कहते हैं- ' साउथ गोवा में मडगांव और उसके आसपास के इलाके बेहतर प्लानिंग, कम भीड़ और मजबूत सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण स्थिर रिटर्न और बेहतर लाइफस्टाइल वैल्यू ऑफर कर रहे हैं. वहीं नॉर्थ गोवा में पोर्वोरिम और थिवीम जैसे इलाके बेहतर कनेक्टिविटी, उभरते रेसिडेंशियल क्लस्टर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के चलते निवेशकों के लिए आकर्षक बनते जा रहे हैं.' उनका मानना है कि गोवा आने वाले वक्त में रियल एस्टेट में निवेश के लिए सबसे बेहतर विकल्पों में शामिल हो सकता है.
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बूटेस के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर, दीपक राय कहते हैं- ' भारत का रियल एस्टेट सेक्टर अब एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है. साल 2026 तक निवेश का मुख्य केंद्र महानगरों से हटकर लखनऊ, अलवर, कुरुक्षेत्र, वृंदावन और झांसी जैसे टियर-2 शहरों की ओर शिफ्ट हो रहा है. इन शहरों में खरीदार अब साधारण घरों के बजाय नेट-ज़ीरो होम्स और सस्टेनेबल विला में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इस विजन को गृह मंत्री श्री अमित शाह के उस आह्वान से और मजबूती मिली है, जिसमें उन्होंने डेवलपर्स से पर्यावरण के अनुकूल और जिम्मेदार रियल एस्टेट विकास को प्राथमिकता देने का आग्रह किया था. बेहतर कनेक्टिविटी और सरकारी नीतियों के समर्थन ने इन शहरों को भविष्य के सबसे आकर्षक 'ग्रीन इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन' के रूप में स्थापित कर दिया है."
एलांते ग्रुप के एडिशनल वाइस प्रेसिडेंट और कमर्शियल सेल्स के हेड हेनम खनेजा ने कहते हैं- '2026 में रियल एस्टेट निवेश के लिए बाजार अब किसी एक शहर तक सीमित रहने के बजाय नए और उभरते हुए 'ग्रोथ सेंटर' को तरजीह दे रहा है. इसी क्रम में, गुरुग्राम आज भी निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद ठिकाना बना हुआ है. इसकी मुख्य वजह यहां की मजबूत कॉर्पोरेट मौजूदगी, आईटी सेक्टर का विस्तार और घरों की लगातार बढ़ती मांग है. बड़े संस्थान हों या अपना घर खरीदने वाले लोग, दोनों ही गुरुग्राम के वर्ल्ड-क्लास कमर्शियल प्रोजेक्ट्स और विकसित होते रिहायशी इलाकों की ओर खिंचे चले आ रहे हैं.'
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विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में उन इलाकों में सबसे ज्यादा मुनाफा मिलेगा, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम हो रहा है. इस मामले में द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) और एसपीआर (SPR) सबसे बड़े 'ग्रोथ कॉरिडोर' बनकर उभरे हैं. प्रस्तावित मेट्रो विस्तार और दिल्ली, आईजीआई एयरपोर्ट व एनसीआर के अन्य प्रमुख हिस्सों से शानदार कनेक्टिविटी ने इन लोकेशन्स को निवेश के लिए सबसे आकर्षक बना दिया है.
2026 में निवेश केवल जमीन के टुकड़े तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 'स्मार्ट और कम्युनिटी लिविंग' पर जोर होगा. टियर-2 शहरों में बढ़ती डिजिटल कनेक्टिविटी और 'वर्क फ्रॉम होम' के बढ़ते कल्चर ने इन इलाकों में प्रीमियम हाउसिंग की मांग को और तेज कर दिया है, जिससे निवेशकों को न केवल रेंटल इनकम बल्कि प्रॉपर्टी की कीमतों में भी भारी उछाल मिलने की उम्मीद है.
2026 का रियल एस्टेट बाजार उन लोगों के लिए अवसरों का द्वार खोलेगा जो मेट्रो शहरों की भीड़ से निकलकर उभरते हुए 'माइक्रो-मार्केट्स' पर दांव लगाएंगे. चाहे वह गोवा का शांत किनारा हो या झांसी और वृंदावन जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र. लेकिन कोई भी निवेश करने से पहले रेरा (RERA) रजिस्ट्रेशन और भविष्य के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की जांच करना अनिवार्य है. साथ ही उस प्रॉपर्टी की खुद जाकर जांच करें और कानूनी सलाह जरूर लें.
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स्मिता चंद