US-China टैरिफ टेंशन से यहां सबसे बड़ा खतरा, एक्सपर्ट्स बोले- 'भयावह परिणाम...'

US-China Tariff War: अमेरिका और चीन में टैरिफ वॉर थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर जहां अमेरिका ने जहां चीन पर 145% टैरिफ लगाया है, जिसके जवाब चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 125% का हाई टैरिफ लगा दिया है.

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अमेरिका-चीन के बीच जारी है टैरिफ वॉर अमेरिका-चीन के बीच जारी है टैरिफ वॉर

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:22 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने जो टैरिफ युद्ध (Trump Tariff War) शुरू किया है, उसका असर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है. हालांकि, अमेरिका के निशाने पर सबसे आगे ड्रैगन यानी चीन ही है. इसका अंदाजा दोनों देशों के बीच लगातार टैरिफ लगाने की होड़ से देखकर लगाया जा सकता है. इस बीच एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यूएस-चीन टैरिफ टेंशन (US-China Tariff Tension) से ग्लोबल मार्केट की स्थिरता को चुनौती मिली है और दो आर्थिक शक्तियों के संबंधों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.

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अमेरिका-चीन में जारी है टैरिफ वॉर
US-China Trade War ने दुनिया में हलचल मचा दी है. इस व्यापार युद्ध के बीच दोनों ही देशों में एक-दूसरे पर हाई टैरिफ लगाए जा रहे हैं, जिसका बुरा असर अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों पर तो पड़ ही रहा है, बल्कि वैश्विक बाजार की स्थिरता को बड़ी चुनौती मिल रही है. दुनियाभर के बाजारों में टैरिफ के चलते उथल-पुथल देखने को मिल रही है. बता दें कि अमेरिका ने जहां चीन पर पहले 54%, फिर 104% और अब 145% टैरिफ लगाया है, जिसके जवाब चीन ने भी अमेरिकी आयात पर 125% का हाई टैरिफ लगा दिया है. इससे अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों (US-China Business Relations) पर निर्भरता रखने वाले व्यवसाय अस्थिर नजर आ रहे हैं. 

भयावह साबित हो सकते हैं परिणाम!
बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स ने यूएस-चीन ट्रेड वॉर के असर के बारे में बात करते हुए कहा है कि अगर Tariff जारी रहा, तो इन दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच लॉन्गटर्म इकोनॉमिक रिलेशंस को गंभीर खतरा हो सकता है. हांगकांग यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल में फाइनेंस के प्रोफेसर चेन झिवु की मानें तो इससे वास्तव में अमेरिकी और चीनी दोनों अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी. वहीं नेशनल रिटेल फाउंडेशन में सरकारी मामलों के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डेविड फ्रेंच के अनुसार, 'इस पैमाने पर टैरिफ के परिणाम कई स्तरों पर भयावह साबित हो सकते हैं.'

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US-China में 500 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार
बता दें कि एक्सपर्ट्स का ये अनुमान इसलिए भी सही नजर आता है, क्योंकि अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी Economy हैं और इन दोनों के बीच कारोबार भी बड़ा है. आंकड़ों पर नजर डालें, तो बीते साल 2024 में चीन के साथ अमेरिका का माल व्यापार (US-China Trade) करीब 582.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जबकि आयात में 2.8% की बढ़ोतरी के कारण व्यापार घाटा लगभग 295 अरब डॉलर रहा था. येल यूनिवर्सिटी बजट लैब के अनुमान के अनुसार, टैरिफ से 2025 तक अमेरिका की इकोनॉमिक ग्रोथ में 1.1% की कमी आने का अनुमान है.

ट्रंप की इस राहत का चीन को फायदा नहीं
यहां बता दें कि टैरिफ वॉर के बीच हाल ही में Donald Trump प्रशासन द्वारा स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स को रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) से बाहर रखने की बात कही गई है. रिपोर्ट की मानें तो इससे यह बात साफ होती है कि मैन्युफेक्चरिंग को जल्द से जल्द अमेरिका में स्थानांतरित करना चुनौतीपूर्ण होगा. हालांकि, इस छूट के बावजूद China को अभी भी चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक्स पर 20% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है. इससे भारत और वियतनाम जैसे देशों को अमेरिकी बाजारों में अपनी धमक बढ़ाने और लाभ कमाने का मौका मिल सकता है. यह परिदृश्य ग्लोबल सप्लाई चेन में रणनीतिक बदलाव को रेखांकित करता है.

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चीन से अमेरिका को निर्यात चुनौती भरा
टैरिफ लगभग एक बैन की स्थिति पैदा कर रहे हैं, जिससे चीन के लिए अमेरिका को परिधान जैसी कम लागत वाली वस्तुओं का निर्यात करना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. ऐसे में अमेरिकी कारोबारियों को चीनी आपूर्तिकर्ताओं के बजाय अन्य विकल्प तलाशने की जरूरत हो सकती है. यह बदलाव भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के साथ हुआ है, जिसमें मेक्सिको और कनाडा अब अमेरिका के शीर्ष आयात स्रोतों के रूप में अग्रणी हैं, हालांकि चीन एक महत्वपूर्ण भूमिका बनाए रखता है, खासकर बेबी कैरिज और आतिशबाजी जैसी कैटेगरियों में. ट्रंप टैरिफ से इन देशों की सप्लाई चेन प्रभावित होगी. 

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