भारतीय शेयर बाजार (India Stock Market) के लिए सप्ताह का पहला कारोबार दिन सोमवार 'ब्लैक मंडे' साबित हुआ. बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में ही 3900 अंकों के आस-पास फिसल गया, तो निफ्टी ने भी 1000 अंकों का गोता लगा दिया. इस बीच एशियाई शेयर बाजारों में भी कोहराम मचा नजर आया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद से ही दुनियाभर के शेयर मार्केट संभल नहीं पा रहे हैं. आइए जानते हैं मार्केट क्रैश होने के पीछे के बड़े कारणों के बारे में विस्तार से...
एशिया से भारत तक मचा कोहराम
सोमवार को एशियाई बाजारों में कोहराम मचा और सभी मार्केट भरभराकर टूटे. हफ्ते के पहले कारोबारी दिन की शुरुआत में ही हांगकांग का हैंगसैंग 9.24%, जापान का निक्केई 8.50% फिसल गया. तो दूसरी ओर सिंगापुर के बाजार में 7%, चीन के मार्केट में 5.5%, मलेशियाई बाजार में 4.2% की गिरावट आई. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलियाई शेयर बाजार 4.1% और न्यूजीलैंड शेयर मार्केट 3.6% फिसल गया. भारत की अगर बात करें, तो शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स करीब 3900 अंक फिसला, तो निफ्टी में भी 1000 अंक की गिरावट आ गई. इस बीच बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 10 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई.
तगड़ी गिरावट के ये चार बड़े कारण
अब बात करते हैं शेयर बाजार में सोमवार को मचे कोहराम के पीछे के कारणों के बारे में, तो बता दें कि इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ ही नजर आ रहा है. इस बीच China-US के बीच टैरिफ के बाद नए दौर की तीखी नोकझोंक ने अमेरिकी मंदी की आशंकाओं को और भी बढ़ा दिया है, जिसका सीधा असर शेयर बाजारों पर देखने को मिल रहा है.
पहला कारण- ट्रंप के टैरिफ पर तीखे बयान
Donald Trump के टैरिफ के ऐलान के बाद से ही दुनिया भर में लगभग हर प्रमुख बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने अपनी टैरिफ नीतियों से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है. रॉयटर्स के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को अपने रेसिप्रोकल टैरिफ को एक 'दवा' करार दिया है. उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि कुछ भी खराब हो, लेकिन कभी-कभी आपको कुछ ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे वैश्विक शेयर बाजारों में होने वाले नुकसान को लेकर बिल्कुल चिंतित नहीं हैं.
दूसरा कारण- मंदी का बढ़ता जोखिम
Trump ने दुनिया के तमाम देशों पर लगाए गए टैरिफ पर अपना कड़ा रुख बनाए रखा है. इसके चलते शेयर बाजारों में घबराहट बढ़ गई है. ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने कहा कि US में मंदी के बढ़ते खतरे का असर दुनियाभर में दिख सकता है. भारत को लेकर ब्रोकरेज की राय है कि अमेरिका द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ के प्रति उदासीन प्रतिक्रिया के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार में FY26 की पहली तिमाही में और गिरावट आ सकती है.
तीसरा कारण- महंगाई का खतरा
रिपोर्ट्स में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि Trump Tariff से महंगाई तेजी से बढ़ेगी, कॉर्पोरेट बेनेफिट्स घटेंगे और इससे कंज्यूमर सेंटिमेंट पर असर दिखेगा, जो सीधे तौर पर इकोनॉमिक ग्रोथ पर अपना प्रभाव दिखाएगा. दरअसल, टैरिफ लगाए जाने और चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के पलटवार से इस बात की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं कि बड़ा ट्रेड वॉर होने से ग्लोबल इकोनॉमी को गंभीर झटका लगेगा. रॉयटर्स की मानें तो जेपी मॉर्गन ने वैश्विक मंदी की संभावना को 40 फीसदी के अपने पूर्वानुमान से बढ़ाकर अब 60 फीसदी कर दिया है.
चौथा कारण- FPI की बेरुखी जारी
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के पीछे अगला कारण विदेशी निवेशकों की बेरुखी है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों यानी FPI ने एक बार फिर भारतीय शेयर बाजारों से पैसे निकालना शुरू कर दिया है और इसका असर इंडेक्स पर साफ देखने को मिल रहा है. ट्रंप टैरिफ ने इसे और तेज कर दिया है. बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार तक एफपीआई ने 13,730 करोड़ के शेयर बेचे.
आजतक बिजनेस डेस्क