पाकिस्तान अपनी खराब आर्थिक हालत (Pakistan Economic Crisis) का ढिंढोरा पीट-पीटकर देश दुनिया के सामने हाथ फैला रहा है. IMF जैसा संगठन तरस खाकर इसे लोन तो दे देते हैं, लेकिन हर बार इसका दुरुप्रयोग करता है. एक बार फिर IMF से पाकिस्तान को लोन मिला है, जिसका उपयोग पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए है. लेकिन PAK का इतिहास देखकर यही लगता है कि फिर ये इस पैसे का इस्तेमाल आतंकी कंस्ट्रक्शन को ब्यूल्ट करने में इस्तेमाल करेगा.
शुक्रवार को भुज एयरबेस से देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने IMF को फिर से पाकिस्तान के लोन को लेकर विचार करने को कहा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा नष्ट किए गए आतंकवादी नेटवर्क को फिर से बनाने की कोशिश कर रहा है. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि IMF ऋण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा 'निश्चित रूप से' आतंकवादी बुनियादी ढांचे को फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
'14 करोड़ रुपये मसूद अजहर को'
9 मई को, जब भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी, IMF ने भारत की आपत्तियों के बावजूद अपने लोन कार्यक्रम के भाग के रूप में इस्लामाबाद के लिए 1 अरब डॉलर का लोन अमाउंट को मंजूरी दे दी. रक्षा मंत्री ने आगे जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता आतंकवाद के फंडिंग से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि वहां की सरकार आम पाकिस्तानी टैक्सपेयर्स से मिले करीब 14 करोड़ रुपये मसूद अजहर पर खर्च करने की योजना बना रही है.
रक्षा मंत्री का यह बयान पाकिस्तान के मंत्री राणा तनवीर हुसैन द्वारा मुरीदके का दौरा करने के एक दिन बाद आया है. मुरीदके उन नौ आतंकी ठिकानों में से एक है, जिन पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने हमला किया था. हुसैन ने कहा था कि सरकार अपने खर्च पर इस इलाके का पुनर्निर्माण करेगी.
पाकिस्तान को कितना मिलेगा लोन?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के लिए एक नए ऋण पैकेज को मंजूरी दे दी है और अपनी विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत 1 अरब अमेरिकी डॉलर जारी करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसके बाद कुल राशि 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है. इसके साथ ही IMF 1.4 अरब डॉलर की एक्स्ट्रा राशि को भी मंजूरी दे दी है. जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद करना है.
यह फैसला इस महीने की शुरुआत में आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की बैठक में लिया गया था। भारत ने इस कदम का समर्थन नहीं किया और मतदान से दूर रहने का फैसला किया. IMF के इस कदम की हर तरफ आलोचना हो रही है.
पाकिस्तान क्या करेगा IMF के पैसे का?
PAK को दिया जाने वाला पैसा उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और उसे पूरी तरह से ढहने से बचाने के लिए है. देश भारी कर्ज, गिरते रुपये और अपने विदेशी मुद्रा भंडार पर गंभीर दबाव का सामना कर रहा है.
इन्फोमेरिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग्स के डॉ. मनोरंजन शर्मा का कहना है कि इस राहत पैकेज का उद्देश्य स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को ढहने से बचाना है, जिसके लिए कुछ शर्तें हैं. सब्सिडी में कटौती, टैक्स न चुकाने वालों पर टैक्स लगाना, रुपये की गिरावट को रोकना और सबसे महत्वपूर्ण, युद्ध को बंद करना.
लोन को लेकर क्या रहा है पाकिस्तान का इतिहास?
लेकिन पाकिस्तान के खराब रिकॉर्ड और आईएमएफ फंड के दुरुपयोग की चिंताओं को देखते हुए भारत ने इस बेलआउट का विरोध किया है. PAK को कई बार IMF से वित्तीय मदद मिली है. 1958 से अब तक देश ने 24 बेलआउट लिए हैं. फिर भी, इसकी आर्थिक समस्याएं जारी हैं. जिस कारण यह IMF से लोन लेने वालों में टॉप लिस्टों में शामिल है.
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने IMF के नियमों को खुलकर धज्जिया उड़ाई हैं. हालांकि एक बार फिर IMF ने पाकिस्तान की सहायता की है, लेकिन दुनिया की नजर इस बात पर रहेगी कि क्या दिए गए पैसे का उपयोग इनडायरेक्ट से पाकिस्तान की सेना और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी ग्रुपों को सपोर्ट देने के लिए किया जाता है.
आजतक बिजनेस डेस्क