India New Zealand FTA: अमेरिका ने रोका! लेकिन भारत ने कहा- यही है मौका, और लगा दिया चौका!

साल 2025 में भारत ने अब तक कुल 4 समझौते किए हैं. जिनमें ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ओमान के साथ FTA/CEPA शामिल हैं, जबकि EFTA (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन) के साथ समझौता हुआ. यानी भारत ने इस साल कारोबारी फ्रंट पर चौका लगा दिया है.

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भारत और न्यूजीलैंड ने FTA को महज 9 महीने में अंतिम रूप दिया. (Photo: PTI) भारत और न्यूजीलैंड ने FTA को महज 9 महीने में अंतिम रूप दिया. (Photo: PTI)

अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:05 AM IST

अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में पहले तमाम देशों को टैरिफ की धमकी दी, फिर एक-एक कर अलग-अलग देशों पर मनमुताबिक टैरिफ थोप दिया. वैसे भारत और अमेरिका के बीच पिछले दो दशकों में रिश्ते तेजी से सुधरे हैं. लेकिन इसके बावजूद अमेरिका ने भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया, जिसमें रूसी तेल खरीदने का बहाना बनाकर 25 फीसदी पेनॉल्टी है.

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भारत ने अमेरिकी टैरिफ का अपने स्तर पर विरोध किया. जानकारों की मानें तो अमेरिका टैरिफ के बहाने भारत पर दबाव बनाना चाहता है, ताकि कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स की भारत में एंट्री हो जाए, जिसके लिए भारत अपने बाजार खोलने के लिए तैयार नहीं है. अमेरिका से कारोबारी तनाव के बीच भारत ने दुनिया के दूसरे देशों के बाजारों में अपनी पहुंच की कोश‍िशें शुरू कर दी.

साल 2025 भारत के लिए चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन भारत ने इसे अवसर में बदलने का भी काम किया है. इसी कड़ी में भारत ने तीसरा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) न्यूजीलैंड के साथ फाइनल कर दिया है. भारत और न्यूजीलैंड ने 22 दिसंबर 2025 को महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत न्यूजीलैंड के 95% निर्यात पर भारत में आयात शुल्क (टैरिफ) को या तो पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा, या काफी कम हो जाएगा. 

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मार्च में न्यूजीलैंड से शुरू हुई थी बातचीत

भारत के लिए यह समझौता वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है. भारत की सक्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं क‍ि ये डील महज 9 महीने में पूरी हुई है. इसपर बातचीत मार्च 2025 में शुरू हुई थी, जब न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया था. दोनों देशों की सरकारों ने इस समझौते को जल्द ही औपचारिक रूप से 2026 के पहले भाग में साइन करने की योजना बनाई है. 

बता दें, भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) को ऐतिहासिक करार दिया है. यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. यह समझौता निवेश को भी बड़ा प्रोत्साहन देगा. इसके तहत न्यूजीलैंड ने अगले 15 वर्षों के दौरान भारत में 20 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की प्रतिबद्धता जताई है.

यही नहीं, इसे लागू होते ही भारत में न्यूज़ीलैंड से आयात होने वाले 95 फीसदी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ हटा दिए जाएंगे या बेहद कम कर दिए जाएंगे. यही नहीं, FTA लागू होते ही अधिकतर प्रोडक्ट्स पहले दिन से ही ड्यूटी-फ्री हो जाएंगे. 

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न्यूजीलैंड के वाणिज्य और उद्योग मंत्री टॉड मैक्ले ने कहा है कि इससे न्यूजीलैंड के एक्सपोर्ट में आने वाले दशक में NZ$1.1 अरब से NZ$1.3 अरब तक की सालाना बढ़ोतरी संभव है, क्योंकि इसका लाभ घरेलू उत्पादकों, विशेष रूप से कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित निर्यातकों को मिलेगा.

डील से दोनों देशों को क्या फायदा?

एक्सपर्ट्स भी मान रहे हैं कि यह समझौता न्यूजीलैंड के खासकर कृषि, वानिकी, ऊन, लकड़ी और फल निर्यातकों के लिए फायदेमंद साबित होने वाला है. क्योंकि भारत की बढ़ती मध्यमवर्गीय आबादी में इन प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ रही हैं. भारत भी इस समझौते के माध्यम से अपने प्रोडक्ट्स को न्यूजीलैंड के बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर बेचने की स्थिति में होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच फोन पर बातचीत के बाद इस समझौते की औपचारिक घोषणा की गई. दोनों नेताओं ने इस समझौते को ऐतिहासिक, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभदायक करार दिया है.

वहीं, न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री ने कहा कि इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड को होने वाले भारतीय निर्यात पर लगने वाले शुल्क भी हटा दिए जाएंगे और भारतीय छात्रों और कामगारों के लिए आवागमन के नियमों में ढील दी गई है, जिससे उन्हें शिक्षा और रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे.

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कीवी के लिए भारत बड़ा बाजार 

उदाहरण के लिए न्यूजीलैंड कीवी का बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन फिलहाल भारत की कुल खपत का महज 5 फीसदी कीवी ही न्यूजीलैंड से आयात किया जाता है. भारत और न्यूजीलैंड के बीच FTA से कीवी निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर साबित होने वाला है, खासकर उन कंपनियों और किसानों के लिए जो भारत के विशाल मार्केट में एंट्री का इंतजार कर रहे हैं. इससे न केवल न्यूजीलैंड की कृषि और खाद्य उद्योग को मजबूती मिलेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी और गहरा होगा. 

समझौते के मुताबिक, कीवी निर्यातकों के ल‍िए भारत एक बड़े बाजार के तौर पर तैयार है. न्यूजीलैंड से भारत आने वाले विशेष रूप से फल (कीवी), ऊन, लकड़ी, ड्राई फ्रूट और अन्य कृषि उत्पादों के लिए बड़ा अवसर है. 

भारत में कुल कीवी आयात में न्यूजीलैंड की हिस्सेदारी करीब 5% के आसपास है. साल 2023 में भारत ने लगभग 55,000 टन कीवी आयात किया था, इसमें करीब 2,700 टन कीवी न्यूजीलैंड से खरीदा गया था. चिली भारत को कीवी का सबसे बड़ा सप्लायर है. इसके अलावा कीवी ग्रीस, थाइलैंड, अफ़गानिस्तान, इटली और ईरान से आते हैं. 

भारत से क्या-क्या लेता है न्यूजीलैंड

अगर दोनों के बीच व्यापार की बात करें तो भारत का न्यूजीलैंड से आयात (साल 2024) में करीब 507 मिलियन डॉलर का रहा था. वहीं, इस दौरान भारत ने न्यूजीलैंड को करीब 617 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था. भारत न्यूजीलैंड से आयरन एंड स्टील, एल्यूमिनियम, खनिज ईंधन और तेल उत्पाद, लकड़ी और लकड़ी से बने सामान, पेपर प्रोडक्ट्स, फल, मेवा, औद्योगिक और रासायनिक सामान लेता है. न्यूजीलैंड की विश्व-प्रसिद्ध ऊन भी भारत खरीदता है, जो कि कपड़ा और कारपेट जैसे उद्योगों में इस्तेमाल होता है. 

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जबकि भारत से न्यूजीलैंड को मेडिसिन और फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल और कपड़े, मशीनरी और औद्योगिक उपकरण, व्हीकल्स और ऑटो पार्ट्स, खनिज तेल उत्पाद, पेपर प्रोडक्ट्स, कीमती पत्थर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्यात किए जाते हैं.

बता दें, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारत का इस्पात, एल्यूमिनियम, टेक्सटाइल, रेडीमेड गारमेंट्स, ऑटो पार्ट्स और कुछ इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. इन सेक्टर्स में लागत बढ़ने से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा कमजोर पड़ी. लेकिन अब भारत इन्हीं प्रोडक्ट्स के लिए दूसरे देशों के बाजारों में अपनी पहुंच बना रहा है.

न्यूजीलैंड के अलावा साल 2025 में भारत ने अब तक कुल तीन मुक्त व्यापार समझौते (FTA/CEPA) किए हैं. इनमें ब्रिटेन और ओमान के साथ नए समझौते शामिल हैं, जबकि EFTA (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन) के साथ समझौता लागू हुआ. यानी कारोबार के मोर्चे पर भारत ने साल 2025 में चौका लगा चुका है. वहीं, भारत और EU के बीच FTA की बातचीत भी लंबे समय से चल रही है और अगले साल इसके फाइनल होने की उम्मीद है. भारत-चिली के बीच CEPA पर मंथन जारी है. भारत-कतर के बीच भी FTA की संभावना पर बातचीत हो रही है. इन सबके बीच सबसे अहम भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर लगातार बैठकें हो रही हैं. अगले साल अमेरिका के साथ भी FTA/ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति बन सकती है.

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