ट्रंप-पुतिन की दुश्मनी की कीमत चुकाएगी ये ऑयल कंपनी, बेचना पड़ रहा तेल का कुआं-रिफाइनरी

रूस की दो बड़ी तेल कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों के आगे चरमराने लगी हैं. रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक लुकोइल ने अमेरिकी प्रतिबंध के बाद अपनी अंतर्राष्ट्रीय संपत्तियां बेचने की घोषणा की है. लुकोइल का यूरोप, इराक, सेंट्रल एशिया में तेल का विशाल कारोबार है. इराक में लुकोइल के पास दुनिया के सबसे बड़े ऑयल फील्ड में से एक में 75 फीसदी हिस्सेदारी है.

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अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है (Photo: AI generated) अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है (Photo: AI generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

अमेरिकी प्रतिबंधों के दबाव में रूसी तेल कंपनियों का साम्राज्य चरमराने लगा है. रूस की दूसरी बड़ी तेल कंपनी लुकोइल ने कहा है कि वो अपनी अंतर्राष्ट्रीय संपत्तियों की बिक्री करेगी. रूस की दूसरी सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी लुकोइल ने सोमवार को कहा कि वह पिछले हफ़्ते अमेरिका द्वारा यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर इस कंपनी पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अपनी अंतर्राष्ट्रीय संपत्तियां बेचेगी. 

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फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन जंग के बाद अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से ये पहली बार है कि कोई कंपनी योजनाबद्ध तरीके से अपनी संपत्ति बेच रही है. 

रॉयटर्स के अनुसार लुकोइल ने अपने बयान में कहा, "परिसंपत्तियों की बिक्री OFAC विंड डाउन लाइसेंस के तहत की जा रही है. यदि आवश्यक हुआ तो कंपनी अपनी अंतर्राष्ट्रीय परिसंपत्तियों के निर्बाध संचालन को सुनिश्चित करने के लिए लाइसेंस के विस्तार के लिए आवेदन करने की योजना बना रही है."  

कंपनी ने कहा है कि संभावित खरीदारों की बोलियों पर विचार शुरू हो गया है.

बता दें कि 22 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनियों, लुकोइल और रोसनेफ्ट पर यूक्रेन संबंधी प्रतिबंध लगा दिए. ये दोनों कंपनियां रूस के 50 फीसदी कच्चे तेल का उत्पादन करती हैं. 

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15 अक्टूबर को ब्रिटेन ने भी लुकोइल और रोसनेफ्ट के साथ-साथ 44 शैडो टैंकर को बैन किया. ये ऐसे टैंकर थे जिनके मालिकाना हक के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ब्रिटेन ने कहा कि इन प्रतिबंधों का मकसद कच्चे तेल से रूस को होने वाली कमाई को कम करना है. 

अमेरिका ने भी लुकोइल और रोसनेफ्ट पर प्रतिबंध लगाते वक्त यही तर्क दिया था. 

दुनिया में जितने कच्चे तेल का प्रोडक्शन होता है मॉस्को स्थित लुकोइल का इसमें 2 प्रतिशत हिस्सा है.  लुकोइल का नाम पश्चिमी साइबेरिया में लुकोइल केतीन तेल शहरों: लांगेपास, उरई और कोगालिम से लिया गया है. 

लुकोइल के पास इराक में दुनिया के सबसे बड़े तेल कुएं में से एक में 75 फीसदी हिस्सेदारी है. (Photo: Pexels)

कंपनी ने अभी यह नहीं कहा है कि वो अपनी किन-किन संपत्तियों को बेचेगी. लेकिन खरीदारों की नजर कंपनी के तेल के कुएं और रिफाइनरी पर है. जो कि दुनिया के बड़े तेल कुओं में आते हैं.

विदेशों में लुकोइल के पास क्या क्या संपत्ति है

विदेश में लुकोइल की सबसे बड़ी संपत्ति इराक के वेस्ट कुर्ना-2 में स्थित तेल कुआं है. ये दुनिया के सबसे बड़े तेल क्षेत्रों में से एक है और जिसमें इसकी 75% हिस्सेदारी है. 

रूस की इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के अनुसार अप्रैल में इस तेल क्षेत्र का उत्पादन 480,000 बैरल प्रतिदिन से अधिक रहा. 

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कंपनी के पास बुल्गारिया में 190,000 बैरल प्रतिदिन की क्षमता वाली लुकोइल नेफ्तोहिम बर्गास रिफाइनरी है. ये बाल्कन की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है, और साथ ही रोमानिया में पेट्रोटेल तेल रिफाइनरी भी है.

लुकोइल हंगरी और स्लोवाकिया के साथ-साथ तुर्की की स्टार रिफाइनरी को भी तेल की सप्लाई करता है, जिसका स्वामित्व अज़रबैजान के एसओसीएआर के पास है. ये कंपनी काफी हद तक रूसी कच्चे तेल पर निर्भर है.

लुकोइल की सेंट्रल एशिया और यूरोप में भी तेल का बिजनेस है. यूरोप में इस कंपनी के तेल टर्मिनल हैं और यहां इसका खुदरा व्यवसाय भी है, जबकि  कजाकिस्तान समेत सेंट्रल एशिया के दूसरे देशों में कंपनी कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. 

अमेरिकी प्रतिबंध के क्या परिणाम होंगे?

अमेरिकी प्रतिबंधों का लुकोइल और रोजनेफ्ट पर गहरा असर पड़ेगा. अब इन तेल कंपनियों के साथ दुनिया की कोई कंपनी व्यापार नहीं कर सकेगी. ऐसा करने वाली कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. 

लुकोइल और रोजनेफ्ट पर अमेरिकी प्रतिबंध रूस-यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेंगे. इससे रूस की कमाई घटेगी और उसकी यूक्रेन जंग को लंबा खींचने की क्षमता कम होगी. बता दें कि रूस का बजट लगभग 40% तेल-गैस से होने वाली कमाई पर निर्भर है, जो युद्ध मशीनरी के लिए महत्वपूर्ण है. अमेरिका की मंशा है कि ये प्रतिबंध मॉस्को की राजस्व कमाई को नुकसान पहुंचाकर युद्ध प्रयासों को बाधित करेंगे. 

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लुकोइल के बारे में जानिए

लुकोइल (Lukoil) रूस की सबसे बड़ी निजी तेल कंपनी है. इसका मुख्यालय मॉस्को में है. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद तीन सरकारी तेल इकाइयों Langepas, Urai and Kogalym को विलयकर इस कंपनी को बनाया गया. 

यह दुनिया की प्रमुख ऊर्जा कंपनियों में से एक है. इसका काम कच्चे तेल को खोजना, तेल कुएं से तेल निकालना, रिफाइनिंग और फिर से बेचना है. 

2024 तक लुकोइल का दैनिक उत्पादन लगभग 2.2 मिलियन बैरल है. कंपनी रूस के पश्चिमी साइबेरिया, वोल्गा-उराल और टिमान-पेचोरा क्षेत्रों में 60% से अधिक उत्पादन करती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इराक, अजरबैजान, मिस्र और नॉर्वे में इसके प्रोजेक्ट चल रहे हैं. 
 
इसके 4 बड़े रिफाइनरी रूस में और 3 यूरोप (इटली, बुल्गारिया, रोमानिया) में हैं. लुकोइल का 100 से अधिक देशों में पेट्रोल पंप नेटवर्क है. यह NYSE पर लिस्टेड थी, लेकिन 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद डीलिस्ट हो गई. 

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