भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील (India-US Trade Deal) को लेकर हर दिन एक नया अपडेट सामने आ रहा है. अब भारतीय अधिकारियों का एक दल जल्द ही वाशिंगटन डीसी जाकर बातचीत फिर से शुरू करने वाला है. इस बार की बातचीत में व्यापार डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है, क्योंकि अमेरिकी-भारतीय अधिकारी अंतरिम समझौते पर काम कर रहे हैं. सरकारी सूत्रों के अनुसार, जल्द ही डील होने वाली है.
वहीं एक दिन पहले बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में कहा गया कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में डील को फाइनल किया जा सकता है. इस डील को लेकर वार्ता में शामिल भारत के मुख्य वार्ताकार ने भी बड़ा अपडेट दिया है.
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता (India-US Trade Talk) में भारत के मुख्य वार्ताकार ने कहा कि भारत, अमेरिका के साथ एक डील पर बातचीत कर रहा है और उसे अंतिम रूप दे रहा है. नई दिल्ली में CII एक्सपोर्ट लॉजिस्टिक्स प्रोग्राम को संबोधित करते हुए राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत आसियान व्यापार समझौते की भी समीक्षा कर रहा है. भारत अब लैटिन अमेरिका में भी एंट्री लेगा. साथ ही चिली और पेरू के साथ भी डील को अंतिम रूप देने का प्रयास करेगा.
व्यापार की बदलने वाली है सूरत
अग्रवाल ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि अब व्यापार का स्वरूप बदलेगा और हमें इसके लिए अलर्ट रहने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हम जो निर्यात कर रहे हैं, वह ही बस निर्यात नहीं करेंगे... जिन वस्तुओं का हम निर्यात करते हैं, उनकी प्रकृति भी बदलने वाली है. मुख्य वार्ताकार ने कहा कि आज सबसे तेजी से बढ़ता एक्सपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स है और यह भारत के टॉप 3 एक्सपोर्ट सेक्टर्स में से एक है. इसके अलावा, भारत एक प्रमुख एग्रीकल्चर एक्सपोर्टर भी बन रहा है.
लॉजिस्टिक पर फोकस
फिर भी, रसद संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि भारत अब बेहतर निर्यात सुनिश्चित करने के लिए रसद व्यवस्था पर फोकस कर रहा है. उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर से हमारे सेब ग्लोबल मार्केट में जाते हैं, लेकिन इसके लिए मजबूत कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि जब भी कोई भू-राजनीतिक मुद्दा उठता है तो लॉजिस्टिक्स कॉस्ट बढ़ जाती है और इस कारण भारत को हाई कॉस्ट का सामना करना पड़ता है.
कहां फंसा हुआ है पेंच
बिजनेस टुडे ने पहले ही रिपोर्ट किया था कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में कृषि और डेयरी क्षेत्र मुख्य अड़चन बने हुए हैं. अब इस डील को लेकर अमेरिका को फैसला करना है. सूत्रों के अनुसार, भारत कृषि के संवेदनशील क्षेत्रों, खासकर डेयरी और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के लिए मार्केट ओपेन करने का इच्छुक नहीं है. ये राष्ट्रीय हित के मुद्दे हैं और कई भारतीयों, खासकर किसानों, की आजीविका इन पर निर्भर करती है.
आजतक बिजनेस डेस्क