रुकने वाला नहीं है भारत, अमेरिका से ही आई ऐसी अच्छी रिपोर्ट, टैरिफ का कोई डर नहीं!

ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसी S&P ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बढ़ाकर BBB कर दिया है, जो पहले BBB- था. एजेंसी ने यह भी कहा है कि भारत पर टैरिफ का असर मामूली होगा.

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S&P ग्‍लोबल ने भारत की रेटिंग बढ़ा दी है. (Photo: File/PTI) S&P ग्‍लोबल ने भारत की रेटिंग बढ़ा दी है. (Photo: File/PTI)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 14 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

ग्‍लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P ग्‍लोबल ने मजबूत इकोनॉमी और सस्‍टनेबल ग्रोथ का हवाला देते हुए भारत की लॉन्‍गटर्म सॉवरेन क्रेडिट रे‍टिंग को 'BBB-' से बढ़ाकर 'BBB' कर दिया है. इस रेटिंग का मतलब है कि भारत का नजरिया स्थिर बना हुआ है और दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की दिशा में अग्रसर है. साथ ही देश टैरिफ और व्‍यापार जैसे ग्‍लोबल चुनौतियों से भी निपट रहा है. 

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S&P का बयान ऐसे वक्‍त में सामने आया है, जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को 'डेड इकोनॉमी' बताया था और भारत पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि भारत की ये रेटिंग, उसकी तेज आर्थिक ग्रोथ और महंगाई को कंट्रोल करने वाले बेहतर पॉलिसी को दिखाता है. 

एजेंसी ने कहा कि राजस्‍व के लिए बेहतर प्रयास और खर्च में सुधार के प्रयासों ने भारत के लोन मानकों को मजबूत किया है. रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ का असर प्रबंधनीय होगा और कुल मिलाकर इसका असर मामूली ही रहेगा, जिससे भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 

भारत में ही 60 फीसदी रेवेन्‍यू हो रहा जनरेट
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हमारा मानना है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव बहुत ज्‍यादा नहीं होगा. भारत व्‍यापार पर कम निर्भर है और इसकी करीब 60 फीसदी आर्थिक रेवेन्‍यू घरेलू खपत से आती है. हमारा अनुमान है कि अगर भारत को रूसी कच्‍चे तेल का आयात बंद करना पड़ता है और राजकोषीय लागत पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन की जाती है तो इसका असर बहुत ज्‍यादा नहीं होगा. 

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अमेरिका को इतना एक्‍सपोर्ट करता है भारत 
एजेंसी ने कहा कि अमेरिका भारत का भले ही सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझेदार है, लेकिन फिर भी हमें नहीं लगता कि 50 फीसदी टैरिफ भारत की विकास पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. अमेरिका को भारत का निर्यात GDP का करीब 2 फीसदी है. फार्मास्‍यूटिकल्‍स और कंज्‍यूमर्स इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स पर सेक्‍टर्स छूट को फोकस में रखते हुए टैरिफ के अधीन भारतीय एक्‍सपोर्ट रिस्‍क GDP के 1.2 प्रतिशत से कम है. हालांकि इससे आखिरी विकास पर एकमुश्‍त असर पड़ सकता है, लेकिन हमारा मानना है कि इसका प्रभाव मामूली होगा और यह भारत की लॉन्‍गटर्म विकास संभावनाओं केा प्रभावित नहीं करेगा. 

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक यीफार्न फुआ ने बुधवार को भी इसी तरह की राय व्यक्त की थी. फुआ ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ से भारत की आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ने की संभावना नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉन्‍ग टर्म में भी टैरिफ का असर बहुत कम दिखाई देगा या फिर नहीं भी होगा, क्‍योंकि भारत दूसरा विकल्‍प भी तलाश सकता है. 

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