अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का डबल टैरिफ बम भारत पर फूट चुका है और अब भारत से अमेरिका में पहुंचने वाले सामानों पर 50% टैरिफ लगेगा. इसके बड़ा असर भारतीय निर्यात और डिमांड पर बुरा असर पड़ने का आशंका जताई जा रही है, लेकिन ये पहली बार नहीं है जब भारत ने ऐसे स्थिति का सामना किया है. इससे पहले कोरोना महामारी के समय भी अचानक मांग में तगड़ी गिरावट देखने को मिली थी. जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्री की डॉ साजिद चिनॉय ने अमेरिकी टैरिफ बम का मुकाबला करने के लिए कोविड प्लेबुक लागू करने की सलाह देते हुए 3-स्टेप प्लान बताया है.
48 अरब डॉलर के निर्यात पर संकट
अमेरिका ने बुधवार 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लागू कर दिया है और ट्रंप का भार पर कुल टैरिफ बढ़कर 50% हो गया है. मतलब अब तक 100 डॉलर का जो भारतीय सामान 25% टैरिफ के साथ 125 डॉलर में बिकता था, वो अब 150 डॉलर का हो जाएगा. महंगा होने के चलते अमेरिकी खरीदार कम टैरिफ वाले देशों का रुख करेंगे और भारतीय सामानों की डिमांड में गिरावट आएगी.
अनुमान के मुताबिक, भारत पर रूसी कच्चे तेल और हथियारों की खरीद को मुद्दा बनाकर लगाया गया इस एक्स्ट्रा टैरिफ से अमेरिका को होने वाले 48 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात प्रभावित हो सकता है. इसका सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल, परिधान, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते-चप्पल के साथ ही केमिकल और मशीनरी प्रोडक्ट्स पर पड़ने वाला है.
कोविड प्लेबुक लागू करनी होगी
अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए जेपी मॉर्गन के एमडी और मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री डॉ. साजिद चिनॉय ने इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू के दौरान 3-स्टेप प्लान बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार की पहली और तात्कालिक चिंता श्रम-प्रधान उद्योगों का अस्तित्व बचाए रखना होनी चाहिए. आने वाले समय में सबसे बड़ी जरूरत इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य चिनॉय ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड के बाद से हमारे पास एक अच्छी रणनीति है, क्योंकि उस समय भी अचानक मांग में भारी गिरावट देखने को मिली थी. इसलिए हम जानते हैं कि इस समय क्या जरूरी है. उन्होंने कोविड प्लेबुक लागू करने की सलाह दी.
चिनॉय का ये 3-स्टेप प्लान
अर्थशास्त्री चिनॉय ने अल्पकालिक राहत के अलावा भारत से अमेरिका के अलावा दूसरे व्यापार विकल्पों के विस्तार की अपील की. उन्होंने कहा कि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, लेकिन ग्लोबल इंपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी महज 15% है और अमेरिका के बाहर भी एक बड़ी व्यापारिक दुनिया है, जिसका लाभ उठाने के लिए भारत को अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर फोकस करना चाहिए. चिनॉय ने भारत-ब्रिटेन ट्रेड डील आगे बढ़ने का जिक्र करते हुए अन्य देशों के साथ समझौतों में तेजी लाने पर जोर दिया और कहा कि मुझे लगता है कि यूरो डील को जल्द से जल्द आगे बढ़ाने की जरूरत है. सीपीपीटीपी, एशियाई फ्री ट्रेड सिस्टम पर भी गौर करें, क्योंकि ग्रोथ यहीं है.
इसके अलावा दूसरी अहम बात बताते हुए डॉ चिनॉय ने घरेलू स्तर पर आर्थिक सुधारों के अवसर ढूंढ़ने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमारी इकोनॉमिक हिस्ट्री ऐसे तमाम उदाहरणों से भरी पड़ी है, जहां प्रतिकूल बाहरी झटकों ने सुधारों के लिए राजनीतिक गुंजाइश पैदा की. सरकार ने जीएसटी में बड़े बदलाव के साथ बहुत अच्छी शुरुआत की है, जो मुझे लगता है कि बेहद कारगर है. उन्होंने इसके साथ ही इस तरह के अन्य सुधारों को भी लागू करने करने की सलाह दी है.
चिनॉय ने तीसरी बात में अमेरिका के साथ बाचतीत जारी रखने पर जोर दिया और कहा कि, 'सच तो यह है कि अगर ये 50% टैरिफ कुछ हफ्तों या महीनों तक जारी रहते हैं, तो झटके को झेला जा सकता है. लेकिन अगर ये इससे अधिक समय तक जारी रहेंगे, तो लागत बढ़ने से परेशानी बढ़ जाएगी. ऐसे में हमें अमेरिकियों के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए.' उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि अमेरिका इतना मनमौजी रहा है कि किसी समय उनकी बातचीत की स्थिति बदल भी सकती है.
आजतक बिजनेस डेस्क