Crude Oil के दाम गिरकर 100 डॉलर से नीचे, क्या देश में सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल?

Crude Oil के दाम में गिरावट भारत के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि देश में Petrol-Diesel की कीमतें निर्धारित करते समय अन्य कारकों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के भाव में उतार-चढ़ाव का भी असर पड़ता है.

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कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST
  • गुरुवार को Brent 99.98 डॉलर/बैरल पर पहुंचा
  • तीन महीने के निचले स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें

दुनियाभर में मंदी की आहट के बीच भारत के लिए राहत भरी खबर है. Crude Oil के दाम में गिरावट लगातार जारी है और अब यह 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है. बीते कारोबारी दिन में करीब तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद गुरुवार को भी इसकी कीमत में कमी आई है. क्रूड की कीमतें घटने से देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गई है. 

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तीन महीने के निचले स्तर पर दाम
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, crude oil के दाम में जारी गिरावट के चलते यह लगभग तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है. गुरुवार को भी शुरुआती कारोबार में तेल की कीमतों में गिरावट आई है. इसका कारण है कि संभावित वैश्विक मंदी (Global Recession) की आशंका की बीच तेल की मांग को लेकर चिंता बढ़ गई है. ब्रेंट क्रूड LCOc1 वायदा 71 सेंट गिरकर 99.98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. WTI क्रूड CLc1 वायदा 62 सेंट टूटकर 97.91 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.

उत्पादन और खपत की चिंता बढ़ी
इससे पहले मंगलवार को  WTI क्रूड में 8 फीसदी और Brent क्रूड में  9 फीसदी की गिरावट आई थी.  SPI Asset Management के मैनेजिंग पार्टनर स्टीफन इनेस ने कहा है कि उत्पादन और खपत के बारे में नई जानकारियों और चिंताओं के चलते तेल की कीमतों में कमी आ रही है. बाजार के सूत्रों की मानें तो बुधवार के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सप्ताह अमेरिकी कच्चे तेल के स्टॉक में लगभग 3.8 मिलियन बैरल की वृद्धि हुई है, जबकि गैसोलीन का स्टॉक 1.8 मिलियन बैरल घटा है. 

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पेट्रोल-डीजल पर ऐसे होता है असर
रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) शुरू होने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली है. इस दौरान क्रूड की कीमत साल 2008 के अपने उच्च स्तर को छूते हुए 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. हालांकि, इसके बाद इसकी कीमत में कमी आई और अब फिर से क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है. इसी तरह से अगर क्रूड का दाम गिरता है, तो पेट्रोल-डीजल के भाव में कमी की संभावना भी बढ़ जाती है. 

Crude में तेजी बढ़ाती है मुश्किलें
भारत में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमतें तय करने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के रेट की अहम भूमिका होती है. गौरतलब है कि भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक (Importer) है और अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता है. आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर (Dollar) में चुकानी होती है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं यानी ईंधन महंगे होने लगते हैं. अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती है तो भारत का आयात बिल भी बढ़ जाता है. 

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