चीन ने मांगी भारत से गारंटी... US को मत देना ये चीज, तभी करेंगे सप्‍लाई!

चीन ने भारत से गारंटी नोट मांगी है. चीन ने अनुरोध करते हुए कहा है कि वह यह गारंटी दे कि हैवी रेयर अर्थ की सप्‍लाई होने के बाद अमेरिका को दोबारा एक्‍सपोर्ट नहीं किया जाएगा.

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चीन ने भारत से रेयर अर्थ पर मांगी गारंटी. (Photo- File/ITG) चीन ने भारत से रेयर अर्थ पर मांगी गारंटी. (Photo- File/ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि चीन ने भारत से गारंटी मांगी है. चीन ने रिक्‍वेस्‍ट किया है कि वह यह गारंटी दे कि चीन से इम्‍पोर्ट भारी रेयर अर्थ मिनरल्‍स का शिपमेंट शुरू होने के बाद अमेरिका को दोबारा एक्‍सपोर्ट नहीं किया जाएगा. 

चीन चाहता है कि ये रेयर अर्थ, सिर्फ घरेलू भारतीय जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जाए. रेयर अर्थ इलेक्‍ट्र‍िक वाहनों और डिफेंस के लिए खास इनपुट है. इसके बिना ऑटो इंडस्‍ट्रीज से लेकर डिफेंस सेक्‍टर्स तक के काम प्रभावित हो सकते हैं. 

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द इकोनॉमिक टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने लास्‍ट यूजर्स सर्टिफिकेट जमा कर दिए हैं, जिनमें कहा गया है कि इन मिनरल्‍स का इस्‍तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों के निर्माण में नहीं किया जाएगा, लेकिन चीन निर्यात को लेकर और आश्‍वासन की मांग कर रहा है.

90% हिस्‍सा चीन का कंट्रोल करता है US
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन गारंटियों के कारण राजनीतिक संबंधों के बावजूद आपूर्ति में लगातार देरी हो रही है. चीन रेयर अर्थ मिनरल्‍स के वैश्विक उत्‍पादन के 90 फीसदी पर कंट्रोल रखता है और उसने कंट्री बेस्‍ड डाटा भी शेयर करना बंद कर दिया है. भारत और चीन के बीच रेयर अर्थ मिनरल्‍स को लेकर बातचीत अभी रुकी हुई है, क्‍योंकि चीन भारत से गारंटी चाहता है. 

भारतीय आपूर्तिकर्ताओं ने चीनी नियमों के अनुसार लास्‍ट यूज सर्टिफिकेट उपलब्‍ध कराए हैं. चीन की मांग में यह आश्‍वासन भी शामिल है कि इन रेयर अर्थ का यूज सामूहिक विनाश के ह‍थियारों के निर्माण या प्रोसेसिंग जैसे कामों के लिए नहीं किया जाएगा. एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि  वाणिज्य मंत्रालय से सर्टिफाइड कंपनियों ये आश्‍वासन दे रही हैं. 

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हल्‍के रेयर अर्थ मिनरल्‍स की सप्‍लाई जारी
अगस्त में शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन के बाद चीन ने भारत को हल्के दुर्लभ मृदा चुम्बकों की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी, लेकिन भारी रेयर अर्थ मिनरल्‍स की आपूर्ति अभी भी रुकी हुई है.  पिछले साल भारत ने 306 करोड़ रुपये के 870 टन दुर्लभ मृदा चुम्बकों का आयात किया था. इस मौजूदा कमी का असर हाई टेक्‍नोलॉजी इंडस्‍ट्रीज पर पड़ा है और इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपन‍ियों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.  

चीन ने अप्रैल में 'राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा' का हवाला देते हुए मध्यम और भारी दुर्लभ मृदा से संबंधित वस्तुओं पर एक्‍सपोर्ट कंट्रोल का ऐलान किया था. केवल वे खरीदार ही इन चीजों का आयात करने के लायक हैं, जिन्होंने चीन के वाणिज्य विभाग से लाइसेंस मिला है. यूरोप और साउथ ईस्‍ट एशिया को आपूर्ति के खिलाफ, भारतीय विक्रेताओं को अभी तक निर्यात लाइसेंस नहीं दिए गए हैं. 

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