China ने जिस चीज से दुनिया को डराया... अब दी बड़ी राहत, भारत पर भी होगा असर

China Eases Rare Earth Curbs: चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से नागरिक उपयोग के लिए रेयर अर्थ मेटल्स पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने का बयान जारी किया गया है, जो भारत के तमाम उद्योगों के लिए राहत भरी खबर है.

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रेयर अर्थ भारत के प्लान से चीन को मिलेगी चुनौती (Photo: Reuters) रेयर अर्थ भारत के प्लान से चीन को मिलेगी चुनौती (Photo: Reuters)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

चीन (China) जिस चीज के लिए बीते कुछ समय से अमेरिका समेत दुनियाभर को डरा रहा था, उसे लेकर अब राहत भरी खबर आई है. हम बात कर रहे हैं,  रेयर अर्थ मेटल्स (Rare Earth Metals) के बारे में, जिसपर लागू प्रतिबंधों में चीन ने नागरिक उपयोग के लिए ढील दी है. खास बात ये है कि भारत के निरंतर राजनयिक प्रयासों के बाद ड्रैगन ने सप्लाई संबंधी चिंताओं के बीच प्रतिबंधों में ये ढील दी है. आइए समझते हैं कि भारत के लिए इसका क्या अर्थ है?

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टैरिफ टेंशन के दौरान लगे बैन में ढील 
रेयर अर्थ मेटल्स की अहमियत को ट्रंप के टैरिफ अटैक से शुरू हुई ट्रेड टेंशन के बीच सभी ने समझा था, जबकि Donald Trump द्वारा China को हाई टैरिफ की धमकी दिए जाने के बाद, उसने Rare Earth Metals पर बैन लगा दिया था. इससे दुनिया में हड़कंप मच गया था. अब चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में पुष्टि की गई है कि उसने कुछ घरेलू कंपनियों के निर्यात आवेदनों को मंजूरी दे दी है, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार तनाव के बीच इस वर्ष की शुरुआत में लगाए गए प्रतिबंधों के बाद शिपमेंट फिर से शुरू हो गए हैं.

विदेश मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि इसे लेकर जारी प्रतिबंध मध्यम और भारी रेयर अर्थ मेटल्स के दोहरे उपयोग पर आधारित हैं, जिनका इस्तेमाल रक्षा उपकरणों में किया जा सकता है. बयान में ये साफ किया गया है कि Defence इस्तेमाल में सहायक निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी, इसे लेकर नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं और मानदंडों के अनुरूप हैं. 

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भारत के प्रयासों का चीन पर असर
बीजिंग ने रक्षा अनुप्रयोगों में इन मेटल्स पर कड़े प्रतिबंध जारी रखे हैं, लेकिन रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात को सिर्फ नागरिक उपयोग के लिए मंजूरी देने का उसका फैसला आपूर्ति की कमी से जूझ रहे भारतीय उद्योगों को कुछ हद तक राहत देने वाला साबित होगा. बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 19 दिसंबर को घोषित चीन ने यह कदम नई दिल्ली द्वारा किए गए निरंतर राजनयिक प्रयासों के बाद उठाया गया है. भारतीय अधिकारियों ने कई द्विपक्षीय मंचों पर दुर्लभ खनिजों की कमी का मुद्दा उठाया है.

गौरतलब है कि भारत की ओर से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रिन्यूएबल एनर्जी और उन्नत मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स के लिए बेहद जरूरी Rare Earth Metals की उपलब्धता पर बार-बार चिंता व्यक्त की गई थी. चीनी अधिकारियों ने कहा कि रेयर अर्थ से से संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण किसी विशिष्ट देश को लक्षित नहीं करता है और नागरिक उपयोग के लिए नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने वाले आवेदनों को मंजूरी मिलेगी. ऐसे में इन सभी सेक्टर्स को आने वाले दिनों में सबसे अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है.

चीन के अलावा दूसरे विकल्पों की तलाश 
बहरहाल, इस घटनाक्रम ने एक बार फिर चीन से प्राप्त Rare Earth Metals पर भारत की अत्यधिक निर्भरता को उजागर करने का काम जरूर किया है, लेकिन यह सप्लाई चेन में विविधता लाने की भारत की व्यापक रणनीति को भी बल देता है. भारत घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ मेटल्स के खनन में निवेश बढ़ाने के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे वैकल्पिक सप्लायर्स के साथ अपनी साझेदारी को भी मजबूत कर रहा है. हालांकि, चीन के नागरिक उपयोग के लिए मंजूरी मिलने से निकट भविष्य में आयात स्थिर होने की उम्मीद है.

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इस चीज पर चीन का वर्चस्व
अमेरिका के साथ Tariff War के बीच इस साल 2025 की शुरुआत में चीन ने एक्सपोर्ट कंट्रोल को कड़ा कर दिया, जिससे जरूरी धातुओं की ग्लोबल सप्लाई कम हो गई थी. इसके बाद भारतीय उद्योग संगठनों ने बढ़ती चिंताओं को तमाम मंचों पर उठाया, खासतौर पर ऑटोमोबाइल सेक्टर की ओर से. हालांकि, Trump-Jinping Meet के बाद अमेरिका के साथ एक समझौते पर पहुंचने के बाद बीजिंग ने इनमें से कुछ प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया.

गौरतलब है कि Rare Earth खनिजों की ग्लोबल माइनिंग में लगभग 70% और इसकी प्रोसेसिंग में लगभग 90% हिस्सेदारी रखने वाले चीन का इस पर वर्चस्व है. ऐसे में उसकी किसी भी तरह की निर्यात नीति में बदलाव का सीधा असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर देखने को मिलता है. 

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