चीन ने जापान को लेकर एक बड़ा झटका दिया है. उसने जापानी समुद्री खाद्य पदार्थों (Sea Foods) पर अचानक से बैन लगा दिया है. इस बैन ने भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए दरवाजा खोल दिया है. चीन के इस कदम से भारत के इस सेक्टर को बढ़ावा मिला सकता है, जो अमेरिका के भारी टैरिफ का दंश झेल रहा है.
अमेरिकी टैरिफ की वजह से मार्जिन कम हुआ है, जिस कारण सबसे बड़े बाजार में निर्यात को नुकसान पहुंचा है. ताइवान को लेकर जापान के साथ बढ़ते राजनयिक गतिरोध के बीच चीन ने ऐसा कदम उठाया है. इस कदम से बुधवार को भारतीय समुद्री खाद्य पदार्थों के स्टॉक में उछाल देखने को मिला था और कई कंपनियों के शेयरों ने महीनों में सबसे तेज बढ़त दर्ज की.
सी फूड वाले स्टॉक में तेजी
तेलंगाना स्थित अवंती फीड्स के शेयर लगभग 10% बढ़कर बंद हुए, जो दो महीनों में एक दिन के दौरान सबसे तेज उछाल था. कोस्टल कॉर्पोरेशन, जिसने पहले ही अमेरिकी व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए चीन में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना का ऐलान किया है. इसके शेयर 5% चढ़ गए. यह तत्काल उछाल चीन द्वारा जापानी समुद्री खाद्य आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद आया.
चीन के प्रतिबंध से जापान पर असर
यह नया प्रतिबंध जापान के समुद्री खाद्य उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने फुकुशिमा में दो साल के ठहराव के बाद हाल ही में चीन को निर्यात फिर से शुरू किया था. जापान के कुल निर्यात में समुद्री खाद्य का हिस्सा केवल 1% होने के बावजूद, चीन ऐतिहासिक रूप से उसके समुद्री खाद्य शिपमेंट का 20-25% हिस्सा लेता रहा है, जिससे यह इस क्षेत्र में टोक्यो का सबसे महत्वपूर्ण बाजार बन गया है.नए सिरे से लगाए गए व्यापक प्रतिबंध से जापानी निर्यातकों को और अधिक नुकसान होने की आशंका है.
टैरिफ दबाव में भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी राहत
भारत के लिए चीन के खरीद पैटर्न में बदलाव समय रहते राहत प्रदान करता है. वॉलमार्ट और क्रोगर जैसे खरीदारों के साथ भारत का सबसे बड़ा समुद्री खाद्य बाजार, अमेरिका ने हाल के महीनों में नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के लिए दंड के रूप में 50% तक का शुल्क लगाया है. इस टैरिफ ने भारतीय झींगा और मछली को कम प्रतिस्पर्धी बना दिया है, जिससे अक्टूबर में अमेरिका को निर्यात में साल-दर-साल 9% की गिरावट आई है.
वहीं रिपोर्ट्स में पता चहा है कि भारत का एक्सपोर्ट चीन, वियतनाम और थाईलैंड के लिए ज्यादा बढ़ा है, जो एशियाई मार्केट की ओर रुख का संकेत है. भारत ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 7.4 अरब डॉलर प्राइस का समुद्री भोजन निर्यात किया, जिसमें फ्रोजन झींगा और फ्रोजन मछली का योगदान 40% से अधिक था.
कंपनियों को मिला सपोर्ट
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 में यह मात्रा सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसमें 17.81 लाख मीट्रिक टन अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और चीन समेत टॉप एक्सपोटर्स को भेजा गया. वैश्विक व्यापार अशांति के प्रभाव को कम करने के लिए, केंद्र ने पिछले सप्ताह कपड़ा, आभूषण और समुद्री भोजन सहित श्रम-गहन निर्यात क्षेत्रों के लिए 4.5 लाख करोड़ रुपये के सहायता पैकेज को मंजूरी दी, जिसमें झींगा पर विशेष ध्यान दिया गया.
अमेरिकी टैरिफ और अस्थिर वैश्विक मांग से जूझ रहे भारतीय निर्यातकों के लिए जापान पर चीन का प्रतिबंध मांग वृद्धि का कारण बन सकता है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है.
आजतक बिजनेस डेस्क