महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. वे अपने ट्विटर (अब एक्स) अकाउंट कुछ न कुछ दिलचस्प पोस्ट करते रहते हैं, जो तेजी से वायरल हो जाता है. अब अरबपति कारोबारी ने एक नया पोस्ट शेयर किया है, जिसमें सोने को लेकर बड़ी बात कही है. बता दें कि आज के समय में सोना-चांदी सबसे ज्यादा चर्चित विषयों में है. लगातार तेज रफ्तार से भागते हुए जहां इसने सारे रिकॉर्ड तोड़े, तो बीते तीन दिन में ये तेजी से फिसला है. बात आनंद महिंद्रा की सोशल मीडिया पोस्ट की करें, तो उन्होंने 1962 का दौर याद किया, जब भारत-चीन में युद्ध हुआ था.
जब महिलाओं ने दान किए अपने आभूषण
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने गुरुवार को 1962 के भारत-चीन युद्ध (Indo-China War) से जुड़ी एक याद शेयर की, जो उनके निजी बचपन से जुड़ी हुई है.सोशल मीडिया पोस्ट में इसका जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे नागरिकों ने उस दौर में अपनी इच्छा से अपने पास मौजूद सोना और आभूषण राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान किए थे. उन्होंने कहा कि यह भारत के सामूहिक विश्वास का बड़ा उदाहरण है.
इस पोस्ट को लेकर कही बड़ी बात
आनंद महिंद्रा ने अपने बचपन की याद दरअसल एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद शेयर की, जिसमें बताया गया है कि आज भारतीय महिलाओं के पास अनुमानित 24,000-25,000 टन के आसपास सोना मौजूद है. ये आंकड़ा वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी निजी होल्डिंग्स में से एक है. यही नहीं ये अमेरिका से लेकर जर्मनी जैसे बड़े देशों देशों के गोल्ड रिजर्व से भी ज्यादा है.
महिंद्रा चेयरमैन ने अपनी एक्स पोस्ट में इसे शेयर करते हुए इस डेटा को एक प्रभावशाली आंकड़ा बताया और इसके साथ ही भारत-चीन युद्ध से जुड़ी अपनी बचपन की एक याद साझा की. उन्होंने लिखा, '1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय रक्षा कोष बनाया था और नागरिकों से रक्षा प्रयासों के लिए सोना और आभूषण दान करने की अपील की थी.' उन्होंने आगे लिखा कि आज की वैल्यू के हिसाब से हजारों करोड़ रुपये मूल्य का सोना इस कोष के लिए उस समय एकत्र किया गया और सिर्फ पंजाब ने ही 252 किलोग्राम सोना दान किया गया था.
आनंद महिंद्रा बोले- 'मां ने भी दिए अपने गहने'
जिस याद को आनंद महिंद्रा ने शेयर किया, उस समय उनकी उम्र महज 7 साल थी. उन्होंने लिखा, 'मुझे साफ तौर पर याद है कि मैं अपनी मां के साथ मुंबई की सड़क पर खड़ा था, जब सरकारी ट्रक गुजर रहे थे. मेगाफोन जोर-जोर से नागरिकों से देश की रक्षा के लिए अपने आभूषण दान करने की अपील कर रहे थे. मैं अब भी कल्पना कर सकता हूं कि कैसे मां चुपचाप अपनी कुछ सोने की चूड़ियां और हार समेट रही थीं, उन्हें एक कपड़े के थैले में रख रही थीं और ट्रक पर मौजूद स्वयंसेवकों को दे रही थीं.'
अरबपति कारोबारी ने पूछा, क्या अभी भी संभव?
आज जबकि सोने की कीमतों ने अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए नए शिखर को छुआ है, इस कीमत पर भी क्या ऐसी स्वैच्छिक उदारता मौजूद हो सकती है. महिंद्रा चेयरमैन ने अपनी पोस्ट में इस सवाल का जिक्र भी किया. उन्होंने पूछा कि क्या आज की दुनिया में भी उस पैमाने, भावना और विश्वास के ऐसे स्वैच्छिक कार्य हो सकते हैं?
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के नए बुलेटिन के मुताबिक, भारत का गोल्ड रिजर्व 2025-26 की पहली छमाही में 880 मीट्रिक टन को पार कर जाएगा, जिसमें सितंबर के अंतिम सप्ताह में 0.2 मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की गई है. 26 सितंबर तक आरबीआई के पास मौजूद सोने का कुल मूल्य 95 अरब डॉलर था, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी इसमें लगातार बढ़ोतरी को दर्शाता है.
आजतक बिजनेस डेस्क