गठबंधन धर्म, रोजगार का कर्म और... तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में मोदी सरकार ने तीन बातों का रखा ध्यान

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन से ही इस बार नरेंद्र मोदी की बहुमत की सरकार है. ऐसे में सवाल है कि क्या यही कारण है कि जितना बाकी नहीं पाए उससे ज्यादा आंध्र और बिहार के लिए बजट में अबकी बार है? कारण, 48 लाख 21 हजार करोड़ रुपये के मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में अकेले बिहार और आंध्र प्रदेश को 1 लाख करोड़ से ज्यादा की सौगात विकास के नाम पर दिया है.

Advertisement
मोदी सरकार 3.0 ने अपना पहला आम बजट पेश किया मोदी सरकार 3.0 ने अपना पहला आम बजट पेश किया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 11:41 PM IST

क्रिकेट मैच में सचिन, धोनी, विराट, रोहित जैसे बड़े बल्लेबाज भी बाउंस वाली पिच पर पहले कुछ गेंद संभलकर खेलते हैं. पिच का मिजाज, गेंदबाज की रफ्तार, मौसम का माहौल, सबकुछ भांपते हैं. फिर एक बार टिक गए तो फिर जमकर शॉट खेलते हैं. इस बार के लोकसभा नतीजों के बाद तीसरी बार सरकार बनी फिर भी राजनीति के मैदान में पिच विपक्ष के मजबूत होने से सरकार के लिए बाउंस वाली जरूर हो गई. और तब तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में मोदी सरकार ने तीन बातों पर ध्यान दिया. गठबंधन धर्म, रोजगार का कर्म और मिडिल क्लास को छोटी ही सही लेकिन राहत.

Advertisement

दरअसल, ये तो तय 7 जून को ही हो गया था कि इस बार बिहार-आंध्र प्रदेश की बहार है. नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन से ही इस बार नरेंद्र मोदी की बहुमत की सरकार है. ऐसे में सवाल है कि क्या यही कारण है कि जितना बाकी नहीं पाए उससे ज्यादा आंध्र और बिहार के लिए बजट में अबकी बार है? कारण, 48 लाख 21 हजार करोड़ रुपये के मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले कुल बजट में अकेले बिहार और आंध्र प्रदेश को ही 1 लाख करोड़ से ज्यादा की सौगात विकास के नाम पर दिया है. इसमें बिहार को 58500 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश को 15000 करोड़ रुपये विकास परियोजनओं के लिए देने का ऐलान हुआ है. 

यह भी पढ़ें: मनरेगा, किसान सम्मान निधि जारी रहेगी या नहीं? वित्त मंत्री ने बताया बजट भाषण में क्यों नहीं था जिक्र

Advertisement

जो अब बिहार और आंध् प्रदेश के लिए खुले केंद्र के बटुए को लेकर चौंक रहे हैं, शायद पहले चौंकन्ने नहीं थे. क्योंकि चौकन्ने रहते तो 4 जून को नतीजों के बाद एनडीए की पहली बैठक में ही नीतीश कुमार के बयानों पर गौर करते. तब नीतीश कुमार ने कहा था कि आपने इतनी सेवा की है, जो मौका मिला है, आगे बिहार और देश आगे बढ़ेगा. बिहार के सब काम हो ही जाएंगे, जो काम बचा है, हो जाएगा. हम लोग पूरे तौर पर जो चाहेंगे, उस काम के लिए लगे रहेंगे.

बजट में बिहार को मिलीं ये सौगात

बस जो नीतीश ने मानो कहा, वही हुआ भी. बिहार को नई सड़क-पुल के लिए 26 हजार करोड़ रुपये दिया गया है. इससे पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे बनेगा. बोधगया, वैशाली और दरभंगा को भी एक सड़क परियोजना से जोड़ा जाएगा. साथ ही बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का एक पुल बनाया जाएगा. बिहार के पीरपैंती में 21,400 करोड़ रुपये की लागत से 2400 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा. बाढ़ से निपटने और राहत के लिए 11,500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. पर्यटन के नक्शे पर बिहार को आगे लाने के लिए महाबोधि मंदिर और विष्णुपद मंदिर कॉरीडोर बनाया जाएगा. राजगीर को भी ग्लोबल टूरिज्म के लिए विकसित करेंगे. नालंदा विश्वविद्यालय को टूरिज्म सेंटर की तरह आगे लाएंगे. यही वजह है कि नीतीश कुमार के एनडीए की पहली बैठक के बाद का बयान भी अब चर्चाओं में है.

Advertisement

बजट आते ही सियासी लड़ाई भी छिड़ गई. कहा जाने लगा कि ये हर वर्ग को शक्ति देने वाला बजट है. वहीं विपक्ष इसे कुर्सी बचाने वाला बजट बताने लगा. ये सियासत इसलिए हावी हुई क्योंकि बीजेपी को दो बार अपने दम पर बहुमत पाने के बाद तीसरी बार भले ही सरकार बना पाई, लेकिन बीजेपी की बहुमत की सरकार नहीं है. दरअसल, 2014 में NDA की सीट 336 थी. जिसमें अकेले बीजेपी की 282 थी. 2019 में NDA की 352 सीटें थीं, जिसमें अकेले बीजेपी की 303 थीं. इस बार तीसरी बार बनी सरकार में एनडीए की सीट 293 है. जिसमें बीजेपी 240 सीट के साथ है. 

यह भी पढ़ें: प्रॉपर्टी बेचने पर अब लगेगा झटका! बजट में टैक्स तो घटा लेकिन बदल गया ये नियम

पहले दो कार्यकाल में बिहार-आंध्र को क्या मिला था?

अब इन तीनों कार्यकाल में गौर करने वाली बात ये है कि पहले दो कार्यकाल के दस बजट में कभी बिहार और आंध्र प्रदेश को इतना तवज्जो एक साथ नहीं दी गई, जितना इस बार दी गई है. तभी तो वित्त मंत्री के भाषण में भी उन्हीं राज्यों का जिक्र ज्यादा रहा, जहां से बीजेपी को सरकार बनाने की ताकत मिली. वित्त मंत्री के भाषण में 18 बार राज्यों शब्द का जिक्र आता है. जिस बिहार से नीतीश कुमार ने बड़ी जीत हासिल करके 12 सीट खुद जीतीं, और एनडीए को बहुमत के करीब पहुंचाया, उस बिहार का 11 बार नाम बजट भाषण में आया. टीडीपी की 16 सीट वाले आंध्र प्रदेश का नाम 5 बार आया. 21 में बीस सीटें देने वाले ओडिशा का 4 बार नाम आया.

Advertisement

इसके बाद विपक्ष बिहार और आंध प्रदेश को बजट में स्पेशल अटेंशन पर इसे सरकार का मजबूत नहीं बल्कि मजबूर बजट बताने लगा. ममता बनर्जी से लेकर अखिलेश यादव तक और खड़गे से लेकर मनोज झा तक ने सरकार पर निशाना साधा. 

बजट में बिहार को मिला सबसे ज्यादा 

इससे पहले ध्यान दिया जाए कि बिहार को मोदी राज के बजट में विशेष ध्यान कब मिला. 2014 में बोधगया में IIM का ऐलान हुआ था. 2015 में दरभंगा में AIIMS का ऐलान हुआ था. अब 2024 में जाकर एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज, टूरिस्ट हब, पावर प्लाट सब कुछ देने का एक साथ ऐलान हुआ है. अब दस्तक देता सवाल है कि आंध्र प्रदेश और बिहार में भी बिहार पर ही ज्यादा ध्यान क्या इसलिए क्योंकि नीतीश कुमार कहीं फिर ना पलटें? दिल्ली में बहस छिड़ी है कि बिहार को सबकुछ दे दिया, लेकिन बिहार कांग्रेस अध्यक्ष इसे झुनझुना बता रहे हैं.

अब सवाल है कि जिस बिहार को 58 हजार करोड़ से ज्यादा के ऐलान पर पूरे देश में हल्ला है कि बजट में बिहार की बहार है, उसे ही बिहार में विपक्षी नेता क्यों सौगात नहीं मान रहे हैं. दरअसल इसकी वजह है कि बिहार की लंबे समय से चली आ रही स्पेशल स्टेटस की मांग पूरी नहीं हो सकी. खुद नीतीश कुमार कई बार राज्य को स्पेशल स्टेटस देने की मांग कर चुके हैं. ऐसे में नीतीश कुमार विपक्ष के निशाने पर हैं. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: Union Budget 2024: सैलरी 7.75 लाख रुपये, अब नहीं लगेगा एक रुपया भी इनकम टैक्स... जानिए कैसे

आंध्र प्रदेश को मिलीं ये सौगात

और अब बात टीडीपी की करते हैं. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी पहले भी एनडीए का हिस्सा थी. 2014 का चुनाव बीजेपी और टीडीपी ने साथ ही लड़ा था. लेकिन आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मसले पर टीडीपी ने बीजेपी से नाता तोड़ दिया था और इस मुद्दे पर लगातार बीजेपी को घेर भी रही थी. इस बार चुनाव से पहले फिर टीडीपी-एनडीए में शामिल हो गई. लेकिन आंध्र प्रदेश में विशेष राज्य का मुद्दा अभी भी जिंदा है. और अब मोदी सरकार ने टीडीपी को बजट में तोहफा दिया है. आंध्र प्रदेश को नई राजधानी के लिए फंड, अमरावती के लिए के 15,000 करोड़ रुपये, 3 ज़िलो को पिछड़ा क्षेत्र फंड, रायलसीमा, प्रकाशम, उत्तर आंध्र को पैसा, पोलावरहम सिंचाई प्रोजेक्ट पर ज़ोर, पोलावरम प्रोजेक्ट के लिए फंड और विशाखापट्नम-चेन्नई इंडिस्ट्रयल कॉरिडोर की सौगात मिली है.

आम आदमी को क्या कुछ मिला

अब आम आदमी को बजट में मिलने वाली मामूली राहत की बात करते हैं. इस बार के बजट में इनकम टैक्स को लेकर आम आदमी को राहत दी गई है. न्यू टैक्स रिजीम चुनने वालों के तहत अब 3 से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5% के हिसाब से टैक्स देना होगा. पहले ये 6 लाख तक था. इसी तरह 6-9 लाख तक पहले 10% टैक्स लगता था जो अब 7 से 10 लाख तक के स्लैब के लिए हो गया है. पहले 9-12 लाख के बीच 15% टैक्स देना होता था तो टैक्स की दर अब 10 से 12 लाख के लिए होगी. 12 से 15 और 15 लाख से ज्यादा कमाई पर टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 

Advertisement

बड़ी बात ये है कि न्यू टैक्स रिजीम में 7.75 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई है. न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख तक की कमाई पर 20 हजार रुपये टैक्स बनता है. न्यू टैक्स रिजीम में सरकार इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत ये 20 हजार रुपये माफ कर देती है. वहीं सैलरीड पर्सन को 75 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलता है. यानी 7.75 लाख तक की आय टैक्स फ्री हो जाएगी. वहीं ओल्ड टैक्स रिजीम में 5 लाख की इनकम ही टैक्स फ्री है इसमें 5 लाख तक की कमाई पर 12,500 रुपये का टैक्स बनता है. लेकिन सरकार इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत ये 12,500 रुपये माफ कर देती है. 

जानकारों का कहना है कि अगर आप किसी भी स्कीम में निवेश नहीं करते हैं तो न्यू टैक्स रिजीम चुनना चाहिए. वहीं महिलाओं को लेकर बजट का बड़ा फोकस रहा. महिला घर खरीददारों को सरकार ने बड़ी राहत देते हुए महिलाओं के नाम प्रॉपर्टी खरीदने पर रजिस्ट्री के दौरान लगने वाली स्टैंप ड्यूटी पर राहत देते की घोषणा की गई.

(आजतक ब्यूरो)

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement