छपरा में जेपी यूनिवर्सिटी की स्नातक पार्ट वन की परीक्षा में शनिवार को अजीब नजारा देखने को मिला. यहां परसा के पीएन कॉलेज में स्नातक प्रथम खण्ड की परीक्षा के दौरान सैकड़ों की संख्या में परीक्षार्थी लड़के-लड़कियां खुले आसमान के नीचे शामियाने के अंदर राउंड टेबल और कुर्सी पर परीक्षा देते नजर आए.
इस नजारे को देख पहली बार में यह कोई नहीं कह सकता है कि यहां परीक्षा चल रही है. दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था कि कॉलेज कैंपस में किसी भोज का आयोजन किया गया था. यह परीक्षा नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय स्नातक कोर्स के सत्र 2023-27 के स्नातक प्रथम वर्ष की थी.
इस केंद्र के केंद्राधीक्षक सह प्राचार्य पुष्पराज गौतम से टेंट शामियाने के अंदर परीक्षा लेने की बाबत सवाल जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मेरे महाविद्यालय में 600 परीक्षार्थियों की परीक्षा लेने की क्षमता है. जिस विषय की परीक्षा थी, उसमें 1507 परीक्षार्थी शामिल हुए. परीक्षार्थियों की संख्या ज्यादा होने के कारण इस तरह के वैकल्पिक व्यवस्था के तहत परीक्षा ली गई. केंद्राधीक्षक ने इस व्यवस्था के बावजूद साफ सुथरे और नकल मुक्त वातावरण में परीक्षा लेने का भी दावा किया.
उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को भी इस महाविद्यालय में परीक्षा लेने की क्षमता की जानकारी है. केंद्राधीक्षक पुष्प राज गौतम ने बताया कि वाईएन कॉलेज दिघवारा और होती लाल राम नाथ कॉलेज अमनौर कॉलेज का परीक्षा केंद्र मेरे कॉलेज में बनाया गया है.
वहीं इस परीक्षा केंद्र पर विश्वविद्यालय की तरफ से स्टैटिक आब्जर्वर के रूप में तैनात डॉ संजीव कुमार सुधांशु ने कहा कि जो परीक्षा हो रही है. उसमें सभी संकाय के परीक्षार्थी शामिल हैं. इसलिए अचानक यह संख्या बढ़ गई है. फिर भी इसके लिए विश्वविद्यालय ही सक्षम है कि कितने बच्चों की परीक्षा किस केंद्र पर करवाई जाए. मैं तो यहां परीक्षा कदाचारमुक्त हो, इसके लिए तैनात किया गया हूं.
संजीव कुमार सुधांशु ने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति के एमडीसी के तहत परीक्षा ली जा रही है. इसमें छात्र को स्वतंत्रता होती है कि किसी विषय के साथ कोई विषय पढ़ सकता है. इसी काऱण आज इतने परीक्षार्थी शामिल हो गए. सारण प्रमण्डल के मुख्यालय छपरा शहर में स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय गाहे बगाहे अपने किस न किसी कारनामे को लेकर चर्चा में आ जाता है.
किसी भी महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र बनाने से पहले विश्वविद्यालय के सक्षम अधिकारियों को बखूबी यह पता होता है कि किस परीक्षा केंद्र की कितनी क्षमता है. इसके बावजूद कम क्षमता वाले परीक्षा केंद्र पर ज्यादा परीक्षार्थियों की परीक्षा का केंद्र बनाना पूरी तरह से विश्वविद्यालय के अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है. इस लापरवाही के कारण परीक्षा का मजाक बनता है.
आलोक कुमार जायसवाल