सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहन मालिकों को एक बड़ी राहत देते हुए एंड-ऑफ-लाइफ (ELV's) व्हीकल्स के बैन पर फिलहाल रोक लगा दिया है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) से चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. जहां एक तरफ सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश ने पुराने वाहन मालिकों को एक बड़ी राहत दी है वहीं, वो लोग जिन्होंने बैन लगने के बाद जल्दबाजी में अपने वाहन बेच दिए थे या स्क्रैप करा दिया था अब वो ठगा महसूस कर रहे हैं.
बीते जुलाई में जब दिल्ली सरकार ने 10 साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल न देने का ऐलान किया तो दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहन मालिकों के बीच हड़कम्प मच गया. सरकार ने 'नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स' पॉलिसी के तहत बीते 1 जुलाई से दिल्ली में अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहनों को किसी भी फ्यूल स्टेशन से पेट्रोल-डीज़ल न देने की घोषणा की. यह नियम सख्ती से लागू हो, इसके लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM), ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) और दिल्ली पुलिस सहित अन्य प्रवर्तन एजेंसियों की टीमें दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर तैनात कर दी गईं.
इस नियम के तहत एंड ऑफ लाइफ कैटेगरी में आने वाले पुराने वाहनों को फ्यूल न देने की तैयारी थी. इतना ही नहीं, पेट्रोल पंपों को यह भी निर्देश दिया गया था कि वे इस नियम का कड़ाई से पालन करें. नियम का उल्लंघन होने पर पेट्रोल पंप ऑपरेटर्स के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था. शुरुआत में इसे केवल दिल्ली में लागू किया गया और आने वाले कुछ महीनों में इसे दिल्ली के आसपास नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में भी लागू करने की तैयारी थी.
दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर पुलिस बल के अलावा ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा, बड़े-बड़े स्पीकर लगाए गए थें. ये सिस्टम कैमरों की मदद से वाहन के नंबर प्लेट पर नज़र रखते और पुराने वाहनों की पहचान करते. प्रर्वतन एजेंसियों का मानना था कि, इससे दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों के प्रयोग पर रोक लगेगी. जिससे प्रदूषण से राहत मिलेगी.
जैसे ही पेट्रोल पंपों पर पुलिस बल और कैमरों की तैनाती हुई लोगों में खलबली मच गई. जब पेट्रोल पंप पर कोई ऐसा वाहन पहुंचता जो अपनी उम्र पूरी कर चुका हो उसे रो लिया जाता और कभी जुर्माना तो कभी वाहन को सीज करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती. पहले दिन दिल्ली में तकरीबन 80 पुराने वाहनों को सीज किया गया. जिसमें कुछ लग्ज़री और महंगी कारों के साथ ही दोपहिया वाहन भी शामिल थें. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के उम्मीद के उलट पहले दिन सीज होने वाले वाहनों की संख्या काफी कम थी.
उस वक्त मीडिया को दिए अपने बयान में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कमिश्नर निहारिका राय ने कहा कि, "सभी एजेंसियों ने पहले दिन कुल मिलाकर 80 वाहन ज़ब्त किए हैं." यह पूछे जाने पर कि यह संख्या अपेक्षाकृत कम क्यों है, राय ने कहा, "केवल आज ही कम वाहन बाहर आए." हालांकि उन्होंने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की थी कि, क्या आने वाले समय में वाहनों को सीज करने की संख्या बढ़ेगी.
बता दें कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) के आंकड़ों के अनुसार, अकेले दिल्ली में लगभग 62 लाख ऐसे वाहन हैं जो एंड ऑफ लाइफ व्हीकल (ELV) कैटेगरी में आते हैं. वहीं दिल्ली के आसपास यानी एनसीआर में लगभग 44 लाख पुराने वाहन हैं जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने साल 2015 में पूरे एनसीआर में ऐसे पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
दिल्ली में पुराने वाहनों के विरुद्ध होने वाली कार्रवाइयों और फ्यूल न मिलने की स्थिति को देखते हुए ज्यादातर लोग घबरा गए. जिन लोगों की कारें आने वाले एक या दो सालों में नियमानुसार अपनी उम्र (डीजल के लिए 10 साल और पेट्रोल के लिए 15 साल) पूरी करने वाली थीं, उन्होंने औने-पौने दामों में अपने वाहनों को बेचना शुरू कर दिया. इनमें से कुछ लोग अपनी महंगी और लग्जरी कारें कबाड़ (Scrap) में भेजने को मजबूर हुए तो कुछ लोगों ने बेहद ही कम दाम में अपने वाहन को दूसरे राज्यों में बेच दिया.
दिल्ली के रहने वाले रितेश गंडोत्रा को अपनी 8 साल पुरानी रेंज-रोवर एसयूवी को दूसरे राज्य में बेहद कम दाम में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. रितेश ने उस वक्त सोशल नेटवर्किंग साइट 'X' पर पोस्ट में कहा था कि, "मेरी कार 8 साल पुरानी डीज़ल गाड़ी है, जिसका रखरखाव बहुत बारीकी से किया जाता है, और अब तक यह कार सिर्फ़ 74,000 किलोमीटर चली है. कोविड के दौरान यह कार 2 साल खड़ी रही और अभी इसकी लाइफ़ लगभग 2 लाख किलोमीटर से ज़्यादा बची है. लेकिन एनसीआर में 10 साल के डीज़ल बैन की वजह से, अब मुझे इसे बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है और वह भी एनसीआर के बाहर के खरीदारों को, जो औने-पौने दामों पर खरीद रहे हैं."
इसके अलावा दिल्ली के ही रहने वाले एक और शख्स वरुण विज को अपनी लग्जरी एसयूवी मर्सिडीज-बेंज ML350 को केवल 2.5 लाख रुपये में बेचना पड़ा. विज ने यह कार 2015 में 84 लाख रुपये में खरीदी थी और पिछले 10 सालों में यह कार तकरीबन 1.35 लाख किलोमीटर चली थी. लेकिन पुराने वाहनों पर बैन लगने के चलते उन्हें इस कार को तकरीबन 97 प्रतिशत का घाटा सहकर बेचना पड़ा.
ऐसे ही रतन ढिल्लों नाम के एक शख्स ने उस वक्त सोशल नेटवर्किंग साइट 'X' पर पोस्ट किया कि, "यह मेरे पिताजी की 16 साल पुरानी मर्सिडीज़ E280 V6 है जो आज भी ज़्यादातर तथाकथित आधुनिक कारों के मुकाबले ज़्यादा साफ़-सुथरी चल रही है. हर एक बटन अभी भी काम कर रहा है, और इंजन? अभी भी सिर्फ़ 6-7 सेकंड में 0 से 100 की रफ़्तार पकड़ लेता है. ज़ीरो पॉल्यूशन... ज़ीरो नॉनसेंस. लेकिन दुख की बात है कि मुझे इसे "पुरानी कबाड़" कहना पड़ रहा है, सिर्फ़ इसलिए कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ राजनेताओं को कारों से ज़रा भी लगाव नहीं है! मैं सरकार को चुनौती देता हूँ कि वह साबित करे कि वह (कार) प्रदूषण फैलाती है. वह ऐसा नहीं कर पाएंगे, लेकिन फिर भी इसे सज़ा ज़रूर देंगे!"
पुराने वाहनों के खिलाफ सरकार की कार्रवाईयों को देखते हुए आम लोगों ने इसका विरोध करना शुरू किया. इस मामले में दिल्ली सरकार की भी खूब किरकिरी हुई, जिसके बाद रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 2018 में पुराने वाहनों पर बैन लगाने के आदेश की समीक्षा करने की गुहार लगाई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को मामले की सुनवाई की और आम लोगों को राहत देते हुए नए आदेश दिए.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पुराने वाहनों को बैन करने वाली नीति पर रोक लगा दी है. इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने की. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "पहले, लोग 40-50 साल तक कारों का इस्तेमाल करते थे, अब भी पुरानी कारें मौजूद हैं... नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया है. इस बीच, पुराने वाहन मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी."
अश्विन सत्यदेव