भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस साल मॉनसून की बारिश अक्टूबर के मध्य तक होने की संभावना जताई है. दरअसल, सितंबर के महीने में ला-नीना एक्टिव होने की उम्मीद है, जिसकी वजह से इस साल मॉनसून ज्यादा समय तक सक्रिय रह सकती है. वहीं, ला-नीना के चलते इस साल अधिक ठंड पड़ने के आसार हैं.
ज्यादा बारिश और ठंड से कैसे प्रभावित होगी फसल?
मौसम विभाग के मुताबिक, देर से होने वाली मॉनसून की बारिश और ला नीना के कारण होने वाली संभावित तीव्र सर्दी खरीफ और रबी की फसलों को प्रभावित कर सकती है. इस साल भारत में मॉनसून का मौसम असामान्य रूप से बढ़ने वाला है, जिसका कारण है ला नीना. यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF) के अनुसार, मॉनसून की बारिश अक्टूबर के मध्य तक जारी रहने की उम्मीद है, जिससे मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी. जिसकी वजह से सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है और देश के कृषि क्षेत्र को लाभ और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
देर से होने वाली बारिश फसलों के लिए फायदेमंद और समस्याजनक दोनों ही है. मॉनसून के लंबा समय तक टिकने से मिट्टी में नमी बढ़ेगी, जो रबी फसलों की बुवाई के लिए फायदेमंद होगी. खासतौर पर देर से होने वाली रबी की फसलों को नमी से लाभ होगा. इसके अलावा देर से होने वाली खरीफ की फसलें पर्याप्त वर्षा से पनपेंगी, जिससे उनकी गुणवत्ता और उपज दोनों बढ़ेगी.
हालांकि, ज्यादा नमी शुरुआती खरीफ फसलों के लिए नुकसानदेह है. इससे कटाई की प्रक्रिया जटिल हो सकती है और उसमें देरी हो सकती है. वहीं, लंबे समय तक बारिश होने से खेतों में पानी भर सकता है, जिससे किसानों के लिए सही समय पर कटाई करना मुश्किल हो सकता है और फसलों को नुकसान पहुंच सकता है.
सर्दियों की फसलों पर ला नीना का प्रभाव
ला नीना का प्रभाव सर्दियों के महीनों में भी जारी रह सकता है, जिससे ठंड के मौसम में अच्छी बारिश हो सकती है और रबी की फसलों को फायदा होने की उम्मीद है. हालांकि, भारतीय मौसम विभाग (IMD) सितंबर के अंत में अक्टूबर से दिसंबर के दौरान पूर्वानुमान जारी करने वाला है, जिससे कुछ अनिश्चितता बनी हुई है. तेज ठंड वाले मैदानी इलाकों में पाला भी पड़ सकता है, जो रबी की फसलों के लिए हानिकारक है. पाले का पूर्वानुमान लंबे समय तक लगाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, जिससे किसानों को दिन-प्रतिदिन सतर्क रहने की जरूरत है.
चूंकि मध्य और उत्तरी क्षेत्र इस लंबे समय तक चलने वाले मॉनसून के लिए तैयार हैं, इसलिए किसानों को अवसरों और जोखिमों दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए. लंबे समय तक होने वाली बारिश भूजल तालिकाओं को काफी बढ़ा सकती है और फसल की पैदावार में सुधार कर सकती है, लेकिन ज्यादा बारिश से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रबंधन करना जरूरी है. बारिश के लंबे समय तक चलने वाले दौर को समझना और उसके अनुसार तैयारी करना बहुत जरूरी है.
कुमार कुणाल