ग्लोबल वार्मिंग के कारण कश्मीर में कम हुआ सेब का उत्पादन, किसानों ने की फसल बीमा की मांग

कश्मीर में इस साल सेब का उत्पादन 10 फीसदी कम हुआ है, जिसका कारण ग्लोबल वॉर्मिंग को बताया गया है. दरअसल, कश्मीर में इस साल शुष्क मौसम रहा और खूब गर्मी पड़ी. वहीं, जून, जुलाई और अगस्त के महीनों के दौरान बहुत कम बारिश और ओलावृष्टि हुई, जिसकी वजह से सेब की फसल पर बुरा असर पड़ा है.

Advertisement
Apple Farming in Kashmir Apple Farming in Kashmir

अशरफ वानी

  • श्रीनगर,
  • 17 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

कश्मीर में किसान आजकल सेब की कटाई में व्यस्त हैं, लेकिन उत्पादन घटने से वे काफी चिंतित हैं. इस साल सेब उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आने का अनुमान है, जो 2023 में 21.46 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 2.05 लाख मीट्रिक टन है. किसानों का मानना है कि फसल की हानि के कई कारण हैं, जिनमें अनियमित मौसम, बेमौसम बसंत मौसम, ओलावृष्टि और घाटी में लंबे समय तक सूखा शामिल है. वहीं, इस साल गर्मियों में तापमान भी बढ़ गया था, जिसकी वजह से सेब की फसल पर बुरा असर पड़ा है. 

कश्मीर में सेब की फसल पर पड़ी मौसम की मार

उत्तर कश्मीर के शोपियां जिले के एक सेब उत्पादक लतीफ मलिक ने इंडिया टुडे को बताया कि जिले में 95 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेब की फसल से जुड़ी हुई है और सेब की फसल जिले के किसानों की आय का मुख्य स्रोत है. लतीफ मलिक ने बताया कि वे कई चुनौतियों, अप्रत्याशित मौसम की स्थिति, उच्च उत्पादन लागत और बाजार में सेब की फसल की कम मांग का सामना कर रहे हैं. वहीं, कई किसान घाटी में अपनी सेब की फसल के लिए सरकार से फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी मांग कर रहे हैं. 



बता दें कि सामान्य रूप से बागवानी क्षेत्र और खासतौर पर सेब उत्पादन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जम्मू-कश्मीर की 60 प्रतिशत आबादी के लिए प्रमुख स्रोत है. इस साल कश्मीर में असामान्य रूप से शुष्क मौसम और गर्मी पड़ी. वहीं, जून, जुलाई और अगस्त के महीनों के दौरान बहुत कम या बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है, जिसकी वजह से सेब की फसल पर बुरा असर पड़ा है. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement