Cotton Plucker Machines: कपास के किसानों को तोहफा, कटाई के लिए बांटे गए 5,543 प्लकर मशीन

Cotton Plucker Machines: भारत में अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों के कारण बड़ी मशीनों द्वारा पूरी तरह से मशीनीकृत कटाई का प्रयोग सफल नहीं हो पाया है. इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय कपास निगम ने 5,543 सीमांत और छोटे किसानों के बीच करीब चार करोड़ रुपये की कीमत की कपास प्लकर मशीनें वितरित की हैं.

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Cotton Plucker Machines Cotton Plucker Machines

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:12 AM IST
  • कॉटन प्लकर मशीन कटाई की लागत में कमी
  • बाजार में इसकी कीमत 8 हजार रुपये है

Cotton Plucker Machines: कपास उत्पादन के क्षेत्र में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है. यहां बड़े पैमाने पर किसान कपास की खेती कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं. अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे दूसरे प्रमुख कपास उत्पादक देशों के विपरीत भारत में अधिकांश कपास हाथों के द्वारा पौधों से अलग किया जाता है, जिसके लिए ज्यादा श्रमबल की आवश्यकता पड़ती है. यही कारण है कि भारत में कपास की खेती में अन्य देशों के मुकाबले लागत भी ज्यादा आती है.

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विदेशों में कपास को पौधे से अलग करने के लिए बड़ी मशीनों का सहारा लिया जाता है. लेकिन भारत में अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों के कारण बड़ी मशीनों द्वारा पूरी तरह से मशीनीकृत कटाई का प्रयोग सफल नहीं हो पाया है. इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय कपास निगम ने 5,543 सीमांत और छोटे किसानों के बीच करीब चार करोड़ रुपये की कीमत की कपास प्लकर मशीनें वितरित की हैं.

कपास प्लकर मशीन से कटाई आसान

हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन एक हल्के वजन (लगभग 600 ग्राम) की मशीन है, जिसके अंदर रोलर्स की एक जोड़ी होती है. इसके बाहरी परिधि पर छोटे किनारों वाले दांत होते हैं. कटाई के समय कपास रोलर्स में उलझ जाता है और सीधे उससे जुड़े कलेक्शन बैग में इकट्ठा हो जाता है. मशीन का डिजाइन उसे क्षेत्र में काम करने के लिहाज से आसान बनाता है साथ ही बाजार में इसकी कीमत भी महज 8 हजार रुपये ही रखी गई है.

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कपास प्लकर मशीन से किसानों को मिलता है ये लाभ

कपास किसानों के लिए मैनुअल पिकिंग में स्वास्थ्य खतरों के जोखिम को कम करता है.
कपास की कटाई के कौशल में सुधार, दुर्लभ और महंगे श्रम पर निर्भरता कम होती है.
खेतों के स्तर पर संदूषण को कम करके कपास की गुणवत्ता में सुधार होता है.
कटाई की लागत में कमी आती है.
लागत कम लगने से आय में वृद्धि होती है.

 

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