बिहार सरकार ने कृषि उत्पादकता में सुधार और जैविक खेती के उन्नत तरीके सीखने के लिए 13 जिलों के किसानों को विदेश भेजने का फैसला किया है. राज्य कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के मुताबिक, गंगा के किनारे स्थित 13 जिलों के इच्छुक किसानों को बैचों में विदेश भेजा जाएगा और प्रति किसान पर 5 लाख रुपये का खर्च राज्य कृषि विभाग वहन करेगा.
विभाग ने पहले ही राज्य में 13 जिलों (गंगा के किनारे) का जैविक खेती को प्रोत्साहित करने का प्लान बनाया है. राज्य सरकार इच्छुक किसानों को 2025 तक जैविक खेती से संबंधित सभी संभव सुविधाएं प्रदान करने का फैसला किया है. इन 13 जिलों के इच्छुक किसानों को जैविक खेती की उन्नत तकनीक सीखने के लिए वियतनाम, थाईलैंड, भूटान आदि देशों में भी भेजा जाएगा.
कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने बताया कि हम अपने किसानों के विदेशी अध्ययन दौरों का खर्च वहन करेंगे. इसके लिए विभाग करीब 10 लाख रुपये पहले ही स्वीकृत कर चुका है. राज्य में जैविक खेती कॉरिडोर को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए 104.36 करोड़ रुपये विभाग ने कॉरिडोर बनाने के लिए 13 जिलों में 20,000 एकड़ जमीन की पहचान की है.
जैविक खेती के लाभों के बारे में बताते हुए कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि कृषि की इस प्रणाली में, पर्यावरण और सामाजिक रूप से जिम्मेदार दृष्टिकोण के साथ रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना फसल उगाए जाते हैं. इसमें कम पूंजी निवेश की भी आवश्यकता होती है.
राज्य सरकार किसानों की उच्च आय सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रमों, योजनाओं और नई नीतियों को लागू करने की भी योजना बना रही है. यह पहल राज्य में किसानों के कृषि लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से नीतीश कुमार सरकार के महत्वाकांक्षी चौथे कृषि रोडमैप का हिस्सा है. जैविक कॉरिडोर का हिस्सा बनने वाले 13 जिले पटना, बक्सर, भोजपुर, नालंदा, लखीसराय, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर और कटिहार हैं.
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