कनाडा में जब सर्दी के मौसम में कई बार पारा -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, तब सड़कें बर्फ से ढक जाती हैं, झीलें जम जाती हैं, और खुली हवा में खड़े होना किसी सजा से कम नहीं होता. लेकिन, इस बर्फीले मौसम में भी कनाडा के घरों के अंदर हमेशा गर्माहट बनी रहती है जहां हम भारत के कई इलाकों में थोड़ी सी ठंड में भी कांपने लगते हैं, वहीं कनाडा के बर्फीले मौसम में भी घरों में ठंड नहीं लगती. इसके पीछे सिर्फ हीटर नहीं, बल्कि खास 'कोल्ड-प्रूफ' निर्माण तकनीक है.
घर ही नहीं, खुले आसमान के अलावा यहां की हर जगह का माहौल कोज़ी-कोज़ी सा होता है, चाहे मॉल हों, रेस्टोरेंट या कोई दूसरी इमारतें. गर्म कपड़े बस बाहर जाने के लिए पहने जाते हैं. बर्फीले इलाकों में एक चलन ये भी होता है कि आप किसी के घर या रेस्टोरेंट में एंट्री करते हैं, तो दरवाजे पर एक हैंगर रखा होता है, जिसपर आप अपनी मोटी सी जैकेट या ओवर कोट टांग सकते हैं, क्योंकि अंदर आपको किसी गर्म कपड़े की जरूरत नहीं पड़ती.
यानी सिर्फ अंदर रहा जाए तो भारत में कड़ाके की ठंड में रहना जितना मुश्किल होता है उससे ज्यादा आसान कनाडा जैसे बर्फीले देश में रहना होता है. भारत में भले ही तापमान -40°C तक न गिरे, लेकिन हिमाचल, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में भीषण ठंड पड़ती है. यहां के घरों को अक्सर पारंपरिक तरीकों से बनाया जाता है, जिसके कारण हीटिंग के लिए बिजली या लकड़ी पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहना पड़ता है. वहीं कनाडा के बर्फीले इलाकों में घर अलग तरीके से बनाए जाते हैं. इसके पीछे साइंटिफिक तरीका होता है.
थर्मल इंसुलेशन- घर की ‘इनविज़िबल जैकेट’
कनाडा में हर घर को इस तरह बनाया जाता है कि वह अपने आप में एक थर्मल शेल यानी तापमान को मेंटेन करने वाली परत बन जाए. दीवारों, छत और फर्श के अंदर फाइबरग्लास, स्प्रे फोम या सेलुलोज इंसुलेशन की मोटी परत लगाई जाती है. यह परत एक तरह से घर की अदृश्य जैकेट होती है, जो बाहर की ठंड को अंदर नहीं आने देती और अंदर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देती. इससे घर में हीटर बहुत देर तक चलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती और तापमान मेंटेन रहता है.
एयरटाइट डिजाइन- बिल्कुल सील किया हुआ घर
कनाडा में घर बनाते समय हर छोटी-से-छोटी दरार, छेद और जोड़ों को पूरी तरह सील किया जाता है. इसे एयर सीलिंग कहा जाता है. इसका मतलब है कि दीवारों, खिड़कियों, दरवाज़ों और फर्श के किनारों में स्प्रे फोम, टेप और सीलेंट लगाया जाता है ताकि हवा रिस न सके. नतीजा यह होता है कि न तो ठंडी हवा अंदर आ पाती है, न ही गर्म हवा बाहर जाती है. इससे घर के अंदर का तापमान स्थिर और आरामदायक बना रहता है, चाहे बाहर तूफ़ानी ठंड ही क्यों न हो.
डबल या ट्रिपल पैन खिड़कियां- गर्मी की मजबूत ढाल
कनाडा के घरों में खिड़कियां आम नहीं होतीं. इनमें दो या तीन परत वाले कांच (पैन) लगे होते हैं. इन परतों के बीच आर्गन गैस भरी होती है, जो ठंडी हवा को रोकती है. साथ ही कांच पर एक खास Low-E (लो-एमिसिविटी) कोटिंग की जाती है, जो अंदर की गर्मी को वापस कमरे में रिफ्लेक्ट करती है. इस वजह से खिड़की के पास बैठने पर भी ठंड महसूस नहीं होती. घर का हर कोना एक समान गर्म रहता है.
स्मार्ट हीटिंग और वेंटिलेशन सिस्टम- ताज़गी और गर्मी दोनों साथ
कनाडा के ज्यादातर घरों में हीट रिकवरी वेंटिलेटर (HRV) या एनर्जी रिकवरी वेंटिलेटर (ERV) सिस्टम लगाया जाता है. ये सिस्टम घर की पुरानी हवा को बाहर निकालते हैं, लेकिन बाहर जाने वाली हवा की गर्मी को वापस अंदर आने वाली ठंडी हवा में ट्रांसफर कर देते हैं. इससे घर में हमेशा ताज़ी हवा बनी रहती है और हीटिंग में लगने वाली बिजली या गैस की खपत कम होती है यानी हवा भी स्वच्छ रहती है और ऊर्जा की बचत भी होती है.
फर्श तक गर्म- रेडिएंट हीटिंग का कमाल
यहां के कई मॉर्डन घरों में रेडिएंट फ्लोर हीटिंग सिस्टम होता है. इसमें फर्श के नीचे पतली पाइपों में गर्म पानी बहाया जाता है. यह गर्मी नीचे से ऊपर की ओर धीरे-धीरे फैलती है, जिससे पूरा कमरा समान रूप से गर्म हो जाता है. पैर से लेकर छत तक. हालांकि हर घर में यह सिस्टम नहीं होता, लेकिन जहां होता है, वहां बिना किसी शोर या हवा के बहाव के एकदम नैचुरल गर्माहट मिलती है.
कनाडा के घर महज ईंट और लकड़ी के नहीं, बल्कि एक थर्मल इंजीनियरिंग का कमाल हैं. बाहर चाहे बर्फ की मोटी चादर बिछी हो, लेकिन अंदर का तापमान हमेशा आरामदायक रहता है. यही थर्मल सीक्रेट कनाडा जैसे देश में आसानी से रहने का राज़ हैं.