एक साल पहले आज ही के दिन यानी कि 7 अक्तूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया था. इस हमले में 1200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 250 लोगों को हमास ने बंधक बना लिया था. कई लोग अब भी हमास के कब्जे में है. हमास के इस हमले ने इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए थे. सुरक्षा एजेंसियों, सरकार और सेना सबपर सवाल खड़े हुए थे. इस घटना को लेकर इजरायल में बड़े पैमाने पर जांच की मांग की गई थी. कमेटी का गठन भी हुआ, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी हमले की जिम्मेदारी पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है...
राष्ट्रीय जांच समिति की उठती रही है मांग
बता दें कि इजरायल में इस घटना के लिए राष्ट्रीय जांच समिति के गठन की मांग उठती रही है, लेकिन सरकार ने हमेशा इससे इनकार किया है. हाल ही में इजरायल के परिवहन मंत्री एमके मिरी रेवग ने एक साक्षात्कार में कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नामित सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय जांच समिति का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ अदालतों के फैसले के कारण भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को एक राष्ट्रीय जांच समिति बनानी चाहिए, लेकिन वह ऐसी होनी चाहिए जो 'समाज के सभी हिस्सों द्वारा स्वीकार की जाए.'
कहा- अभी हमारा फोकस शांति पर
इस दौरान रेवग ने कहा कि जब तक उत्तरी क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति स्थिर नहीं हो जाती. तब तक ऐसा करने की जरूरत नहीं है.
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क्या है राष्ट्रीय जांच समिति
बता दें कि राष्ट्रीय जांच समिति इजरायल के कानूनी प्रणाली में सबसे शक्तिशाली जांच मानी जाती है. यह बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम करती है. इसके सदस्यों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है, और इसमें गवाहों को समन भेजने और व्यक्तियों के बारे में व्यक्तिगत सिफारिशें करने की शक्ति होती है. अन्य प्रकार की जांचें सरकार या संसद द्वारा नियुक्त की जाती हैं.
7 अक्तूबर के हमले को लेकर क्या सोचते हैं आम इजरायली
हिब्रू विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक सर्वे में पता चलता है कि 70% इजरायलियों ने हमास नरसंहार के लिए सरकार और सुरक्षा सेवाओं की जिम्मेदारी की जांच के लिए एक राष्ट्रीय समिति के गठन का समर्थन किया. 61% ने कहा कि वे मानते हैं कि सरकार ऐसी समिति के गठन से बचने का प्रयास कर रही है, और 53% ने सहमति व्यक्त की कि समिति का गठन न होना इजरायली राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालता है. इसके अलावा, सर्वेक्षण में पाया गया कि 43% इजरायलियों ने माना कि सरकार नरसंहार के लिए सबसे जिम्मेदार निकाय थी, जबकि 37% ने इस बारे में सेना और सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया.