हमास और हिज़्बुल्लाह के साथ इजरायल का संघर्ष जारी है. बीते एक साल से इजरायल इन दोनों मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है. युद्ध के इस माहौल के बीच जो एक बात ध्यान खींचने वाली है, वो ये है कि इजरायल युद्धि में किस तरह के मॉर्डर्न टेक्निक वाले हथियारों का इस्तेमाल अपने दुश्मनों का मुकाबला करने में कर रहा है. बढ़ते खतरों और अस्थिर सुरक्षा माहौल का सामना करते हुए, इजरायल ने AI, ड्रोन, मिसाइल रक्षा, साइबर युद्ध, और स्वायत्त प्रणालियों जैसी आधुनिक तकनीकों में दुनिया का नेतृत्व किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इन तकनीकों के बिना इजरायल की सुरक्षा को बनाए रखना बेहद मुश्किल हो सकता था.
AI और डेटा बेस्ड वार
इजरायल की सबसे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी प्रगति में से एक है सैन्य रणनीति में AI को शामिल करना. AI संचालित सिस्टम ड्रोन, सैटेलाइट और खुफिया रिपोर्ट्स जैसे रियल टाइम में विशाल मात्रा में डेटा का एनालिसिस होता है. इससे इजरायल को तेज़ और अधिक सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है, जो युद्ध के मोर्चे पर निर्णायक साबित हो सकते हैं.
पूर्व वायुसेना अधिकारी और भविष्य की तकनीकों के विशेषज्ञ एयर मार्शल संजीव कपूर ने इंडिया टुडे को बताया कि इजरायल ने AI का उपयोग दुश्मन की हरकतों की भविष्यवाणी करने, उनके ठिकानों को पहचानने और थल, जल और वायु अभियानों के समन्वय के लिए किया है. हालिया संघर्षों में AI बेस्ड सिस्टम इजरायल को हमास और हिज़्बुल्लाह की भूमिगत सुरंगों को खोजने में मदद कर रही हैं, जिससे वहां से होने वाले हथियारों की तस्करी और हमलों को कंट्रोल किया जा सके.
मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और ड्रोन
ड्रोन तकनीक में इजरायल की महारत को दुनिया ने लंबे समय से स्वीकारा है. इजरायल की सेना (IDF) निगरानी, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और सटीक हमलों के लिए मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) और ड्रोन का व्यापक रूप से इस्तेमाल करती है.
ड्रोन इजरायल की निगरानी प्रणाली का जरूरी हिस्सा हैं. इनके जरिए हिज़्बुल्लाह और हमास की गतिविधियों पर दिन-रात नजर रखी जाती है. इनके द्वारा लाइव अपडेट मिलते हैं, जिससे यह तय होता है कि समय रहते आतंकवादी गतिविधियों को रोका जा सके. इसके अतिरिक्त, हाल के वर्षों में इजरायल ने ‘सुसाइड ड्रोन’ विकसित किए हैं, जिन्हें ‘लूटिंग म्यूनिशन्स’ भी कहा जाता है. ये ड्रोन लंबे समय तक अपने लक्ष्य के आसपास उड़ सकते हैं और सही समय पर सटीक हमला कर सकते हैं.
आयरन डोम और बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली
इजरायल का विश्व-प्रसिद्ध "आयरन डोम" सिस्टम हमास और हिज़्बुल्लाह द्वारा छोड़े गए रॉकेटों से सुरक्षा करता है. इस सिस्टम ने पिछले वर्षों में बार-बार साबित किया है कि यह दुश्मन के रॉकेटों को हवा में ही नष्ट करने में कितना प्रभावी है. राडार और सेंसर द्वारा मिसाइलों को पहचानने के बाद, आयरन डोम उन्हें बीच रास्ते में ही इंटरसेप्ट कर नष्ट कर देता है, जिससे नागरिक क्षेत्रों में जान-माल का नुकसान कम से कम हो.
इजरायल ने आयरन डोम के साथ-साथ अन्य मिसाइल रक्षा प्रणालियां भी विकसित की हैं, जैसे "डेविड स्लिंग" और "एरो". ये सिस्टम लंबी दूरी के मिसाइल खतरों से रक्षा करते हैं, जिनका सामना इजरायल को अक्सर हिज़्बुल्लाह के बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से करना पड़ता है.
इजरायल में बढ़ी है साइबर युद्ध की क्षमता
इजरायल की साइबर युद्ध क्षमता हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है. हिज़्बुल्लाह और हमास जैसे आतंकवादी संगठन एन्क्रिप्टेड कम्यूनिकेशन, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का उपयोग करके हमलों की योजना बनाते हैं. इसके जवाब में इजरायल की खुफिया एजेंसियां, जैसे कि प्रसिद्ध "यूनिट 8200", ने हाई लेवल साइबर क्षमताओं को विकसित किया है, जिससे ये दुश्मनों की संचार प्रणालियों को कंट्रोल कर सकते हैं.
कुछ मामलों में, इजरायल की साइबर टीमें दुश्मन की डिजिटल संरचनाओं में घुसपैठ कर उनके हथियार प्रणाली को निष्क्रिय कर चुकी हैं, जिससे शारीरिक हमलों को शुरू करने से पहले ही विफल किया जा सका. यह साइबर सिक्योरिटी इजरायल की आर्मी और फोर्स में सुरक्षा के एक और लेयर को एड ऑन करती है, जो दुश्मनों के खतरों को डिजिटल लेवल पर ही डिएक्टिवेट कर देती है.
आने वाले वर्षों में इजरायल की सेना में ऑटोमेटेड सिस्टम का और अधिक उपयोग होने की संभावना है. इजरायल ऑटेमेटेड टैंक, ऑटोमैटिक ड्रोन और रोबोट सोल्डर का विकास कर रहा है, जो सीमा पर गश्त कर सकते हैं और घुसपैठियों की पहचान कर सकते हैं. ये ऑटोमेटेड सिस्टम युद्ध में मानवीय हस्तक्षेप को कम करते हैं और संभावित जोखिम को कम करते हुए सटीक हमले कर सकते हैं. इजरायल के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग ने ऐसे ऑटोमेटेड ड्रोन विकसित किए हैं, जो समूह में उड़ सकते हैं और दुश्मन के ठिकानों पर सामूहिक रूप से हमला कर सकते हैं. इन ड्रोन का प्रयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है, जहां मानव सैनिकों के जाने का खतरा अधिक हो सकता है.
लेज़र सिस्टम दूर से ही मार गिरा रहा दुश्मन की ड्रोन-रॉकेट और मोर्टार गोले
आयरन डोम के साथ-साथ इजरायल ने लेज़र आधारित रक्षा प्रणालियां भी विकसित की हैं. "आयरन बीम" नाम का यह सिस्टम उन्नत लेजर तकनीक का उपयोग करके दुश्मन के ड्रोन, रॉकेट और मोर्टार गोले को नष्ट कर सकती है. इन लेज़र सिस्टम का लाभ यह है कि ये अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं और इनमें बिना किसी सीमा के लगातार रॉकेट हमलों का सामना करने की क्षमता होती है.
इजरायल अपने वार मैनेजमेंट में AI का और अधिक उपयोग करने की दिशा में बढ़ रहा है. भविष्य में, युद्ध क्षेत्र में AI संचालित प्रणालियां युद्ध के सभी क्षेत्रों की निगरानी कर सकती हैं और रियल टाइम में फैसला लेकर सैनिकों की तैनाती में सहायता कर सकती हैं. AI स्वचालित रूप से सैन्य लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन का भी प्रबंधन कर सकता है, जिससे तेजी से बदलते युद्ध परिदृश्यों में ताकतों का सही उपयोग हो सकेगा.