विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1984 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में एक अधिकारी के रूप में अपने शुरुआती दिनों का एक अनुभव साझा किया, जब उन्हें पता चला कि एक विमान जो कुछ देर पहले ही हाईजैक हुआ है उस पर उनके पिता भी सवार हैं. जयशंकर ने कहा, इसका अहसास उन्हें तब हुआ जब उन्होंने अपनी मां को फोन किया.
जयशंकर के पिता के. सुब्रह्मण्यम ने बाद में भारत की परमाणु नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 'पहले इस्तेमाल न करने' (No First Use) की नीति और दूसरे हमले की क्षमता पर जोर दिया.
हाईजैक हो चुके प्लेन पर सवार थे पिता
स्विट्जरलैंड के जिनेवा में भारतीय समुदाय से बात करते हुए, जयशंकर ने 1984 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 421 के हाईजैक को याद किया. एक अधिकारी के रूप में वह इसे डील कर रहे थे, लेकिन उन्हें पता चला कि विमान में सवार 79 यात्रियों में उनके पिता भी शामिल हैं.
जयशंकर 1984 में एक युवा अधिकारी थे और प्लेन हाईजैक की डील करने वाली टीम का हिस्सा थे. वह 1979 में आईएफएस में शामिल हुए थे. उनके पिता कृष्णास्वामी सुब्रमण्यम अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों के एक प्रमुख विश्लेषक, पत्रकार और एक पूर्व सिविल सेवक थे.
जयशंकर ने मां को किया फोन
जयशंकर ने उस पल को याद किया जब उन्हें विमान में अपने पिता की मौजूदगी के बारे में पता चला. उन्होंने कहा, 'हाईजैक के चार घंटे बाद, मुझे पता चला कि मेरे पिता उस विमान में हैं.' उन्होंने बताया कि इस जानकरी ने उन्हें आधिकारिक प्रतिक्रिया और उनके परिवार की व्यक्तिगत चिंताओं के बीच एक अजीबोगरीब परिस्थिति में डाल दिया.
उन्होंने कहा, 'मेरी पत्नी काम करती थीं और बाहर थीं. मैं अपने बेटे के पास नहीं जा सकता था, जो तब मुश्किल से कुछ महीने का था. मैंने अपनी मां को फोन करके बताया कि एक हाईजैक हुआ है और मैं घर नहीं आ सकता.' जयशंकर ने कहा, 'एक ओर, मैं हाईजैक पर काम करने वाली टीम का हिस्सा था, दूसरी ओर, मैं उस परिवार का हिस्सा था जो सरकार पर दबाव डाल रहा था. मैं अजीबोगरीब परिस्थिति में था.'
के सुब्रह्मण्यम को पड़ी इंसुलिन शॉट्स की जरूरत
24 अगस्त 1984 को, इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 421 को प्रतिबंधित ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन के सात सदस्यों ने हाईजैक कर लिया था. दिल्ली से श्रीनगर जा रहे रीजनल जेटलाइनर का चंडीगढ़ में पहला पड़ाव था. हाईजैकर्स ने बिना किसी हथियार के फ्लाइट को हाईजैक कर लिया था.
दुबई में उतरने से प्लेन पहले लाहौर, फिर कराची की गया. जब फ्लाइट दुबई में उतरी, तो संयुक्त अरब अमीरात के तत्कालीन रक्षा मंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की सक्रिय भागीदारी के साथ बातचीत शुरू हुई. दुबई की चिलचिलाती गर्मी में यात्रियों को फ्लाइट के भीतर 14 घंटे का कठिन इंतजार करना पड़ा.
तब जयशंकर के पिता, के सुब्रह्मण्यम, जो दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) के तत्कालीन निदेशक थे और डायबिटीज से पीड़ित थे, उन्हें तत्काल इंसुलिन शॉट्स की जरूरत थी.
हाईजैकर्स ने के सुब्रमण्यम पर बनाया दबाव
दुबई की भीषण गर्मी में दो एम्बुलेंस प्लेन के पास पहुंचीं और के सुब्रमण्यम को एक हाईजैकर के साथ एक एम्बुलेंस में ले जाया गया. के सुब्रमण्यम के विमान में लौटने के बाद हाईजैकर्स ने उनसे बातचीत करने वाले अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि वे हर आधे घंटे में एक यात्री को मारना शुरू करेंगे.
हालांकि, स्थिति नहीं बिगड़ी और बातचीत जल्द ही सफल हो गई. 36 घंटे तक चले इस हाईजैक में सभी यात्रियों को बचा लिया गया. हाईजैकर्स ने हार मान ली और बाद में मुकदमे का सामना करने के लिए उन्हें भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया.