म्यांमार के रखाइन राज्य से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सेना के रात में किए गए एयरस्ट्राइक ने एक पूरे अस्पताल को मलबे में बदल दिया. यह हमला बुधवार रात म्राउक-यू टाउनशिप में हुआ, जो अराकान आर्मी के नियंत्रण वाले क्षेत्र में आता है. यह वही इलाका है जहां लंबे समय से संघर्ष और अस्थिरता बनी हुई है. हमले में अस्पताल के 34 मरीजों और स्टाफ की मौत हो गई, जबकि लगभग 80 लोग घायल हुए हैं.
स्थानीय रेस्क्यू टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह हमला रात ठीक 9 बजकर 13 मिनट पर हुआ, जब एक लड़ाकू विमान ने अस्पताल पर दो बम गिराए. पहला बम अस्पताल के रिकवरी वार्ड पर गिरा और दूसरा मुख्य इमारत के पास फटा. दोनों धमाकों के बाद पूरी इमारत लगभग तबाह हो गई. दीवारें टूट गईं, खिड़कियां उड़ गईं और जगह-जगह भारी मात्रा में मलबा फैल गया.
एयरस्ट्राइक ने अस्पताल को मलबे में बदला
अस्पताल की बड़ी इमारतों के साथ-साथ आस-पास खड़ी टैक्सियां और मोटरसाइकिलें भी क्षतिग्रस्त हो गईं. गुरुवार सुबह जब रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची, तो वहां बिखरे मेडिकल उपकरण, टूटी स्ट्रेचरें और घायल लोगों की चीखें पूरे माहौल को भयावह बना रही थीं. रेस्क्यू अधिकारी के अनुसार, उन्होंने मौके पर 17 पुरुष और 17 महिलाओं के शव बरामद किए.
हमला जिस इलाके में हुआ, वह अराकान आर्मी द्वारा नियंत्रित है. अराकान आर्मी रखाइन समुदाय की सशस्त्र इकाई है, जो लंबे समय से केंद्रीय सरकार से अधिक स्वायत्तता की मांग कर रही है. पिछले कुछ वर्षों में इस समूह ने रखाइन राज्य के कई हिस्सों पर कब्जा बढ़ाया है. नवंबर 2023 से शुरू हुए अभियान में उन्होंने सेना की एक बड़ी कमांड पोस्ट सहित 17 में से 14 टाउनशिप पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था.
17 पुरुष और 17 महिलाओं के शव बरामद
रखाइन राज्य का इतिहास संघर्ष और तनाव से भरा रहा है. यह वही क्षेत्र है जहां 2017 में सेना की कार्रवाई के बाद करीब 7 लाख 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों को घर छोड़कर बांग्लादेश भागना पड़ा था. आज भी रखाइन के बौद्ध समुदाय और रोहिंग्या जनजाति के बीच तनाव खत्म नहीं हुआ है.
म्राउक-यू का यह अस्पताल इलाके की सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा थी. यहां इलाज के लिए आसपास के कई गांवों और कस्बों से लोग आते थे. चल रहे गृहयुद्ध के कारण राज्य के कई अस्पताल पहले ही बंद हैं. यह अस्पताल कुछ समय पहले ही फिर से शुरू किया गया था, जब डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ ने मिलकर यहां सेवाएं बहाल की थीं. लेकिन इस हमले ने उस उम्मीद को भी खत्म कर दिया.
बौद्ध समुदाय और रोहिंग्या जनजाति के बीच तनाव
एयरस्ट्राइक के बाद ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी तस्वीरों और वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल की इमारतें पूरी तरह टूट चुकी हैं. वार्डों की छतें गिर गई हैं और फर्श पर टूटा हुआ उपकरण बिखरा पड़ा है. यह दृश्य साफ दिखाता है कि हमला बेहद सटीक और बेहद विनाशकारी था.
म्यांमार की सैन्य सरकार ने अब तक इस हमले को अपनी कार्रवाई मानने से इनकार किया है. उन्होंने इस इलाके में किसी भी ऑपरेशन की पुष्टि नहीं की है. हालांकि, इससे जुड़े कई स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म और रेस्क्यू अधिकारियों ने इसे सेना का हमला बताया है.
सेना योजनाबद्ध तरीके से नागरिकों को निशाना बनाया
म्यांमार की छाया सरकार यानी नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. उनका कहना है कि सेना योजनाबद्ध तरीके से नागरिकों को निशाना बना रही है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की है कि सेना को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और तुरंत मानवीय सहायता पहुंचाई जाए.
2021 में सेना द्वारा सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद से पूरे देश में संघर्ष बढ़ गया है. सेना और पीपुल्स डिफेंस फोर्स के बीच झड़पों में तेजी आई है. दिसंबर 28 को होने वाले चुनावों से पहले सेना की तरफ से एयरस्ट्राइक में वृद्धि देखी जा रही है. विरोधियों का कहना है कि यह चुनाव सिर्फ सैन्य शासन को वैधता देने की कोशिश है.
बढ़ सकती है घायलों की संख्या
रखाइन की यह घटना म्यांमार की मौजूदा स्थिति की गंभीरता को दिखाती है. अस्पताल जैसी जरूरत के स्थान को निशाना बनाए जाने से स्पष्ट है कि देश में संघर्ष किसी भी सीमा को पार कर चुका है. स्थानीय लोगों के लिए यह सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि जीवन की आखिरी उम्मीद पर किया गया वार है.
राहत टीमों और स्थानीय संगठनों का कहना है कि घायलों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि कई लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं. रखाइन राज्य के लोग अब भी डर और अनिश्चितता के माहौल में जी रहे हैं और इस एयरस्ट्राइक ने उस भय को और गहरा कर दिया है.